नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में सामुदायिक रसोई बनाने की मांग पर सुनवाई करते हुए कहा कि अगर केंद्र सरकार योजना नहीं बनाती है, तो कोर्ट आदेश पारित करेगा। चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र सरकार से सामुदायिक रसोई को लेकर कॉमन स्कीम बनाने के लिए राज्य सरकारों से बैठक कर तीन हफ्ते में योजना पेश करने का निर्देश दिया।
याचिका वकील फुजैल अहमद अय्यूबी के जरिये दायर की गई है। याचिका में कहा गया कि देश या दुनिया में राज्य पोषित सामुदायिक किचन की संकल्पना कोई नया नहीं है। तमिलनाडु, राजस्थान, कर्नाटक, दिल्ली, आंध्र प्रेदश, झारखंड और ओडिशा जैसे राज्यों में राज्य पोषित सामुदायिक किचन से आम लोगों को सस्ते रेट पर खाना उपलब्ध कराया जा रहा है। सामुदायिक किचन के जरिये समाज के आर्थिक रूप से कमजोर तबके के लोगों को भोजन उपलब्ध कराया जाता है।
याचिका में कहा गया है कि इन सामुदायिक किचन से लोगों को रोजगार भी मिलता है, जो रोजगारविहीनता के दौर में अर्थव्यवस्था के लिए लाभप्रद होगा। सामुदायिक किचन से भुखमरी पर भी लगाम लगेगी। याचिका में कहा गया है कि ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2018 की रिपोर्ट में 119 देशों में भारत 103वें नंबर पर है।
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याचिका में कहा गया है कि देश की संसद ने 2013 में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम पारित किया था। आज जब कोरोना की वजह से पूरे देश में लॉकडाउन लागू किया गया है तो लोगों को खाना उपलब्ध कराने की सबसे ज्यादा जरूरत है। अगर ब्लॉक स्तर पर अस्थायी रूप से सामुदायिक किचन चलाया जाएगा, तो गरीब और भूखे लोगों को खाना मिल पाएगा।
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