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राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से लेकर राष्ट्रपति कोविंद के प्रथम आगमन का साक्षी बना चारबाग रेलवे स्टेशन

लखनऊः देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द अपनी पत्नी और पुत्री के साथ दो दिवसीय भ्रमण के लिए लखनऊ पहुंचे। वे प्रेसिडेंशियल एक्सप्रेस ट्रेन से चारबाग स्टेशन पर उतरे हैं। इस ट्रेन को लेकर अगर बात की जाये तो यह बेहद खास और अनेक सुविधाओं से लैस है। रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि प्रदेश की राजधानी होने के बावजूद पहली बार प्रेसिडेंशियल ट्रेन लखनऊ पहुंची हैं। अहम यह भी है कि चारबाग रेलवे स्टेशन ने अब तक राष्ट्रपिता से लेकर राष्ट्रपति तक की अगवानी की है।

प्रेसिडेंशियल ट्रेन इसलिए होती है बेहद खास रेलवे के अधिकारियों ने यह बताया कि प्रेसिडेंशियल ट्रेन कई खासियतों से भरी हुई होती है। इस ट्रेन में दो कोच होते हैं। ट्रेन की खिड़कियाें के शीशे बुलेटप्रूफ हैं। ट्रेन में जीपीआरएस सिस्टम के अलावा सेटेलाइट आधारित कम्युनिकेशन प्रणाली और पब्लिक एड्रेस सिस्टम लगा हुआ है। ट्रेन में डाइनिंग रूम, विजिटिंग रूम, लाउंज और कॉन्फ्रेंस रूम भी बना हुआ है।

प्रथम राष्ट्रपति से लेकर रामनाथ कोविन्द ने की प्रेसिडेंशियल ट्रेन की यात्रा रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जहां तक उन्हें याद है कि प्रेसिडेंशियल ट्रेन में अब तक अलग-अलग राष्ट्रपति तकरीबन 87 बार यात्रा कर चुके हैं। वर्ष 1950 में पहली बार प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने प्रेसिडेंशियल ट्रेन के खास सैलून में यात्रा की थी। वे दिल्ली से कुरुक्षेत्र गए थे। इसके बाद डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन और डॉ. नीलम संजीव रेड्डी ने भी प्रेसिडेंशियल ट्रेन में यात्रा की थी। वर्ष 1960 से लेकर 1970 तक कई बार प्रेसिडेंशियल ट्रेन का उपयोग किया गया है। वर्ष 2003 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने प्रेसिडेंशियल ट्रेन से बिहार की यात्रा की थी।

न्यूनतम किराया 1.50 लाख रुपये प्रेसिडेंशियल ट्रेन कई सुविधाओं से लैस होती है। इस ट्रेन में एक पांच सितारा होटल की सारी सुविधाएं उपलब्ध रहती है। तमाम सुविधाओं के अलावा ट्रेन में दो रेस्टोरेंट भी हैं। ट्रेन में महाराजा एक्सप्रेस की बोगियां लगती हैं, जिनका न्यूनतम किराया डेढ़ लाख और अधिकतम किराया 15 लाख रुपये होता है। इस ट्रेन को सेवन स्टार लग्जरी अवार्ड भी मिल चुका है।

चारबाग स्टेशन पर हुई थी गांधी-नेहरू की पहली मुलाकात राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद प्रेसिडेंशियल ट्रेन से 107 साल पुराने चारबाग रेलवे स्टेशन पर उतरे। इससे पहले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी 26 दिसम्बर 1916 को पहली बार ट्रेन से लखनऊ आए थे। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जब पहली बार लखनऊ आए थे, तब देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू से उनकी मुलाकात इसी स्टेशन पर हुई थी। मौका था कांग्रेस के अधिवेशन का, जिस दौरान वह पांच दिनों तक शहर में रहे। तकरीबन 20 मिनट की मुलाकात में पंडित जी बापू के विचारों से काफी प्रभावित हुए। इस मुलाकात का जिक्र नेहरू ने अपनी आत्मकथा में भी किया है। जिस जगह पर बापू और नेहरू की मुलाकात हुई वहां आजकल स्टेशन की पार्किंग बनी हुई है।

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सन 1914 में बना चारबाग स्टेशन चारबाग लखनऊ को प्रमुख रेलवे स्टेशन में गिना जाता है। है। यह 1914 में बनकर तैयार हुआ था और इसके स्थापत्य में राजस्थानी भवन निर्माण शैली की झलक देखी जा सकती है। चारबाग में स्थित होने के कारण इसे चारबाग स्टेशन भी कहते हैं।