Himachal News: हिमाचल के चंबा में महिलाएं अचार, पापड़ और बड़ियां बनाकर आत्मनिर्भर बन रही हैं और हर महीने 15 से 20 हजार रुपये कमा रही हैं। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत यहां महिलाएं आस्था स्वयं सहायता समूह से जुड़कर खाद्य प्रसंस्करण का प्रशिक्षण ले रही हैं। यहां की महिलाओं द्वारा बनाए गए उत्पाद प्रदेश में लगने वाले मेलों और प्रदेश से बाहर की मंडियों में बिक्री के लिए भेजे जाते हैं। ग्राम पंचायत हरिपुर की निवासी रीता देवी ने बताया कि एक समूह में नौ महिलाएं काम करती हैं।
महिलाओं ने कई तरह का अचार बनाना सीखा
साल 2019 में हमें खाद्य प्रसंस्करण का प्रशिक्षण दिया गया। इस प्रशिक्षण के दौरान हमने विभिन्न प्रकार के अचार बनाना सीखा। साल 2019 में चंबा में एक प्रदर्शनी लगाई गई थी। जिसमें हमारे समूह द्वारा बनाए गए उत्पादों को प्रदर्शित किया गया था। अब धीरे-धीरे हमारा काम बढ़ रहा है। हम दिल्ली चंडीगढ़ में अपने उत्पाद पहुंचा रहे हैं। हमारे यहां 56 महिलाएं हैं। जो अलग-अलग गतिविधियों से जुड़ी हैं।
महिलाएं हर महीने कर रही मोटी कमाई
पशुपालन के काम से महिलाएं 15 से 20 हजार रुपये महीना कमा रही हैं। महिला स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं राजकीय बहुतकनीकी संस्थान चंबा (सरोल स्थित) में हिम युग कैंटीन का भी सफलतापूर्वक संचालन कर रही हैं। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) ने हमें ऐसा मंच दिया है। जहां महिलाएं सशक्त हो रही हैं। हमें कई फंड भी मिले हैं, जिससे हम बड़े स्तर पर अपना काम कर रहे हैं।
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2022 से राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से जुटी हैं महिलाएं
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ी निशा ने बताया कि वह वर्ष 2022 से राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ी हैं। इस मिशन से जुड़कर हमने महिला सशक्तीकरण का लक्ष्य रखा है। ग्रामीण तबके की जो महिलाएं किसी कारणवश पिछड़ गई हैं, शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाई हैं, लेकिन उनमें कुछ करने का जज्बा है। उन्हें प्रशिक्षित किया जा रहा है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के तहत फंड भी मुहैया करवाया जाता है।