Chandrayaan-3: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने एक और बड़ी सफलता हासिल कर ली है। चंद्रयान को चंद्रमा की सतह के और करीब लाने के लिए इसरो ने आज चौथा मेनुवर सफलता पूर्वक पूरा कर लिया है और इस प्रक्रिया के पूरा होने के बाद अब चंद्रयान 3 से चांद की दूरी काफी कम हो गई है। अब चंद्रयान चांद से बस 153KM x163 KM किमी रह गई है। ISRO ने बताया कि अब चंद्रयान का कोई ऑर्बिट नहीं बदला जाएगा। 16 अगस्त की सुबह करीब 8.38 बजे चंद्रयान का इंजन एक मिनट के लिए चालू किया गया। जिसके बाद इसकी कक्षा बदल दी गई। पहले यह 150 किमी x 177 किमी की कक्षा में था।
ISRO ने बुधवार को चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) को चंद्रमा के और करीब ले जाते हुए कहा कि लैंडर मॉड्यूल को गुरुवार को प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग किया जाएगा। अंतरिक्ष एजेंसी ने एक ट्वीट में कहा, “आज की सफल फायरिंग, जो थोड़े समय के लिए आवश्यक थी, ने चंद्रयान-3 को अपनी मंशा के अनुरूप 153 किमी गुना 163 किमी की कक्षा में स्थापित कर दिया है।
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चंद्रयान की कक्षा बदलने का काम पूरा
ISRO ने बताया कि चंद्रयान की कक्षा बदलने का काम अब पूरा हो चुका है। अब लैंडिंग की तैयारी का टाइम आ गया है क्योंकि प्रोपल्शन मॉड्यूल और लैंडर मॉड्यूल अपनी अलग-अलग यात्राओं के लिए तैयार हो रहे हैं। लैंडर मॉड्यूल को प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग करने की योजना 17 अगस्त 2023 को बनाई गई है। चंद्रयान-3 में एक प्रोपल्शन मॉड्यूल ( 2,148 KG), एक लैंडर (1,723.89 KG) और एक रोवर (26 KG) शामिल हैं।
High five, from CHANDRAYAAN 3 to you!
The final and fifth Lunar bound orbit maneuver for the Chandrayaan-3 spacecraft was performed successfully today (August 16, 2023). The achieved orbit is 153 km x 163 km, as intended.
Separation of the Lander Module from the Propulsion…
— LVM3-M4/CHANDRAYAAN-3 MISSION (@chandrayaan_3) August 16, 2023
भारत के तीसरे चंद्र मिशन का मुख्य उद्देश्य लैंडर को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतारना है। चंद्रयान-2 मिशन में लैंडर पर नियंत्रण खोने के कारण सॉफ्ट लैंडिंग की जगह क्रैश लैंडिंग हुई और लैंडर क्रैश हो गया। इसरो ने बताया कि लैंडर के 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतर सकता है।
100 KM की ऊंचाई से चंद्रमा पर उतरेगा लैंडर
लैंडर चंद्रमा की सतह से लगभग 100 किमी की ऊंचाई से चंद्रमा पर उतरेगा। सॉफ्ट लैंडिंग एक पेचीदा मसला है. सुरक्षित और जोखिम-मुक्त क्षेत्र खोजने के लिए लैंडिंग से पहले साइट की इमेजिंग की जाएगी। लैंडिंग के बाद, छह पहियों वाला रोवर बाहर निकलेगा और एक चंद्र दिवस की अवधि के लिए चंद्र सतह पर प्रयोग करेगा, जो पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर है। चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को भारत के हेवी लिफ्ट रॉकेट LVM3 द्वारा पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया गया था। इसके बाद 1 अगस्त को यह पृथ्वी की कक्षा छोड़कर चंद्रमा की ओर चला गया।
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