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चित्रकूट जेल गैंगवारः एनकांउटर में मारे गये अंशु ने की थी सीएमओ विनोद आर्या की हत्या

लखनऊः उत्तर प्रदेश के चित्रकूट की जेल में गैंगवार के दौरान पुलिस ने एनकाउंटर में पूर्वांचल के बदमाश अंशु दीक्षित को मार गिराया गया। इससे पहले अंशु ने मुख्तार अंसारी गैंग के खास गुर्गे व पश्चिमी यूपी के कुख्यात बदमाश की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसके बाद हमलावर बदमाश ने पांच अन्य कैदियों को बंधक बनाकर जान से मारने की धमकी दी। एनकाउंटर में मारा गया अंशु दीक्षित का नाम लखनऊ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) विनोद आर्या की हत्या में आया था। पूर्वांचल के माफिया मुख्तार अंसारी का खास व शार्प शूटर था। पुलिस एनकाउंटर में मारा गया अंशु सीतापुर शहर इलाके के मोहल्ला रोटी गोदाम का रहने वाला था और पूर्वांचल में अपराध में उसकी अच्छी पैठ थी। उसका आपराधिक इतिहास भी है। पुलिस रिकार्ड के मुताबिक, 27 अक्टूबर 2013 को अंशु दीक्षित ने भोपाल में एमपी पुलिस और यूपी एसटीएफ की टीम पर गोली चला दी थी। इस गोलीबारी में एसटीएफ के दरोगा संदीप मिश्र और भोपाल क्राइम ब्रांच का सिपाही राघवेंद्र पांडेय घायल हो गए थे। इसके बाद मध्य प्रदेश पुलिस ने अंशु की गिरफ्तारी पर 10 हजार रुपये का इनाम घोषित किया था।

गवाह हेमंत को मारने की फिराक में था
अंशु दीक्षित का नाम लखनऊ के सीएमओ विनोद आर्या की हत्या में आया था। उसने इन हत्याओं के चश्मदीद गवाह हेमंत को मारने की फिराक में था। लेकिन पुलिस की सुरक्षा की वजह से वह वारदात को अंजाम नहीं दे पाया था।

गोरखपुर से पकड़ा गया था अंशु
पुलिस के लिए चुनौती बना अंशु दीक्षित को पकड़ने के लिए एसटीएफ की टीम लगायी गई। इस बीच पांच दिसम्बर 2014 को एसटीएफ को सूचना मिली कि अंशु गोरखपुर में मौजूद है और वहां से नेपाल भागने की फिराक में है। इसके बाद एसटीएफ की टीम ने सर्विलांस की मदद से उसकी घेराबंदी की। गोरखनाथ इलाके में मुठभेड़ के बाद अंशु को गिरफ्तार कर लिया गया। अंशु के पास से 9 एमएम की पिस्टल और अन्य सामान मिले थे। अंशू दीक्षित को जीआरपी पुलिस ने बड़ी मुश्किलों में पकड़ा था। पुलिस उसे कड़ी सुरक्षा में लेकर न्यायालय जा रही थी। पेशी के दौरान वह जीआरपी पुलिस को चकमा देकर फरार हो गया था।

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एमएलसी पुत्र पर जानलेवा हमले को लेकर आया था चर्चा में
पुलिस रिकार्ड के मुताबिक अंशु सीतापुर में लगभग 15 वर्ष पूर्व सेठी ड्राई क्लीनर्स के सामने एक एमएलसी पुत्र के ऊपर जानलेवा हमला करने के बाद सुर्खियों में आया था। इसके बाद वह सीतापुर से लखनऊ भागकर लखनऊ यूनिवर्सिटी में छात्र नेता विनोद त्रिपाठी के संरक्षण में रहा। अन्य घटनाओं को अंजाम देते हुए बाद में अंशु ने विनोद त्रिपाठी की भी हत्या कर दी थी। इसके बाद वो पुलिस व एसटीएफ के रडार पर था। मध्य प्रदेश के भोपाल शहर में अंशु के छिपे होने की जानकारी होने पर एसटीएफ टीम उसे पकड़ने गई थी, लेकिन वहां से एसटीएफ के ऊपर गोली चलाकर अंशु फरार हो गया था। इसके बाद भोपाल पुलिस ने उस पर इनाम घोषित कर दिया था। सीतापुर रेलवे पुलिस की ओर से भी उस पर इनाम था।

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