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धूमधाम से मनाया गया श्रीराधामाधव देवस्थानम् मंदिर में छठी महोत्सव, लड्डू गोपाल की अनुपम छटा ने मोहा मन

लखनऊः ‘झूला झूले रे नंदलाल, यशोमती मैया का गोपाल’ जैसे भजनों व राधा-कृष्ण की अनुपम झांकी के बीच श्री राधामाधव देवस्थानम् (मंदिर) में भगवान लड्डू गोपाल का छठी पर्व शनिवार 31 अगस्त को हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। शंख, घंटे, मजीरा व ढोलक की थाप की आवाज से मंदिर परिसर समेत पूरा वातावरण गुंजायमान हो रहा था। भक्त अपने नन्हे बाल गोपाल को देखने के लिए आतुर नजर आए और बाल गोपाल का अलौकिक व अनुपम श्रृंगार हर किसी की अपनी ओर आकर्षित कर रहा था।

वसुप्रधा फाउंडेशन ट्रस्ट द्वारा माधवग्रीन्स, गोमतीनगर में स्थापित श्री राधामाधव देवस्थानम् (मंदिर) की छठी के अवसर पर मनोरम छटा देखते ही बन रही थी। मंदिर को फूलों, दीपों व रंग-बिरंगी लाइटों से पूरी तरह सजाया गया था। बाल गोपाल की छठी के पर्व पर श्री राधामाधव देवस्थानम् (मंदिर) में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी और सायं पांच बजे से ही भक्तजन मंदिर में अपने प्रियतम कान्हा के दर्शन को उमड़ने शुरू हो गए। मंदिर में सैकड़ों की संख्या में पहुंचे श्रद्धालु ढोल, ताशे, हारमोनियम और खंजरी की धुन पर कृष्ण भक्ति में लीन नजर आए। मंदिर के मुख्य ट्रस्टी मथुरेश श्रीवास्तव ने बताया कि मंदिर परिसर में प्रति वर्ष बड़े धूमधाम से लड्डू गोपाल का जन्मोत्सव व छठी समारोह का आयोजन होता है।

कार्यक्रम में आने वाले श्रद्धालुओं को लेकर विशेष तौर पर तैयारियां की जाती हैं। इस अवसर पर विशेष प्रकार के भोग, नैवेद्य एवं मंत्रोच्चार के साथ श्रीराधामाधव की आराधना और सेवा की जाती है। बताया कि श्री राधामाधव देवस्थानम् मंदिर में भक्तों की आस्था दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है और जो भी भक्त यहां पर सच्चे मन से अर्जी लगाता है, उसकी सकल मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होती हैं और उनके कष्ट दूर हो जाते हैं। छठी उत्सव का प्रारंभ सायंकाल 6:30 बजे अवध प्रांत के प्रांत प्रचारक कौशल जी द्वारा 101 किलो लड्डू एवं अन्य नैवेद्यों का भोग लगाकर एवं आरती व पूजन-अर्चन कर किया गया। इस अवसर पर लखनऊ विभाग के प्रचारक अनिल जी, भाग प्रचारक कमलेश जी, विभाग कार्यवाहक अमितेश जी, पूर्व संगठन मंत्री ओमप्रकाश जी, ललित जी, प्रशांत भाटिया सहित तमाम गणमान्यजन उपस्थित रहे। शाम होते-होते पूरा वातावरण अद्भुत शोभा पाने लगा। लड्डू गोपाल की झांकी, फूलों की सजावट, रंग-बिरंगी झालरों एवं मंदिर के प्रत्येक भाग की साज-सज्जा से अद्भुत शोभा पा रही थी।

विशेष संवाददाता रघुनाथ कसौधन के मुताबिक, सायंकाल की आरती उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य व श्रीराम मंदिर आंदोलन के अगुवा, बजरंग दल के संस्थापक व पूर्व सांसद विनय कटियार जी ने 101 किलो लड्डू, फल आदि का भोग लगाकर भक्तिभाव से लड्डू गोपाल को झूला झुलाया। इस अवसर पर मुख्य रूप से गुरुजी लोकेंद्र चतुर्वेदी जी ने अपने नेतृत्व में पूजन-अर्चन कराकर विशिष्ट अतिथियों को आशीर्वाद प्रदान किया। इस दौरान भगवान श्री राधामाधव की अद्भुत छटा देखकर दोनों नेतागण भाव-विभोर नजर आये। उनके साथ अरविंद जी, धनंजय जी, विधायक ओम प्रकाश श्रीवास्तव साथ में मौजूद रहे। पूर्व मंत्री डॉ. महेंद्र सिंह ने 111 किलो लड्डू का भोग लगाकर शयन आरती कर प्रसाद ग्रहण किया। मंदिर की व्यवस्था बहुत ही चुस्त-दुरुस्त थी। ट्रस्ट के 150 से अधिक कार्यकर्ता अलग-अलग विभागों का नेतृत्व कर रहे थे, जिससे सम्पूर्ण कार्यक्रम बहुत ही सफलता से सम्पन्न हुआ।

कान्हा के भजनों ने सभी को किया मंत्रमुग्ध

कान्हा के छठी महोत्सव में आए सभी श्रद्धालु कान्हा के भजनों पर झूमते नजर आए। राधा-कृष्ण की झांकी ने हर किसी को पूरी तरह मंत्रमुग्ध कर दिया। इसके साथ ही भजन मंडली द्वारा भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं से लेकर गोपिकाओं से उनके प्रेम व माता यशोदा से उनके स्नेह से जुड़ी भजनों की धुन छेड़ी तो हर कोई भक्ति रस में गोते लगाता नजर आया। कान्हा के दर्शन करने के बाद लोग पंडाल में कान्हा की लीलाओं का वृत्तांत सुनकर नाचते और झूमते नजर आए।

भंडारे में हजारों श्रद्धालुओं ने ग्रहण किया प्रसाद

लड्डू गोपाल के छठी महोत्सव में ट्रस्ट द्वारा वृहद भंडारे का आयोजन किया गया था, जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने छककर प्रसाद ग्रहण किया। पूड़ी-सब्जी के साथ छोला-चावल व हलवा का प्रसाद ग्रहण करने के लिए भक्तों की भारी भीड़ लगी रही। शाम पांच बजे से ही भंडारा शुरू कर दिया गया था, जो देर रात बारह बजे तक चलता रहा। मंदिर में हजारों लोगों ने देर रात 12 बजे तक कान्हा के दर्शन किया और प्रसाद ग्रहण किया। कार्यक्रम बिना किसी व्यवधान के सकुशल संपन्न हो गया।

छठी पूजन का महत्व

छठी, भगवान श्रीकृष्ण के आगमन की खुशी का उत्सव है। मान्यताओं के अनुसार, किसी घर में बच्चे के जन्म के 06 दिन बाद छठी मनाई जाती है। माना जाता है कि इस दिन षष्ठी देवी की पूजा करने से बच्चे का स्वास्थ्य उत्तम रहता है। षष्ठी देवी को बच्चों की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। उनकी कृपा से राजा प्रियव्रत के मृत पुत्र को पुनर्जीवित किया गया था। इसी के कारण बच्चे के जन्म के छह दिन बाद छठी पूजा की जाती है। पुराणों के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने अपने अवतरण के छह दिनों बाद ही पूतना नाम की भयानक राक्षसी का दमन भी किया था और उसके आतंक से गोकुलवासियों को भयमुक्त किया था। इस रूप में भी लोगों द्वारा उत्सव मनाया जाता है।

मंदिर की आभा देख भक्त हुए मंत्रमुग्ध

मंदिर पहुंची भक्त रागिनी दुबे ने कहा कि उन्होंने विधि-विधान से लड्डू गोपाल की पूजा-अर्चना की। ब्रह्म मुहूर्त में स्नान के बाद पहला काम यही था। उन्होंने कहा कि मंदिर तो ऐसा सजाया गया है कि वह इसे एकटक निहारती ही रह गईं। संगीता ने अपनी खुशी को व्यक्त करते हुए कहा कि वह प्रभु को विराजमान देख काफी खुश हुईं। लड्डू गोपाल के पास दीपक जलाकर आरती की इच्छा थी, वह पूरी हुई। मंदिर के अंदर से बाहर तक केवल भक्तिवर्षा हो रही है। अवधराम ने बताया कि अपने भगवान से जीवन में सुख-समृद्धि की कामना की है। उन्होंने बताया कि वह कृष्ण छठी पहले भी मनाते रहे हैं। इस बार यहां आकर मना रहे हैं। अवधराम कहते हैं कि पूजा-पाठ और भक्ति गीतों का आनंद पहली बार एक साथ यहीं मिला।

गोमती सिंह का कहना था कि इस दिन षष्ठी देवी की पूजा की जाती है। षष्ठी देवी को अधिष्ठात्री देवी कहा जाता है और उनकी कृपा से राजा प्रियव्रत का मृत पुत्र फिर से जीवित हो गया था इसलिए बच्चे की छठी पूजी जाती है। इसी तरह भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के बाद उनकी भी छठी पूजी जाती है। वह कहते हैं कि कान्हा को कढ़ी-चावल का भोग लगाया जाता है और ऐसा करना उन्हें भी पसंद है।

पंडाल में बैठी प्राची ने कुछ अलग अंदाज में छठी पर्व मनाया। उन्होंने बताया कि नन्दलाल की छठी जन्माष्टमी के 06 दिन बाद मनाते हैं, पर ऐसी इच्छा होती है कि यह मौका हर दिन आए। उन्होंने बताया कि जन्मदिन और जन्म के दौरान गाए जाने वाले गाने वह गातीं और गुनगुनाती हैं। निशी कहती हैं कि लड्डू गोपाल को बार-बार देखने का मन होता है। ऐसा लगता है कि वह मुस्काने वाले हैं। वह एक लाइन गीत भी सुनाती हैं, कब मुस्काए कान्हा हौले-हौले। निशी कहती हैं कि उन्हे कान्हा का श्रृंगार करना काफी पसंद है।

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