कोलकाता: पश्चिम बंगाल के बहुचर्चित मवेशी तस्करी मामले में गिरफ्तार बीरभूम के बाहुबली तृणमूल नेता अणुव्रत मंडल के खिलाफ जांच कर रही सीबीआई की एक बड़ी गलती सामने आ रही है। एजेंसी ने मंडल के खिलाफ जो चार्जशीट दाखिल की है उसमें एक मृत व्यक्ति को भी गवाह के तौर पर लिस्टेड किया गया है। इसे लेकर एजेंसी की कार्यशैली सवालों के घेरे में आ गई है।
केंद्रीय एजेंसी ने आसनसोल की विशेष सीबीआई कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की है। उसमें 95 लोगों के नाम गवाह के तौर पर शामिल किए गए हैं। उसी में एक माधव केर्तव्य का भी नाम है, जिसकी सड़क दुर्घटना में काफी पहले मौत हो चुकी है। आरोप है कि सहगल हुसैन के बेहद खास माधव मवेशी तस्करी कारोबार के सारे राज जानता था। यहां तक की तस्करी में मददगार भी था, जिसके बाद उसे जानबूझकर इस तरह से मारा गया था कि उसकी मौत दुर्घटना लगे। उसी व्यक्ति का नाम सीबीआई ने गवाह के तौर पर चार्जशीट में दिया है जिसे लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। अप्रैल महीने में माधव की मौत हो गई थी।
हालांकि केंद्रीय एजेंसी के एक अधिकारी ने बताया है कि अप्रैल महीने से पहले भी माधव से पूछताछ हुई थी और उसने कई महत्वपूर्ण जानकारी तथा दस्तावेज सीबीआई को सौंपे थे। वे सारे दस्तावेज और माधव के बयान मंडल के खिलाफ साक्ष्य हासिल करने और जांच को आगे बढ़ाने में मददगार साबित हुए थे। इसलिए उसका नाम गवाह के तौर पर दिया गया है।
जानकारी के अनुसार अप्रैल महीने में सहगल हुसैन के परिवार के साथ माधव दुर्गापुर से बीरभूम लौट रहा था तभी रास्ते में उसकी गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। इसमें माधव के साथ सहगल की बेटी भी मौत हो गई थी। घटना के सात महीने बाद सीबीआई ने चौथी चार्जशीट दाखिल की है जिसमें माधव को गवाह बनाया है।
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कानून विशेषज्ञों का मानना है कि चार्जशीट दाखिल करने से पहले अगर किसी गवाह की मौत हो गई है तो नियमानुसार गवाहों की सूची से उस नाम को हटा दिया जाता है क्योंकि जिन लोगों के नाम गवाह के तौर पर होते हैं वे अदालती प्रक्रिया में गवाही देने के लिए हाजिर किए जाते हैं। हालांकि केंद्रीय एजेंसी ने बताया है कि माधव की पत्नी का भी नाम गवाह के तौर पर है।
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