नई दिल्ली: सरकार चालू वित्तवर्ष में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) के पुनर्पूंजीकरण के रोडमैप को फिर से तैयार कर सकती है। दरअसल, संस्थाओं को अपने सभी उधारकर्ताओं के लिए ब्याज दायित्व पर ब्याज को पूरा करने के लिए अतिरिक्त बोझ का सामना करना पड़ रहा है, जबकि सेबी द्वारा एटी1 बॉन्ड के मानदंडों से बैंकों के लिए अपनी पूंजी जुटाने के लिए साधन कम आकर्षक रहेंगे।
सूत्रों ने कहा कि महामारी के समय मानदंडों में बदलाव और गलत संपत्ति में वृद्धि के मद्देनजर बैंकों की पूंजी की आवश्यकता का निर्धारण करने के लिए वित्त मंत्रालय ने प्रारंभिक अभ्यास शुरू कर दिया है। बैंकों द्वारा प्राप्त इनपुट के आधार पर, बजटीय संसाधनों से उन्हें अतिरिक्त पूंजी प्रदान की जा सकती है।
बजट में पीएसबी के पुनर्पूंजीकरण के लिए 20,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए, ताकि उनकी वित्तीय क्षमता को मजबूत करने में मदद मिल सके।
पुनर्पूंजीकरण की दिशा में पिछले वर्ष से कुछ शेष राशि संवितरण के लिए भी उपलब्ध है। इसके अलावा, पीएसबी ने वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान सतत रूप से बफर्स का निर्माण किया है, ताकि महामारी से लगने वाले झटके की स्थिति में उनके लचीलेपन में सुधार हो सके। लेकिन इसके बावजूद, बैंकों को व्यापार वृद्धि के लिए और नियामक मानदंडों को पूरा करने के लिए सरकार से अधिक पूंजी की आवश्यकता होगी।
यह समस्या भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के संज्ञान में भी है अब वह सभी उधारकर्ताओं के लिए ब्याज पर ब्याज के प्रति अपने दायित्व को पूरा करने के लिए बैंक को पत्र लिख रहा है, जहां एक्सपोजर 2 करोड़ रुपये से अधिक है। इससे बैंकों पर करीब 7,500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।
इसके अलावा सेबी ने वित्त मंत्रालय द्वारा उठाई गई आपत्तियों के अनुरूप सतत बॉन्ड के मूल्यांकन नियम में संशोधन किया है। हालांकि सरकार पीएसबी के विलय और समामेलन द्वारा बैंकिंग खंड को मजबूत करने में जुटी है।