नये साल पर जवानों से मिले मुख्यमंत्री, हब्ली बोली में बढ़ाया हौसला

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रायपुर: मुख्यमंत्री भूपेश ने रविवार को पुलिस लाइन में आयोजित पुलिस जवानों के नववर्ष मिलन समारोह में बस्तर अंचल के अंदरूनी क्षेत्रों में डयूटी पर तैनात जवानों के जज्बे की सराहना की। मुख्यमंत्री से चर्चा के दौरान दन्तेश्वरी फाइटर्स की सदस्य सुनैना पटेल ने बताया कि वे विगत 3 वर्षों से इस नववर्ष मिलन समारोह में शामिल होने रायपुर आ रही हैं। दन्तेश्वरी फाइटर्स की सदस्य संख्या 30 से बढ़कर 60 हो गई है। वे पुरुष जवानों के साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर नक्सल गश्त, नक्सल मोर्चे संभालने और कैम्प खोलने जैसे महत्वपूर्ण कार्यों की जिम्मेदारी बखूबी निभा रही है।

मुख्यमंत्री द्वारा पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि क्षेत्रीय लोग ज्यादातर महिलाओं की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं और सड़क के लिए मिलने आते हैं। कामलूरू तथा अंदरूनी क्षेत्रों में राशन दुकान, एम्बुलेंस, स्वास्थ्य केंद्र और पुलिस सहायता केंद्र की स्थापना की गई है। मुख्यमंत्री के आग्रह पर उन्हाेंने हल्बी बोली में संवाद भी किया। जिस पर मुख्यमंत्री ने उन्हें हल्बी बोली में ही खूबे-खूबे धन्यवाद कहा।

मुख्यमंत्री के आग्रह पर एक जवान ने छत्तीसगढ़ के लोकप्रिय गीतकार लक्ष्मण मस्तुरिया का गीत ‘‘मै छत्तीसगढ़िया हंव रे‘‘ गा कर सुनाया। एसटीएफ के जवान ने बताया कि उन्होंने पांच कैम्प के निर्माण में सुरक्षा कार्य का प्रतिनिधित्व किया है। सभी जगह स्थानीय लोगों से कैम्प के प्रति सकारात्मक रिस्पॉन्स मिल रहा है, लोग कैम्प बनाने पर जोर दे रहे हैं। इसका प्रमुख कारण है कि हम कैम्प से सड़क का निर्माण, स्कूलों का पुनःनिर्माण, अपने पास उपलब्ध चिकित्सा सुविधाओं के अलावा स्वास्थ्य शिविर के माध्यम से इलाज मुहैया करा रहे हैं।

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कैम्प खुलने से कम हुईं नक्सली घटनाएं –

कोंडागांव जिले से आए डीआरजी के एएसआई ने बताया कि पहले वे नक्सली गतिविधियों में शामिल थे। छत्तीसगढ़ शासन की पुनर्वास नीति के तहत वे डी.आर.जी में शामिल हुए। मुख्यमंत्री के द्वार पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि पहले जंगल में भटकना पड़ता था पर अब खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे हैं। सुदूर दुर्गम क्षेत्र में कैम्प खुल जाने से नक्सली घटनाओं में कमी आई है। डी.आर.जी की महिला सदस्य पूनम यादव ने बताया कि वे सुकमा जिले के पोटमपल्ली और पलाईगुड़ा कैम्प के निर्माण में सहयोगी रही। उन्होंने बताया कि कैम्प निर्माण के शुरुआती दौर में स्थानीय लोगों ने पहले विरोध किया। परन्तु अब वहां बैरक, शौचालय, फैन्सिंग, लाइट और सड़क निर्माण जैसे कार्य होने से लोगों का भय कम होने लगा है।

सड़क काटने की वारदातों में आई कमी –

बीजापुर में पदस्थ डीआरजी के जवान राम लाल नेताम ने बताया कि इटेपाल और पुसनार में कैम्प खोले गए हैं। अब नक्सलियों द्वारा सड़क काटे जाने के वारदातों में कमी आई है। सीआरपीएफ की जॉनसी जाना ने बताया कि राज्य में सीआरपीएफ को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है। जिसके निर्वहन के लिए उन्हें राज्य की पुलिस से भरपूर सहायता मिलती है। अब रोड कनेक्टिविटी और कैम्प में सुविधाएं बढ़ गई हैं, जिससे पुलिस पर स्थानीय लोगों का भरोसा बढ़ा है। बीएसएफ के जवान प्रशांत चतुर्वेदी ने बताया कि वे विगत 02 वर्षाे से रावघाट परियोजना की सुरक्षा में तैनात है। स्थानीय लोगों का पहले की अपेक्षा सपोर्ट और विश्वास जवानों के प्रति बढ़ा है। नक्सली छवि के विपरीत अब राज्य के प्रति बाहरी लोगों का नजरिया भी सकारात्मक हुआ है।

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