अच्छी खबर ! शहीद होने वाले जवानों के बच्चों को मिलेगा दोगुना भत्ता

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नई दिल्लीः देश की सेवा करते हुए बलिदान हुए जवानों के बच्चों की देखभाल और भरण- पोषण के लिए अब दोगुना भत्ता दिया जाएगा । सेना कमांडरों के सम्मेलन में यह फैसला लिया गया है । इसके अलावा सेना को भविष्य में आकार देने के लिए कई अहम फैसले लिए गए हैं । पैरालंपिक आयोजनों के लिए नौ खेलों में युद्ध के दौरान शारीरिक रूप से हताहत हुए सैनिकों को प्रशिक्षित करने का निर्णय लिया गया है ।

सेना कमांडरों का सम्मेलन पहली बार 17 से 21 अप्रैल तक हाइब्रिड मॉडल में आयोजित किया गया, जिसमें व्यापक स्तर पर रणनीतिक, प्रशिक्षण, मानव संसाधन विकास और प्रशासनिक पहलुओं पर चर्चा हुई । सेना कमांडरों के सम्मेलन में यह निर्णय लिया गया कि युद्ध के दौरान शारीरिक रूप से घायल हुए सैनिकों की पहचान की जाएगी और उन्हें पैरालंपिक आयोजनों के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा । उन्हें सेना के खेल और मिशन ओलंपिक नोड्स में नौ खेल आयोजनों में प्रशिक्षित करने का निर्णय लिया गया है । इसके अलावा युद्ध के दौरान अपने प्राणों की आहुति देने वाले सैनिकों के सक्षम बच्चों को एजीआईएफ के माध्यम से भरण- पोषण भत्ता दोगुना करने का निर्णय लिया गया ।

सम्मेलन में, सेना के कमांडरों और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने मौजूदा उभरते सुरक्षा परिदृश्य का जायजा लिया और भारतीय सेना की परिचालन तैयारियों की समीक्षा की । इसके अलावा अग्निपथ योजना के प्रभावी क्रियान्वयन की प्रगति पर विस्तार से चर्चा की गई. इस वर्ष 791 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से 435 सिमुलेटरों की खरीद के माध्यम से सिम्युलेटर प्रशिक्षण की योजना पर भी चर्चा की गई । सेना में अधिकारियों की भर्ती के लिए टीईएस प्रवेश योजना के तहत जनवरी, 2024 से मौजूदा 1 3 1 वर्षीय तकनीकी प्रवेश योजना( टीईएस) मॉडल को 3 1 टीईएस मॉडल में स्थानांतरित करने का निर्णय लिया गया ।

शीर्ष नेतृत्व ने अन्य सेवाओं और सरकारी एजेंसियों के साथ तालमेल को बढ़ावा देने के लिए विशिष्ट क्षेत्रों की भी पहचान की । सम्मेलन के दौरान, सैनिकों और पूर्व सैनिकों के लिए कई कल्याणकारी उपायों और पहलों को लागू करने का निर्णय लिया गया । फोरम ने नेटवर्क की सुरक्षा की आवश्यकता की समीक्षा की और तत्काल भविष्य में कमांड साइबर ऑपरेशंस और सपोर्ट विंग्स को संचालित करने का निर्णय लिया । इसके अलावा, सेना को एक प्रभावी और घातक लड़ाकू बल बनाए रखने के लिए बुनियादी ढांचे, समय और संसाधनों का अनुकूलन करने के लिए प्रशिक्षण पहलों पर व्यापक चर्चा की गई ।

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कमांडरों के सम्मेलन में दिल्ली कैंट में नए सेना भवन के निर्माण कार्य पर भी चर्चा हुई । 2025 में पूरा होने के बाद, यह न केवल कार्यालय की जगह की कमी को दूर करेगा, बल्कि सभी निदेशालयों को एक छत के नीचे लाकर सेना मुख्यालय की कार्यात्मक दक्षता को भी बढ़ाएगा । यह अत्याधुनिक इमारत तकनीकी रूप से उन्नत वास्तुकला को शामिल करेगी । रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, इस साल जनवरी में शुरू हुआ निर्माण कार्य करीब 760 करोड़ रुपये की लागत से अगले 27 महीनों में पूरा होने की उम्मीद है । 2020 में रक्षा मंत्री ने स्वयं इस नए भवन के निर्माण की आधारशिला रखी थी ।

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