नई दिल्लीः भारत और चीन (India and China) के बीच सैन्य कमांडर स्तर की 21 दौर की वार्ता के बावजूद पुराने मुद्दे अभी तक सुलझ नहीं पाए हैं, लेकिन इस बीच चीन ने भारतीय सीमा के अंदर अरुणाचल में दो जगहों पर अपनी गश्त बढ़ाने की नई मांग कर एक और विवाद खड़ा कर दिया है। पीएलए के सैनिकों ने ‘सेमा’ के घने जंगल वाले इलाके में रॉक पेंटिंग भी की है। चीन की यह मांग ऐसे समय में आई है, जब भारत ने अरुणाचल प्रदेश में 10 हजार फीट से ज्यादा की ऊंचाई पर दो सुपर हाई एल्टीट्यूड फायरिंग रेंज शुरू की हैं।
कई पुराने मुद्दों पर अभी फंसा है विवाद
देश का पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के साथ 1,129 किलोमीटर लंबी एलएसी साझा करता है। पूर्वी लद्दाख सेक्टर में जारी गतिरोध के चलते भारत और चीन के बीच कोर कमांडर स्तर की 21 दौर की वार्ता हो चुकी है। दोनों देशों के बीच 21वीं बैठक इस साल की शुरुआत में 19 फरवरी को चुशुल-मोल्दो सीमा बैठक बिंदु पर हुई थी। भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता की बहाली के लिए पिछले दौर की वार्ता में हुई चर्चाओं के आधार पर पूर्वी लद्दाख में एलएसी के साथ शेष क्षेत्रों में पूर्ण विघटन की मांग की गई थी, लेकिन चीनी पक्ष द्वारा अभी तक मुद्दों को हल नहीं किया गया है।
चीन ने की रॉक पेंटिंग
चीन और भारत के बीच 22वें दौर की वार्ता नहीं हुई है, लेकिन इस बीच चीनी वार्ताकारों ने पीएलए सैनिकों को यांग्त्ज़ी और सुबनसिरी नदी घाटी क्षेत्र में गश्त करने की अनुमति मांगी है जो दशकों से भारतीय नियंत्रण में है। अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सुबनसिरी क्षेत्र में गश्त के अधिकार की चीन की मांग पहले के समझौतों के खिलाफ है। इसके लिए पीएलए सैनिकों ने ’सेमा’ के घने जंगल क्षेत्र में रॉक पेंटिंग भी की है।
2021 में हुई जानलेव झड़प
चीनी सैनिकों ने घने जंगल में लगे पेड़ों और विभिन्न स्थानों पर बड़े पत्थरों और चट्टानों पर अपने प्रतीक बनाए हैं। चीन द्वारा मांगी गई दो जगहों में से एक तवांग के उत्तर-पूर्व में यांग्त्ज़ी क्षेत्र है, जहां अक्टूबर 2021 में दोनों पक्षों के बीच जानलेवा झड़प हुई थी। करीब 200 चीनी सैनिक अरुणाचल प्रदेश के रणनीतिक तवांग सेक्टर में घुस आए थे, जो भारतीय सीमा में आता है और यहां खाली पड़े बंकरों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की थी। दूसरा इलाका मध्य अरुणाचल में सुबनसिरी नदी घाटी से लगा हुआ है, जो दशकों से भारतीय नियंत्रण में है।
चीन की यह हालिया मांग पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर चल रहे विवाद के बीच आई है, जब भारत ने अरुणाचल प्रदेश में दो सुपर हाई एल्टीट्यूड फायरिंग रेंज शुरू की हैं। मंडला और कमराला फायरिंग रेंज वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से 50 किलोमीटर की हवाई दूरी पर हैं। हाई एल्टीट्यूड फायरिंग रेंज में कई तरह के हथियार और निगरानी उपकरण हैं। 10 हजार फीट से ज्यादा ऊंचाई पर स्थित मंडला और कमराला फायरिंग रेंज की जमीन को सशस्त्र बलों को सौंपने की पहल मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने की थी।
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दोनों फायरिंग रेंज सशस्त्र बलों के लिए बेहद फायदेमंद होंगी, क्योंकि लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में उच्च ऊंचाई वाले रणनीतिक स्थानों पर तैनात सैनिक यहां अपनी मारक क्षमता का परीक्षण कर सकते हैं। अपनी गश्त बढ़ाकर चीनी सैनिक भारत की इन दोनों फायरिंग रेंज पर नजर रखना चाहते हैं।
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