बीजिंग: अफगानिस्तान में तालिबान के शासन को लेकर जहां दुनिया के अधिकांश देशों ने दूरी बना रखी है वहीं पाकिस्तान और चीन ने तालीबान की सरकार को मान्यता देने के अपने प्रयास को आगे बढ़ाते हुए मैत्रीपूर्ण संबंध की इच्छा जताई है। तालिबान द्वारा अफगान सरकार को अपदस्थ किए जाने के बाद चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने आधिकारिक बयान में कहा कि वह उम्मीद करते हैं कि तालिबान अफगान नागरिकों और विदेशी राजनयिकों की सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी लेगा।
एक तरफ जहां भारत, अमेरिका समेत सभी अपने राजनयिकों को अफगानिस्तान से सुरक्षित निकालने में जुटे हुए हैं, वहीं चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता का कहना है कि काबुल में चीनी दूतावास अपने राजदूत और कुछ स्टाफ के साथ निरंतर काम कर रहा है। उन्होंने अपना मिशन बंद करने या फिर अपने कर्मियों को वहां से हटाने की बात नहीं कही। प्रवक्ता ने आगे कहा कि अफगानिस्तान से अधिकांश चीनी नागरिकों को पहले ही निकाला जा चुका है।
हुआ ने कहा कि अफगानिस्तान ने बड़े बदलावों का अनुभव किया है। हम अफगानिस्तानियों की इच्छा और चुनाव का स्वागत करते हैं। चीन द्वारा तालिबान सरकार को कब मान्यता देगा, के सवाल पर विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने कहा कि हम अफगानी नागरिकों की संप्रभुता और सभी पक्षों की इच्छा का पूरा आदर करते हैं। चीन अफगान तालिबान के लगातार संपर्क में है और राजनीतिक समझौते को बढ़ावा देने के लिए एक सकारात्मक भूमिका निभा रहा है। उन्होंने अफगान तालिबान के चीन को दिए आश्वासन का हवाला देते हुए कहा कि वह किसी भी ताकत को चीन को नुकसान पहुंचाने के लिए अफगानिस्तान का इस्तेमाल नहीं करने देगा।
उन्होंने यह भी बताया कि तालिबान ने उन्हें आश्वासन दिया है कि वह चीन के शिनजियांग प्रांत में उइगर इस्लामिक आतंकियों का भी समर्थन नहीं करेगा, जो कि पूर्वी तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट (इटीआइएम) का हिस्सा हैं। तुर्की के कब्जा किए चीनी प्रांत शिनजियांग की सीमाएं अफगानिस्तान, पाकिस्तान के कब्जे वाले गुलाम कश्मीर के साथ ही कजाखिस्तान, किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान से लगती हैं।