प्रयागराजः स्पर्श चिकित्सा भारत की अत्यंत प्राचीन पद्धति है। हमारे ऋषि मुनि इस विद्या का उपयोग कर अपने को स्वस्थ रखते हुए अन्य लोगों को भी स्वस्थ करते थे। स्पर्श चिकित्सा द्वारा प्रयोग में लाई जाने वाली प्राणशक्ति को जापानी भाषा में “की“ एवं चाइनीज भाषा में “ची“ कहते हैं, जो वर्तमान में रेकी के नाम से प्रचलित है। उक्त बातें एसकेआर योग एवं रेकी शोध प्रशिक्षण और प्राकृतिक संस्थान प्रयागराज रेकी सेंटर के स्पर्श चिकित्सा के प्रख्यात ज्ञाता सतीश राय ने प्रशिक्षण के दौरान कहीं।
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उन्होंने कहा कि इस पद्धति से उपचार करने में सुई या दवा नहीं दी जाती। स्पर्श चिकित्सा पद्धति में छूकर या बगैर छुए विभिन्न रोगों का उपचार सफलतापूर्वक होता है। चिकित्सा के इस विधा में औषधि के रूप में ब्रह्मांड में मौजूद संजीवनी प्राण ऊर्जा का उपयोग किया जाता है। यह शरीर के भीतर रोग के मुख्य कारणों को ठीक करती है, शरीर के भीतर रुकावट को हटाती है। साथ ही व्यक्ति को भावनात्मक रूप से मजबूत बनाती है।
ये रोगी उठा सकते हैं लाभ
सतीश राय ने कहा कि स्पर्श चिकित्सा अपनाने से मानसिक भावनाओं का संतुलन होता है। यह दर्द, गठिया के रोग, दमा, कमजोरी, अनिद्रा, स्त्री सम्बंधित रोग, बांझपन, चक्कर आना, पेट के रोगों से छुटकारा दिलाता है। नवजात बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक के लोग स्पर्श चिकित्सा से लाभ उठा सकते हैं। उन्होंने कहा कि स्पर्श चिकित्सा में “ओम एवं गायत्री मंत्र“ की शक्ति समाहित है। उन्होंने कहा कि इसका परीक्षण किया जा चुका है और उसमें 99 प्रतिशत सफलता मिली है।
अंत में उन्होंने कहा कि स्पर्श चिकित्सा पर टीम गठित कर इसका परीक्षण करने की आवश्यकता है। सफलता मिलने पर केंद्र सरकार इसे आयुष में शामिल करे, ताकि इस प्राकृतिक धरोहर को घर-घर तक पहुंचाया जा सके। सबका कल्याण सबका विकास और स्वस्थ भारत के लिए जरूरी है। यह सबसे सस्ती, सरल और दुष्प्रभाव रहित चिकित्सा पद्धति है इसे अपनाकर लोग स्वस्थ निरोग रह सकते हैं।
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