चीनी सेना की नहीं पड़ेगी नजर, LAC पर भारत बना रहा ऐसी नई रणनीतिक सड़क!

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नई दिल्ली: भारत वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर एक नई रणनीतिक सड़क के साथ आगे बढ़ रहा है, जिस पर चीनी सेना की नजर नहीं पड़ सकती। नवंबर के अंत तक बनकर तैयार होने वाली यह सड़क भारतीय सेना को चीन से सुरक्षित रखेगी। चीन सीमा पर ससोमा से दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) तक यह नई सड़क न केवल यात्रा के समय को कम करेगी बल्कि इस नई सड़क के माध्यम से भारत के उत्तरी सैन्य अड्डे डीबीओ तक अग्रिम पंक्ति को मजबूत करने के लिए सैनिकों, हथियारों और रसद की आवाजाही के समय को कम करेगी।

13-14 अगस्त को हुई थी 19 वें दौर की सैन्य वार्ता

चीन की विस्तारवादी नीतियों और लद्दाख के रणनीतिक परिदृश्य को नया आकार देने की होड़ में उसके हिंसक आचरण और सैन्य महत्वाकांक्षाओं के कारण भारत के साथ सीमा विवाद है। भारत और चीन के बीच 19वें दौर की सैन्य वार्ता 13-14 अगस्त को भारतीय सीमा पर चुशुल-मोल्डो में हुई थी। साढ़े तीन साल लंबे गतिरोध में सबसे लंबी बैठक 70 घंटे तक चली, जिसमें दोनों पक्ष लद्दाख सेक्टर में एलएसी के साथ शेष मुद्दों को हल करने पर सहमत हुए। इसके बावजूद चीन सीमावर्ती इलाकों में अपना बुनियादी ढांचा बनाने से पीछे नहीं हट रहा है।

नवंबर के अंत तक तैयार हो जाएगी सड़क

इसके जवाब में भारत भी लगातार LAC के सीमावर्ती इलाकों में सड़कों का जाल बिछाकर अपनी पहुंच आसान बना रहा है, क्योंकि 1962 में चीन के साथ हुए युद्ध में बुनियादी ढांचे की कमी से भारत ने कई सबक सीखे थे। इसी क्रम में भारत रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण रिमोट पोस्ट के पास वैकल्पिक कनेक्टिविटी के लिहाज से एक महत्वाकांक्षी परियोजना को पूरा करने की कगार पर है। नवंबर के अंत तक बनकर तैयार होने वाली यह सड़क भारतीय सेना को चीनियों से सुरक्षित रखेगी, क्योंकि चीनी सेना इसे देख नहीं सकेगी। साथ ही, अग्रिम पंक्ति को मजबूत करने के लिए सैनिकों, हथियारों और आपूर्ति को पहुंचाना आसान हो जाएगा।

परियोजना से जुड़े एक अधिकारी का कहना है कि नई सड़क एलएसी के पार से नहीं देखी जा सकती है, जबकि डारबुक से डीबीओ तक मौजूदा 255 किलोमीटर लंबी एकमात्र सड़क है। लंबी सड़क मार्ग से चीन तक पहुंच आसान है। नुब्रा घाटी के ससोमा से काराकोरम दर्रे के पास डीबीओ तक 130 किमी लंबी सड़क का निर्माण अपने अंतिम चरण में है। सासोमा और 17,600 फुट ऊंचे सासेर ला के बीच 52 किमी की दूरी में से 46 किमी को ब्लैकटॉप कर दिया गया है और केवल 6 किमी ही बचा है। बचे हुए काम को पूरा करने के लिए फिलहाल करीब 2,000 लोग काम कर रहे हैं। इसलिए, साल के अंत तक इसके पूरी तरह से ब्लैकटॉप होने की भी उम्मीद है।

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