संपादकीय

भारत को महाशक्ति बनाने के लिए चुनें बहुमत की सरकार

Choose majority government to make

भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। यहां का मतदाता ही लोकतंत्र की नींव है। भारत में 18 वर्ष की उम्र पूरी कर चुके मतदाता राष्ट्र के प्रति अपनी सबसे बड़ी जिम्मेदारी का निर्वहन मतदान के माध्यम से करते हैं। ऐसे में मतदाताओं का कर्तव्य बनता है कि वह अपनी छोटी-मोटी जरूरतों को भूलकर राष्ट्र निर्माण और राष्ट्रीय हित को सर्वोपरि रखकर अपना योगदान देने का संकल्प लें। इस संकल्प को पूरा करने के लिए मतदान के माध्यम से बहुमत की सरकार चुनें। एक ऐसी सरकार, जो सत्ता पर काबिज होने के बाद राष्ट्रहित के लिए जो कुछ भी जरूरी हो, उसको दमदारी के साथ बिना किसी भय और संकोच के करने का माद्दा रखती हो। देश की संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करे, आतंकवाद से सुरक्षा और देश की अर्थव्यवस्था को ऊंचाइयों पर ले जाने का दम रखती हो। दुनिया भर के लोग भारत के साथ व्यापार करने और दोनों देशों के बीच आपसी संबंधों को मजबूती प्रदान करने को आतुर दिखें। यह सब तभी संभव है, जब हम शत-प्रतिशत मतदान करके बहुमत वाली एक सशक्त सरकार चुनेंगे। जब ऐसा होगा, तो निश्चित तौर पर आने वाले समय में भारत को महाशक्ति बनाने व दोबारा से विश्वगुरू के रूप में स्थापित करने का सपना भी पूरा होगा।

किसी भी लोकतांत्रिक देश में सरकार की मजबूती उसको चुनाव के दौरान हासिल होने वाली सीटों की संख्या पर निर्भर करती है। 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करिश्माई नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद से देश नित नई ऊंचाइयों को छू रहा है। पीएम मोदी ने भारत को आंतरिक रूप से मजबूती प्रदान करने के साथ ही वैश्विक स्तर पर सशक्त और अर्थव्यवस्था में प्रबल साझेदार बनाने का काम प्राथमिकता से किया है। एक समय ऐसा भी था, जब भारत राजनीतिक और सांस्कृतिक पैमाने पर पहले पश्चिम के साथ लोकतांत्रिक सहमति बनाने पर जोर देता था, लेकिन आज देश की सरकार अपनी संस्कृति और संप्रभुता को सर्वोच्च स्थान पर रखकर लोकतांत्रिक राजनीति में ’भारतीय विशेषता’ पर जोर दे रही है। देश की सनातन संस्कृति को बढ़ावा देने, देश की एकजुटता को बनाए रखने और आतंकवाद से मुक्ति दिलाने का काम सरकार ने प्राथमिकता से किया। देश में 2020 में आत्मनिर्भर भारत अभियान शुरू होने के बाद तेजी से बदलाव देखने को मिल रहे हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, साल 2016-17 में भारत का रक्षा निर्यात 1,521 करोड़ था, जो साल 2018-19 में बढ़कर 10,745 करोड़ रुपये हो गया यानी रक्षा निर्यात में करीब 700 फीसदी का उछाल आया है। भारत सरकार ने 2024 तक 35,000 करोड़ रुपए का सालाना रक्षा निर्यात का लक्ष्य रखा है। स्टॉक होम इंटरनेशन पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की 2020 की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत रक्षा निर्यात में शीर्ष 25 देशों में शामिल है। रक्षा मंत्रालय के अनुसार भारत ने पिछले करीब 08 वर्षों में 38 हजार करोड़ से अधिक के रक्षा सामानों का निर्यात किया है और आने वाले समय में सबसे अधिक निर्यात करने वाले देशों की सूची में शीर्ष पर खड़ा दिखाई देगा। हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में बने हथियार खरीदने की लाइन में दुनिया के 85 देश शामिल हैं। इसके अलावा चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक दक्षिणी ध्रुव में स्थापित करने के बाद पूरी दुनिया ने हमारे देश के वैज्ञानिकों का लोहा मान लिया है।

सेना और सीमा दोनों की मजबूती का ध्यान

देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने जून 2023 में दिल्ली में इंडिया विजन 2047 के बारे में बताते हुए कहा था कि एक मजबूत सेना न केवल सीमाओं को सुरक्षित करती है, बल्कि किसी देश की संस्कृति और अर्थव्यवस्था की भी रक्षा करती है। हमारा लक्ष्य एक मजबूत, आत्मनिर्भर और समृद्ध राष्ट्र का निर्माण करना है, जो अपनी जरूरतों के साथ-साथ मित्र देशों की आवश्यकताओं को भी पूरा करे। यह पुनर्जागरण का युग है। यह भारत को वैश्विक महाशक्ति के रूप में फिर से स्थापित करने का समय है। पिछले कुछ वर्षों में रक्षा क्षेत्र में आए बड़े परिवर्तनों पर रक्षा मंत्री ने कहा कि हथियारों और प्रौद्योगिकियों के निर्माण में पूर्ण ‘आत्मनिर्भरता’ हासिल करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। प्रमुख निर्णयों में सशस्त्र बलों की ओर से 411 वस्तुओं को शामिल कर चार सकारात्मक स्वदेशीकरण सूचियों की अधिसूचना और डीपीएसयू के लिए 4,666 वस्तुओं की चार अन्य सूचियों के अलावा उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में रक्षा औद्योगिक गलियारों की स्थापना शामिल है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक का रिकॉर्ड रक्षा उत्पादन और लगभग 16,000 करोड़ रुपये का अब तक का उच्चतम रक्षा निर्यात रक्षा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर होने वाली वृद्धि का प्रमाण है। सरकार द्वारा बनाए गए स्टार्टअप फ्रेंडली इकोसिस्टम ने देश में 100 से अधिक यूनिकॉर्न का निर्माण किया है और रक्षा अनुसंधान एवं विकास और विनिर्माण क्षेत्र में स्टार्टअप की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि भी देखी गई है। यही नहीं भारत सरकार ने नोटबंदी, डिजिटल इंडिया और जनधन खाता समेत अनेकों पारदर्शी योजनाओं के माध्यम से आतंकवाद औऱ भ्रष्टाचार पर करारा प्रहार किया है। नोटबंदी ने नकली नोटों की तस्करी पर लगाम लगाने के साथ ही आतंकवाद की कमर तोड़ कर रख दी है। देश की सीमाओं की सुरक्षा को मजबूत करने के साथ ही सैनिकों को अत्याधुनिक हथियारों और सुविधाओं से लैस करने का काम किया है। देश के दुश्मनों को उनकी हर हरकत का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए सेना को फ्री हैंड कर दिया गया है। आज भारत की सेनाएं दुश्मनों को सीमा के अंदर घुसने पर जवाबी कार्रवाई नहीं करती हैं, बल्कि हमारी सेना दुश्मनों को उनके घर में घुसकर सबक सिखाने का काम करती है। भारत सरकार ने आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को पूरी तरह से विश्व पटल पर बेनकाब करने का काम किया। आज पाकिस्तान में लोग महंगाई से त्रस्त हैं और भूखों मरने की स्थिति में आ गए हैं क्योंकि अब दुनिया का कोई भी देश बुरे वक्त में उसका सहयोग नहीं करना चाहता है। चीन से सटी सीमाओं पर भारत लगातार तेजी से सड़कों का निर्माण कर रहा है। बॉर्डर रोड आॅर्गेनाइजेशन (बीआरओ) ने अरुणाचल प्रदेश में भारत-चीन सीमा के पास सेला सुरंग और एलजीजी-दमतेंग-यांगस्टे सड़क पर हाई क्वाॅलिटी तकनीक का इस्तेमाल किया है। बीआरओ ने स्वदेशी सड़क निर्माण तकनीक का उपयोग किया है। बीआरओ के अतिरिक्त महानिदेशक (ईस्ट) पीकेएच सिंह ने कहा कि बीआरओ द्वारा क्रमशः 14,000 फीट और 18,000 फीट की ऊंचाई पर सेला सुरंग और एलडीवाई सड़क स्थल पर बिटुमिनस सड़कों के निर्माण के लिए कम तापमान वाले बिटुमिनस मिश्रण का उत्पादन करने के लिए रेजुपावे तकनीक का उपयोग किया गया है।

लिए गए एकता, अखंडता व जनहित से जुड़े बड़े निर्णय

मोदी सरकार ने 08 नवंबर 2016 को नोटबंदी का निर्णय लिया। इसने नकली नोटों की तस्करी और भ्रष्टाचार पर काफी हद तक अंकुश लगा दिया। आंकड़ों की मानें तो 2016 में नोटबंदी के बाद से नकली नोट और इनकी छपाई तेजी से घट रही है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2023 में लगभग 7.98 करोड़ मूल्य के नकली नोटों का पता चला था, जो 2014 में पाए गए 24.84 करोड़ रुपए के नकली नोटों से 70 फीसदी कम है। सरकार ने नोटबंदी के बाद 500 और 2000 मूल्य के नए नोट बाजार में उतारे थे। इसमें से 2000 के नोट को भी अब बाजार से वापस ले लिया गया है। आरबीआई की रिपोर्ट से मुताबिक अब तक 2000 रुपये के 97.69 प्रतिशत नोटों की वापसी हो चुकी है। मतलब साफ है कि देश में पहले जहां 1000 का नोट सबसे बड़ी करेंसी हुआ करती थी, अब उसकी जगह पर 500 का नोट ही सबसे बड़ी करेंसी के रूप में रह गई है। जुलाई 2017 में गुड्स सर्विस टैक्स लागू किया। जीएसटी का मूल उद्देश्य एक देश में एक कर सिस्टम को लागू करना था और इस सिस्टम की पूरी दुनिया ने तारीफ की है। मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए तीन तलाक कानून लागू किया गया। अब तीन तलाक को आपराधिक कृत्य घोषित कर दिया गया है। जम्मू-कश्मीर से 370 को खत्म कर उसे विशेष राज्य से केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया। देश भर में नागरिकता संशोधन अधिनियम को लागू कर दिया गया है। इसका उद्देश्य पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान से आए अल्पसंख्यकों (हिंदू, सिख, ईसाई, पारसी, जैन और बौद्ध) को भारत की नागरिकता देना है। रेल बजट को आम बजट में मिला दिया गया, जिससे सरकार को करोड़ों रूपए की बचत हुई। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 04 करोड़ से अधिक गरीबों को आवास दिये गये हैं। उज्ज्वला योजना के तहत करीब 10 करोड़ गरीब परिवारों को निःशुल्क घरेलू गैस सिलेंडर के कनेक्शन दिए गए हैं। आयुष्मान भारत योजना के तहत अब तक 27 करोड़ से अधिक कार्ड जारी हो चुके हैं, जिसके जरिए लोगों को हर साल पांच लाख रुपये तक के मुफ्त इलाज की सुविधा दी गयी है। करोड़ों गरीब परिवारों को हर महीने मुफ्त राशन दिया जा रहा है। इसके अलावा स्वच्छ भारत मिशन के तहत हर गरीब के घर में शौचालय, हर घऱ नल से जल समेत कई कल्याणाकारी योजनाएं हैं, जिन्हें लागू करने का साहस 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में मिले प्रचंड बहुमत के कारण ही भाजपा और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार कर पाने में सफल रही है इसलिए 2024 के लोकसभा चुनाव में भी जनता को प्रचंड बहुमत की सरकार को चुनना चाहिए, जो देश और जनता के विकास की गति को आगे बढ़ाने का काम करे।

प्रभावशाली विदेश नीति व अंतर्राष्ट्रीय संबंधों पर जोर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 10 साल के कार्यकाल में दुनिया के तमाम देशों के साथ भारत के रिश्तों में बड़ा परिवर्तन देखने को मिला है। भारत कई मामलों में आज दुनिया के देशों की अगुवाई कर रहा है। मोदी सरकार की सशक्त विदेश नीति का ही नतीजा है कि दुनिया के कई देश बहुत सारे क्षेत्रों में भारत की अगुवाई को स्वीकार कर रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की ‘नेबरहुड फस्र्ट पॉलिसी’ को आगे बढ़ाया है। 50 प्रतिशत की हिंदू आबादी वाले देश मॉरीशस के साथ व्यापारिक व अन्य सेक्टर्स में समझौता कर भारत ने चीन और पाकिस्तान की नींद उड़ा दी है। मालदीव जो कभी चीन की शह पर भारत को आंख दिखाने की कोशिश कर रहा था, अब उसके भी पसीने छूट रहे हैं। दरअसल, हिंद महासागर पर अपनी रणनीतिक स्थिति के कारण भारत के लिए मॉरीशस हमेशा से महत्वपूर्ण रहा है। इसके साथ ही भारत मॉरीशस को फॉरवर्ड अफ्रीका के नजरिए से देख रहा है। भारत सरकार ने बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका जैसे पड़ोसी मुल्कों के साथ भी अपने संबंधों को स्थिर बनाये रखने में अहम भूमिका निभाई है। भारत सरकार की स्पष्ट औऱ प्रभावशाली विदेश नीति की वजह से ही कतर से भारत के आठ पूर्व नौसैनिकों को वापस लाने और इजराइल से हजारों भारतीयों को सुरक्षित वापस लाने में सफलता मिली है। यूक्रेन-रूस के बीच छिड़ी जंग के बीच से मोदी सरकार ने ऑपरेशन गंगा के तहत 22,500 से अधिक भारतीयों को सुरक्षित निकाला। 2023 में ऑपरेशन कावेरी के तहत सूडान से 3,800 से अधिक भारतीयों की वतन वापसी करवाई। 2021 में अफगानिस्तान में तालिबान ने कब्जा कर लिया था। इसके बाद भारत सरकार ने ऑपरेशन देवी शक्ति के जरिए अफगानिस्तान से लगभग 1,200 लोगों को सकुशल बाहर निकाला। इन लोगों में अफगान हिंदू/सिख अल्पसंख्यक समुदाय से ताल्लुक रखने वाले 206 अफगानी भी शामिल थे। पीएम मोदी खुद इन अभियानों पर पैनी नजर बनाए हुए थे। इससे पहले, 2015 में जब यमन में सरकार और हूती विद्रोहियों के बीच जंग छिड़ी थी, तब भी मोदी सरकार ने ऑपरेशन राहत के तहत यमन से लगभग 5,600 लोगों को निकाला था। फरवरी 2019 में विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान ने पाकिस्तानी वायुसेना के एफ-16 लड़ाकू विमान को ध्वस्त कर दिया था। जिसके बाद उनकी पाकिस्तान में ही क्रैश लैंडिंग हो गई थी, तब भारत सरकार के कड़े एक्शन के खौफ के चलते पाकिस्तान ने विंग कमांडर को सुरक्षित वाघा बॉर्डर से भारत भेजा था।

केंद्र की सत्ता संभालने के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विदेश नीति में राष्ट्रवाद और संप्रभुता को बढ़ावा देने पर जोर दिया है। भारत ने अफगानिस्तान-ईरान युद्ध, रूस-यूक्रेन युद्ध, ईरान-इजराइल युद्ध की स्थितियों में भी खुद को तटस्थ रखने का काम किया है। रूस-यूक्रेन संघर्ष के मुद्दे पर भारत की कूटनीति को विश्व स्तर पर काफी सराहना मिली है, क्योंकि भारत ने पश्चिमी देशों से अलग होते हुए विकासशील देशों के साथ अपने आपको जोड़ा है। भारत ने हमेशा से अपने आपको विश्व शक्ति के तौर पर माना है, लेकिन पिछले दस वर्षों में भारत ने अपनी नीति में बदलाव किया है। अब भारत बहु-संतुलन पर नहीं बहु-सहयोग की नीति पर आगे बढ़ रहा है। अब तो यह बहु-ध्रुवीय दुनिया में एक ध्रुव बनने की रणनीति पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। भारत अब स्पष्ट रूप से एक महान शक्ति वाली रणनीति की दिशा में आगे बढ़ रहा है। 16 नवंबर 2022 को जी20 बाली शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सम्मेलन की अध्यक्षता सौंपी गई थी। इसके बाद 2023 में सफलतापूर्वक जी20 सम्मेलन भारत में सम्पन्न हुआ। इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वसुधैव कुटुंबकम का नारा देकर जी20 में शामिल सभी देशों को अपना मुरीद बना लिया। आज भारत उभरती हुई एक ऐसी शक्ति बन गया है, जिसका पुनरुत्थान हो रहा है और वह वैश्विक आर्थिक मानचित्र पर विश्व गुरू होने की अपनी जगह फिर से हासिल करने की ओर तेजी से आगे बढ़ रहा है।

सनातन संस्कृति व पर्यटन को बढ़ावा देने में जुटी सरकार

भारत सरकार ने देश में प्रमुख धार्मिक स्थलों का विकास कर पर्यटन की अपार संभावनाओं और रोजगार के अवसरों को उलब्ध कराने का काम किया है। देश की नहीं अपितु विदेशों में भी सनातन संस्कृति के प्रति लोगों की भावना में बदलाव देखने को मिला। 500 से अधिक वर्षों की प्रतीक्षा के बाद अयोध्या में प्रभु श्रीराम का मंदिर बनकर तैयार हुआ, उसने करोड़ों सनातनियों की आस्था को सच्चा सम्मान दिया। इसके अलावा काशी विश्वनाथ काॅरिडोर, महाकाल काॅरिडोर, विंध्य काॅरिडोर, बांकेबिहारी काॅरिडोर, मां कामाख्या काॅरिडोर के जरिए हिंदू धर्म के आस्था केंद्रों को संवारने का काम किया गया है। दुबई के आबूधाबी में भी 700 करोड़ रुपये खर्च कर विशालकाय मंदिर का निर्माण हुआ, जो अरब देश का पहला हिंदू मंदिर है। 27 एकड़ में बने इस भव्य मंदिर का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों फरवरी 2024 में हुआ। आज पूरी दुनिया में हमारी सनातन संस्कृति को लेकर लोगों के मन में आदर और सम्मान का भाव जागृत हुआ है। दुनियाभर से लाखों की संख्या में पर्यटक भारत आकर हमारी सभ्यता और संस्कृति के बारे में जानने और समझने की कोशिश कर रहे हैं। अब विदेशी भी सनातन धर्म को स्वीकारने और हिंदू रीति-रिवाजों की ओर तेजी से आकर्षित हो रहे हैं।

यह भी पढ़ेंः-अभी संभलने की वार्निंग है ग्लोबल वार्मिंग

तेजी से बढ़ रही भारत की अर्थव्यवस्था

10 साल पहले अर्थव्यवस्था के मामले में 11वें नंबर पर रहने वाला भारत आज दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बन चुका है। वल्र्ड पॉपुलेशन रिव्यू के मुताबिक भारत का सर्विस सेक्टर दुनिया के तेजी से बढ़ते सेक्टर में से एक है। देश की इकोनॉमी में इसका 60 प्रतिशत और रोजगार में 28 प्रतिशत का योगदान है। मैन्युफैक्चरिंग और एग्रीकल्चर भी भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अहम सेक्टर हैं। 2014 में केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद भारत अपनी राजनीतिक गुलामी की जंजीरों को तोड़ने और गौरवशाली अतीत को फिर से हासिल करने में काफी हद तक सफल रहा है। दरअसल, हमें देश में एक सशक्त और कल्याणकारी सरकार की आवश्यकता है, जो अपने लोगों के लिए उच्च गुणवत्ता वाले पोषण, आवास, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध करा सके। इस दिशा में पिछले 10 वर्षों से वर्तमान सरकार ने काफी बेहतर काम किए हैं। देश में होने वाले सकारात्मक बदलावों और सुदृढ़ सरकार को बनाए रखना बेहद जरूरी है। हमें ऐसी सरकार चाहिए, जो यह सुनिश्चित करे कि दुनिया भर में लोकतंत्र, धार्मिक स्वतंत्रता, गरिमा और विश्व शांति जैसे सार्वभौमिक मूल्य स्थापित हों। आइए हम सब मिलकर एक ऐसे भारत के निर्माण में योगदान दें, जहां लोगों में राष्ट्र निर्माण की समान भावना हो, जहां सभी भारतीय बिना किसी भेदभाव के एक साथ काम कर सकें, जहां लोगों को उनकी जाति और धर्म से नहीं बल्कि उनके ज्ञान और चरित्र से आंका जाए, जहां हर भारतीय की मानवाधिकारों तक पहुंच हो और अपने कर्तव्यों के प्रति प्रतिबद्धता हो। हम एक ऐसे भारत का सपना देखें, जो अपनी रक्षा के लिए काफी मजबूत हो और दुनिया में कहीं भी किसी भी अन्याय के खिलाफ खड़े होने के लिए तैयार हो इसलिए देश को सशक्त बनाने के लिए मतदान अवश्य करें और बहुमत की सरकार चुनें।

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर(X) पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)