Chhath Puja 2023: कोलकाता में लोक आस्था का महापर्व छठ आज शुक्रवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया है। पहले दिन व्रती सुबह में चावल, दाल और कद्दू की सब्जी से पारना करते हैं। इसके बाद 36 घंटे तक निर्जला व्रत रहेगा। पश्चिम बंगाल में छठ पर्व के लिए रविवार को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाना है।
उससे पहले गंगा घाटों की सफाई शुरू हो गई है। पुरानी झीलों को साफ-सुथरा रखने के लिए कोलकाता नगर निगम की ओर से कृत्रिम तालाब बनाये जा रहे हैं, जहां सूर्य को अर्घ्य दिया जायेगा। सोमवार की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही छठ पर्व का समापन हो जाएगा। इसके लिए छठ व्रती महिलाएं नहाय-खाय करने के बाद 36 घंटे से ज्यादा समय तक भूखे रहकर व्रत रखती हैं और सूर्य की पूजा करती हैं। सड़कों की सफाई की जा रही है और इलाके के क्लब और स्थानीय लोग छठ व्रतियों के लिए घाट तक जाने और लौटने की व्यवस्था करने में जुट गये हैं।
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सूर्य को अर्घ्य देने का पर्व
मालूम हो कि छठ पर्व, छठ या षष्ठी पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाने वाला एक हिंदू त्योहार है। सूर्य उपासना का यह अनोखा लोकपर्व मुख्य रूप से पूर्वी भारत के बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है। धीरे-धीरे यह त्यौहार प्रवासी भारतीयों के साथ-साथ दुनिया भर में लोकप्रिय हो गया है। छठ पूजा सूर्य और उनकी पत्नी उषा को समर्पित है। इसमें किसी मूर्ति की पूजा नहीं की जाती और सबसे बड़ी बात यह है कि छठी मैया की पूजा के लिए व्रत करने वाली महिलाएं 36 घंटे से ज्यादा समय तक भूखी रहती हैं। इसीलिए इसे आस्था का महापर्व कहा जाता है।
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