धान खरीद में छत्तीसगढ़ देश में अग्रणी, 23 लाख किसानों ने बेचा धान

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रायपुर: छत्तीसगढ़ में समर्थन मूल्य पर धान खरीद, उठाव, कस्टम मिलिंग और सेंट्रल पूल में चावल जमा कराने के मामले में छत्तीसगढ़ नित नये रिकॉर्ड गढ़ रहा है। समर्थन मूल्य पर सर्वाधिक 23.42 लाख किसानों से धान खरीद कर छत्तीसगढ़ ने देश के सभी राज्यों को पीछे छोड़ दिया है। धान के उठाव और कस्टम मिलिंग के मामले में भी छत्तीसगढ़ रिकॉर्ड कामयाबी की ओर अग्रसर है।

इस साल छत्तीसगढ़ राज्य ने समर्थन मूल्य पर 107.53 लाख मेट्रिक टन धान की खरीद की है। किसानों से क्रय किए गए धान के उठाव की बेहतर एवं समानान्तर व्यवस्था के चलते खरीद केन्द्रों से अब तक 100 लाख 25 हजार मेट्रिक टन धान का उठाव हो चुका है, जो कि उपार्जित धान का 92 प्रतिशत है। कस्टम मिलिंग के लिए मिलर्स द्वारा सीधे खरीद केन्द्रों से धान का उठाव करने से आज की स्थिति में राज्य में 577 खरीद केन्द्र धान से पूरी तरह से खाली हो गए हैं।

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छत्तीसगढ़ में जिस तेजी से खरीद केन्द्रों से धान के उठाव का सिलसिला जारी है, उसको देखते हुए यह अनुमान है कि हफ्ते भर में सभी 2617 खरीद केन्द्रों से शत-प्रतिशत धान का उठाव हो जाएगा। राज्य में युद्ध स्तर पर कस्टम मिलिंग और सेंट्रल पूल में चावल जमा करने का सिलसिला भी जारी है। सेंट्रल पूल में अब तक 32 लाख मेट्रिक टन चावल जमा किया जा चुका है। छत्तीसगढ़ को इस साल सेंट्रल पूल में 61 लाख मेट्रिक टन चावल जमा करना है। राज्य में धान की खरीद की मात्रा, उठाव और कस्टम मिलिंग की स्थिति को देखते हुए, यह लक्ष्य भी जल्द पूरा हो जाएगा।

खाद्य सचिव टीके वर्मा ने शुक्रवार को बताया कि धान उठाव के मामले में रायपुर, बिलासपुर, कोरबा, जांजगीर-चांपा, गरियाबंद, महासमुन्द, नवगठित जिला सारंगढ़-बिलाईगढ़ राज्य में अन्य जिलों से आगे चल रहे हैं। इन जिलों में खरीदे गए धान का 99 प्रतिशत उठाव हो चुका है। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा धान के कस्टम मिलिंग की राशि 40 रुपये से बढ़ाकर 120 रुपये करने और खरीद केन्द्रों से धान के सीधे उठाव की व्यवस्था के चलते धान के उठाव और कस्टम मिलिंग को लेकर मिलर्स में होड़ मची है। यही वजह है, कि खरीद केन्द्रों से मिलर्स धान का तेजी से उठाव और कस्टम मिलिंग के लिए दिन-रात किए हुए हैं। राज्य में कस्टम मिलिंग के लिए इस साल मिलर्स के पंजीयन संख्या में भी वृद्धि हुई है। बीते वर्ष 2035 मिलर्स ने पंजीयन कराया था, इस साल 254 नये मिलर्स के पंजीयन कराने से यह संख्या बढ़कर 2289 हो गई है। खरीद केन्द्रों से सीधे धान का उठाव होने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि धान के सूखत और झड़त से होने वाला नुकसान बचेगा। खरीदे धान को संग्रहण केन्द्रों में ले जाकर भंडारित करने पर होने वाला परिवहन व्यय भी बचेगा। इसके चलते सरकार को लगभग 150 से 200 करोड़ रुपये की बचत होगी।

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