नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में दिल्ली के छावला गैंगरेप मामले के तीनों दोषियों को बरी कर दिया है। चीफ जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली बेंच ने सोमवार को यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने 07 अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
वर्ष 2012 में दिल्ली के छावला गैंगरेप मामले के तीनों दोषियों ने कोर्ट से मिली मौत की सजा को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। घटना 9 फरवरी 2012 की है जब रात में नौकरी से लौटते समय राहुल, रवि और विनोद ने उत्तराखंड की अनामिका को जबरन अपनी लाल इंडिका गाड़ी में बैठा लिया। तीन दिन बाद उसकी क्षत-विक्षत लाश हरियाणा के रेवाड़ी के एक खेत में मिली थी। अनामिका के साथ गैंगरेप के अलावा कार में इस्तेमाल होने वाले औजारों से पीटा गया था। उसके ऊपर मिट्टी के बर्तन फोड़े गए थे और सिगरेट से दागा गया था। निजी अंग में औजार व शराब की बोतल डाली गई और गर्म लोहे से दागा गया। उसके चेहरे को तेजाब से जलाया गया था।
इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने 2014 में तीनों को रेयरेस्ट ऑफ द रेयर केस मानते हुए फांसी की सजा सुनाई थी। दिल्ली हाई कोर्ट ने भी ट्रायल कोर्ट के फांसी के आदेश को बरकरार रखा था। कोर्ट ने ही पीड़िता का नाम अनामिका रखा था। सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने तीनों को फांसी की सजा की पुष्टि की मांग की। उन्होंने कहा कि पीड़िता के साथ अकल्पनीय दरिंदगी हुई।
(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)