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हैदराबाद: सीएसआईआर- कोशिकीय एवं आणविक जीवविज्ञान केंद्र (सीसीएमबी) के नये शोध से यह खुलासा हुआ है कि कोलेस्ट्रॉल को कम करने की दवा ‘स्टेटिन’ कोशिका की बनावट में भी बदलाव कर सकती है।
अमेरिकन सोसाइटी ऑफ बायोकेमेस्ट्री एंड मॉलेक्यूलर बायोलॉजी के जर्नल ऑफ लिपिड रिसर्च में प्रकाशित सीसीएमबी के शोध के मुताबिक स्टेटिन कोशिश की बुनियादी बनावट में तब्दीली ला सकती है। यह दवा कोलेस्ट्रॉल घटाने के लिये रामबाण मानी जाती है और इसके कई दुष्प्रभावों को लेकर चर्चा होती रही है। हालांकि, अभी तक इस संबंध में कोई शोध प्रकाशित नहीं हुआ था कि आखिर स्टेटिन के दुष्प्रभाव की वजह क्या है।
डॉ. पारिजात सरकार और प्रोफेसर अमिताभ चट्टोपाध्याय के इस शोध ने इस पर प्रकाश डाला है। स्टेटिन शरीर में कोलेस्ट्रॉल के बनने के लिये जरूरी इंजाइम एचएमजी-सीओए रेड्यूकटेस को बनने से रोक देता है। लंबे समय तक इस दवा के इस्तेमाल के गंभीर दुष्परिणाम भी सामने आते हैं।
शोध के अनुसार, कोशिका के बुनियादी ढांचे, जिसे साइटोस्केलटन कहा जाता है, वह एस्टिन जैसे प्रोटीन से बना होता है। यह प्लाज्मा मेम्ब्रेन या सेल मेम्ब्रेन के नीचे होता है। यही कोशिका के आकार और ढांचे का आधार होता है। स्टेटिन न सिर्फ कोलेस्ट्रॉल को कम करता है बल्कि यह एस्टिन का पोलीमराइजेशन भी कर सकता है। पोलीमराइजेशन में छोटे अणुओं यानी मोमर्स को रासायनिक तरीके से जोड़कर एक चेन के जैसा या नेटवर्क अणु को बनाता है, जिसे पॉलीमर कहते हैं।
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डॉ. पारिजात कहते हैं कि यह शोध एस्टिन स्तर और कोलेस्ट्रॉल बायोसिंथेसिस के बीच के संबंध को बताता है। प्रोफेसर चट्टोपाध्याय ने कहा कि इससे भविष्य में बेहतर दवायें विकसित करने में मदद मिलेगी।
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