Thursday, December 19, 2024
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Nepal: मानव तस्करी के चीनी गिरोह का खुलासा, ऐसे रूस भेजे जाते थें नेपाली नागरिक

Nepal: नेपाल से एक बड़ी खबर सामने आ रही है, राजधानी काठमांडू में मानव तस्करी के गोरखधंधे का पर्दाफाश हुआ है। खबरों के अनुसार ऐसा कहा जा रहा है कि ये धंधा कुछ चीनी नागरिकों के जरिए चलाया जा रहा है। नेपाल सरकार के प्रतिबंध के बावजूद नेपाली युवाओं को रूस भेजने के नाम पर उनका फिजिकल टेस्ट लिया जा रहा है।

युवाओं की दिखी भीड़ 

बता दें कि काठमांडू के सिनामंगल क्षेत्र में फिजिकल टेस्ट देने वाले युवाओं की भीड़ देखी जा सकती है। यहां पर करीब 5 हजार युवा अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। यहां ‘सिनोपेक इंजीनियरिंग ग्रुप रसिया’ लिखा हुआ बैनर टंगा है लेकिन भीतर परीक्षा लेने वाले पांच चीनी नागरिक हैं।

सरकार ने लगाया बैन 

गेट पर खड़े सुरक्षा गार्ड ने बताया कि, रूस की किसी कंपनी के माध्यम से नेपाली युवाओं को सिक्युरिटी गार्ड के रूप में भर्ती किया जा रहा है। ये लोग अपने अपने हाथ में कुछ कागज और शैक्षिक योग्यता का प्रमाणपत्र हेल्थ सर्टिफिकेट लेकर खड़े नजर आए, जिनकी उम्र 18 से 30 वर्ष के बीच दिख रहे थें। चीनी कंपनी के नेपाली प्रतिनिधि ने बताया कि तीन सौ कामगारों की आवश्यकता थी, जिसके लिए दस हजार लोगों ने फार्म भरा है। जब उनसे पूछा गया कि, नेपाल से रूस में किसी भी काम के लिए जाने पर सरकार ने बैन लगाया हुआ है। तो इस पर जवाब दिया गया कि, चीनी कंपनी ने नेपाल सरकार से अनुमति ले रखी है।

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जबकि इस मामले में रूस में नौकरी पाने की चाह रखने वाले युवकों ने बताया कि रूस की कंपनी में 600 अमेरिकी डॉलर प्रति माह सैलरी बताई गई है। सिर्फ इतना ही नहीं युवाओं ने ये भी बताया कि, नौकरी लेने के लिए पहले कंपनी वालों को 5 लाख रुपये एडवांस में देना होगा। उन्होंने खुलासा किया कि सेलेक्शन होने के तीन महीने बाद उनको रूस भेजा जाएगा।

इस पर गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता का कहना है कि, किसी भी कंपनी को रूस में कामगारों को भेजने की अनुमति नहीं दी गई है। विदेश मंत्री के प्रवक्ता अमृत राई का कहना है कि अगर ये अवैध रूप से किया जा रहा है तो ये मानव तस्करी की श्रेणी में आएगा।

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