नई दिल्ली: चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित अपने विदाई समारोह में कहा कि मैं सबसे ज्यादा ट्रोल होने वाले जजों में से एक हूं। उन्होंने कहा कि अब सवाल उन ट्रोलर्स से है कि 11 नवंबर से वे क्या करेंगे। इस मौके पर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष कपिल सिब्बल ने सीजेआई के कार्यकाल में लिए गए अहम फैसलों का जिक्र कर उनका आभार जताया। इसके बाद बार एसोसिएशन की ओर से सीजेआई को सम्मानित किया गया।
Chief Justice ने शेर पढ़कर दिया जवाब
चीफ जस्टिस ने बशीर बद्र का एक शेर पढ़कर ट्रोलर्स को जवाब दिया। उन्होंने जो शेर पढ़ा, वह है ‘मुख़ालिफ़त से मेरी शख़्सियत संवरती है मैं दुश्मनों का बड़ा एहतराम करता हूं’। अपने विदाई समारोह को संबोधित करते हुए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि सूरज की रोशनी सबसे अच्छा कीटाणुनाशक है। मैं जानता हूं कि मैंने अपने निजी जीवन को कई तरह से सार्वजनिक ज्ञान में उजागर किया है बार ने हमारे द्वारा उठाए गए सभी कदमों को जबरदस्त समर्थन दिया है।
याद दिलाए कई किस्से
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि जब मैं बचपन में बीमार होता था तो मेरी मां कहती थी कि दवा नारायण के हाथ से आती है। डॉक्टर नारायण का रूप होता है। उन्होंने कहा कि मेरे पिता ने भी बार के कई बड़े वकीलों को पढ़ाया। वे बहुत अनुशासित थे। उन्होंने पुणे में एक छोटा सा फ्लैट लिया था। जब मैंने पूछा तो उनका जवाब था कि इसे अपनी सेवा के अंतिम दिन तक संभाल कर रखना, क्योंकि अगर कभी आपके सिद्धांतों के कारण ऐसी स्थिति आती है तो आपको भरोसा रहेगा कि आपके सिर पर छत है।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि दो दिन पहले हमने राजस्थान में दो ऐसे नेत्रहीन छात्रों के संबंध में आदेश दिया था, जिन्हें प्रतिभाशाली होने के बावजूद साक्षात्कार में शामिल नहीं होने दिया गया, मेरिट में थे। एक दलित प्रतिभाशाली बच्चे का आईआईटी धनबाद में दाखिला हुआ। उसके पास 17,500 रुपये नहीं थे। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि वकील यह तय कर सकते हैं कि केस लेना है या नहीं, लेकिन जज बनने के बाद ऐसा नहीं किया जा सकता। इस डर की भावना से ऊपर उठना होगा। तभी बार का महत्व पता चलता है। हर दिन नया ज्ञान और नए तरीके सीखने को मिलते हैं।
10 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं चीफ जस्टिस
कॉलेजियम पर चीफ जस्टिस ने कहा कि हमने कॉलेजियम की बैठक में कई बार कठिन फैसले लिए हैं। हमारे बीच कभी कोई मतभेद नहीं रहा। सभी बैठकें खुशनुमा माहौल में हुईं। हमारे बीच कोई मतभेद नहीं रहा, क्योंकि हम यहां अपना कोई एजेंडा लेकर नहीं, बल्कि संस्था के हित और सेवा के लिए हैं। चीफ जस्टिस 10 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के आखिरी कार्यदिवस पर शुक्रवार को परंपरा के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में सेरेमोनियल बेंच बैठी। चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली इस सेरेमोनियल बेंच में मौजूदा और अगले चीफ जस्टिस एक साथ बैठकर कुछ मामलों की सुनवाई करते हैं।
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अपने विदाई समारोह को संबोधित करते हुए चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि जब मैंने चीफ जस्टिस का पद संभाला तो पाया कि रजिस्ट्रार की अलमारी में करीब 1500 फाइलें बंद पड़ी हैं। मैंने कहा कि इसे बदलना होगा। 09 नवंबर 2022 से 1 नवंबर 2024 के बीच 1.11 लाख मामले दर्ज किए गए। 05.33 लाख मामले सूचीबद्ध किए गए और 1.07 लाख मामलों का निपटारा किया गया। 1 जनवरी 2020 को सुप्रीम कोर्ट में 79,500 मामले लंबित थे, जिनमें वे भी शामिल हैं जिन्हें हम अब अपंजीकृत या दोषपूर्ण मामले कहते हैं। 1 जनवरी 2022 को यह संख्या 93,000 मामलों तक पहुंच गई। 1 जनवरी 2024 को यह संख्या घटकर 82,000 मामले रह गई है। पिछले दो वर्षों में अपंजीकृत मामलों की संख्या में 11,000 से अधिक की कमी आई है।
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