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मॉस्को में चीन ने दिखाई अकड़ तो फिर सुनी खरी-खरी, जानें क्या हुआ ऐसा

  नई दिल्लीः मॉस्को में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मिलने को बेचैन चीनी रक्षा मंत्री जनरल वेई फेंगही जब बातचीत करने बैठे तो शुरुआत घुड़की भरे अंदाज में चीन सीमा पर तनाव के लिए भारत को ही कसूरवार ठहराने से की। अकड़ दिखाने की कोशिश करते हुए चीनी रक्षा मंत्री ने कहा कि चीन की सेना किसी भी मुकाबले का सामना करने को तैयार है, लेकिन इसके बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वार्ता को आगे बढ़ाते हुए खरी-खरी सुनाई। उन्होंने अपने चिर-परिचित अंदाज में कहा कि चीन एक जिम्मेदार राष्ट्र जैसा रवैया दिखाते हुए लद्दाख में एलएसी पर तैनात अपनी सेना को पूरी तरह से वापस करे। साथ ही यह भी कहा कि चीन को कोई भी ऐसा कदम नहीं उठाना चाहि,ए जिससे दोनों देश के रिश्ते और बिगड़ें। शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में हिस्सा लेने के लिए मॉस्को पहुंचे चीनी रक्षा मंत्री जनरल वेई फेंगही ने ही राजनाथ सिंह से मिलने का अनुरोध किया था लेकिन 24 घंटे में कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला। वे इस मुलाकात के लिए इतने उत्सुक थे कि शनिवार की रात उस होटल तक पहुंच गए, जहां पर राजनाथ सिंह ठहरे थे। इसके बाद जब बातचीत की टेबल पर बैठे तो वे अपनी अकड़ दिखाने से बाज नहीं आए। दरअसल पिछले सप्ताह लद्दाख में रणनीतिक महत्व की चोटियों पर भारत की पकड़ मजबूत बनाने के बाद चीन के सामने बातचीत की टेबल पर आना उसकी मजबूरी बन गई थी। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब वे राजनाथ के सामने टेबल पर बैठे तो उन्होंने कहा कि वे पिछले 80 दिनों में 3 बार बातचीत का अनुरोध कर चुके हैं। मॉस्को में दोनों रक्षा मंत्रियों के बीच 2 घंटे 20 मिनट चली इस वार्ता में चीनी रक्षा मंत्रालय के मुताबिक चीनी रक्षा मंत्री जनरल वेई फेंगही ने कहा कि सीमा विवाद की वजह से दोनों देशों और दोनों सेनाओं के बीच रिश्ते बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। चीन ने गलवान में मुठभेड़ के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराने की कोशिश की और मौजूदा तनाव के लिए भी भारत को ही कसूरवार ठहराया। चीनी रक्षा मंत्रालय ने रक्षा मंत्री फेंगही के बयान का जिक्र करते हुए कहा है कि चीन अपनी जमीन नहीं खो सकता और चीन की सेना पूरी तरह से अपनी राष्ट्रीय संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध और समर्पित है। चीन ने कहा कि विवादों को बातचीत और संपर्कों के जरिए सुलझाने के लिए राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच सहमत हुए मुद्दों को गंभीरता से लागू करना चाहिए> चीनी रक्षा मंत्री ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि भारत उन समझौतों का पालन करेगा, जो दोनों पक्षों के बीच हुए हैं। चीन ने कहा कि भारत फ्रंट लाइन पर तैनात सैनिकों पर नियंत्रण रखेगा। मौजूदा एलएसी पर किसी तरह की उकसावे वाली कार्रवाई नहीं करेगा और कोई भी ऐसा कदम नहीं उठाएगा, जिससे वहां माहौल गर्म हो और जान बूझकर सनसनी पैदा करने वाली सूचनाएं नहीं देगा। चीन ने यह भी कहा कि दोनों देशों को चीन-भारत के रिश्तों के व्यापक फलक पर सोचना चाहिए और क्षेत्रीय शांति और स्थायित्व को ध्यान में रखते हुए काम करना चाहिए ताकि सीमा का मौजूदा माहौल ठंडा हो सके और समूचे चीन-भारत सीमा पर शांति कायम रह सके। चीनी रक्षा मंत्री ने कूटनीतिक चालबाजी दिखाते हुए कहा कि सीमा पर मौजूदा तनाव के क्या कारण हैं और क्या सच है, ये बहुत स्पष्ट है और इसकी पूरी जिम्मेदारी भारत के ऊपर है। इस वार्ता में भारत की ओर से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ रक्षा सचिव अजय कुमार और रूस में भारत के राजदूत डीबी वेंकटेश वर्मा भी मौजूद थे। राजनाथ सिंह ने भारत की ओर से चीनी रक्षा मंत्री से साफ-साफ कहा कि उन्हें उम्मीद है कि चीन एक जिम्मेदार राष्ट्र जैसा रवैया दिखाएगा और चीन को कोई भी ऐसा कदम नहीं उठाना चाहिए जिससे दोनों देश के रिश्ते और बिगड़ें। उन्होंने चेतावनी के अंदाज में कहा कि चीन लद्दाख में एलएसी पर तैनात अपनी सेना को पूरी तरह से वापस करने के लिए कदम उठाए। राजनाथ सिंह ने चीन को यह भी सलाह दी कि मौजूदा हालात में दोनों देशों के लिए बॉर्डर पर शांति और सहज माहौल की जरूरत है। हमें सभी स्तर पर बातचीत के दरवाजे खुले रखने चाहिए चाहे वो सैन्य वार्ता हो या फिर कूटनीतिक और संवाद व संपर्क से बातचीत को हल करना चाहिए। लद्दाख सीमा पर मई से ही चीन और भारत में तनाव है और अब तक सैन्य-कूटनीतिक लेवल पर कई राउंड की बात हो चुकी है। यह पहला ऐसा मौका था जब दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों की यह सबसे हाई लेवल की मुलाकात रही। चीन ने पांच दिन पहले पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर घुसपैठ की कोशिश की थी, जिसे भारतीय सैनिकों ने नाकाम कर दिया था। इसके बाद से दोनों देशों में तनाव और बढ़ा है। दोनों पक्ष कूटनीतिक और सैन्य वार्ता से सीमा विवाद का हल निकालने में जुटे हुए हैं। भारतीय सेना द्वारा सामरिक चोटी हेलमेट टॉप, गुरुंग हिल और ब्लैक टॉप पर कब्जा करने के बाद चीन ने ब्लैक टॉप और हेलमेट टॉप के बीच मध्य रिज के शीर्ष पर एक नई पोस्ट बनाई है। पीएलए ने भी मोल्डो पोस्ट से हेलमेट टॉप तक गश्त बढ़ा दी है। भारत ने भी अपने कब्जे में आईं चोटियों के पास तैनाती बढ़ा दी है।