नई दिल्लीः आचार्य चाणक्य की नीतियां सदैव समाज को दिशा देने का काम करती हैं। उनके विचारों का अनुसरण करने वाले मनुष्य के मान-सम्मान में भी वृद्धि होती है। आचार्य चाणक्य की नीतियों ने हमेशा मनुष्य को कल्याण का रास्ता दिखाया है। आचार्य चाणक्य ने यह भी बताया कि कैसे लोगों को समाज में सभी से प्रेम मिलता है और कैसे लोग किसी के भी प्यार या विश्वास के काबिल नहीं होते है। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे लोगों को अपने व्यवहार में परिवर्तन कर लेना चाहिए।
श्लोक
अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम।
उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् ॥
अर्थात् जिन लोगों का ह्दय विशाल होता है उनके लिए पूरी धरती ही कुटुम्ब के समान होती है। इसके विपरीत जिन लोगों का ह्दय छोटा होता है। उनकी सोच भी उनके ह्दय की तरह ही छोटी होती है और ऐसे लोग अपने-पराये के बीच में ही फंसकर रह जाते हैं। ऐसे लोगों को समाज में भी कोई पसंद नहीं करता। आचार्य चाणक्य के अनुसार व्यक्ति को अपना ह्दय हमेशा विशाल रखना चाहिए और सदैव परहित के बारे में सोचना चाहिए। यदि आप सदैव दूसरों की भलाई में सोंचेगे और उसी दिशा में कार्य करेंगे तो आपके मान-सम्मान में दिन-प्रतिदिन बढ़ोत्तरी होगी।
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इसके साथ ही समाज में आपके चाहने वालों की संख्या में भी इजाफा होगा। दूसरों की भलाई और मदद करने वाले लोगों को सभी पसंद करते है। इसके विपरीत जिन लोगों का ह्दय छोटा होता है। ऐसे लोगों के विचार भी उनके ह्दय के समान ही छोटा होता है। वह कभी भी परोपकार के बारे में नहीं सोच पाते। ऐसे व्यक्ति हमेशा अपने ही फायदे के बारे में सोचते हैं। इस स्वभाव वाले व्यक्ति को समाज भी नकार देता है और उनसे लोग घृणा ही करते हैं। छोटे ह्दय वाले लोगों को कोई पसंद नहीं करता है और केवल अपने ही होकर रह जाते हैं।
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