लखनऊः केंद्रीय जांच ब्यूरो ने उत्तर प्रदेश के गोमती रिवरफ्रंट घोटाला मामले में चार्जशीट दाखिल कर दी है। इसमें सिंचाई विभाग के तत्कालीन एक्जीक्यूटिव इंजीनियर रूप सिंह यादव, उनके जूनियर असिस्टेंट राज कुमार यादव, एक प्राइवेट फर्म के एडवाइजर बद्री श्रेष्ठ सहित एक और कंपनी के दो निदेशक हिमांशु गुप्ता और कविश गुप्ता शामिल हैं। चार्जशीट में प्राइवेट फर्म को भी शामिल किया गया है। अखिलेश यादव की सरकार में इस परियोजना की शुरुआत की गई थी। इसके बाद मार्च, 2017 में योगी आदित्यनाथ द्वारा मुख्यमंत्री का पद संभालने के बाद सीबीआई को इस मामले में जांच के निर्देश दिए गए। इसके बाद नवंबर, 2017 को औपचारिक रूप से इस मामले की जिम्मेदारी एजेंसी को दे दी गई।
मार्च, 2018 में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी इस संबंध में धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत एक आपराधिक मामला दर्ज किया। सीबीआई ने कहा कि लखनऊ में यह चार्जशीट आपराधिक विश्वासघात, मूल्यवान सुरक्षा से धोखाधड़ी, धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी, अवैध संतुष्टि की मांग, लोक सेवक द्वारा आपराधिक कदाचार और भ्रष्टाचार अधिनियम की रोकथाम के आरोपों के तहत दाखिल की गई है। सीबीआई अधिकारियों ने कहा कि जांच के दौरान यह सामने आया है कि अभियुक्तों ने गोमती में गिरने वाले नालों को रोकने के काम को देने में अनियमितता की और साथ ही एक प्राइवेट फर्म को यह काम सौंपने के लिए टेंडर की तारीख को भी दो बार बढ़ाया।
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सीबीआई ने कहा कि टेंडर की प्रक्रिया में तीन फर्म के होने की बाध्यता को पूरा करने के लिए आरोपियों ने एक अन्य फर्म के जाली दस्तावेज भी उपलब्ध कराए थे। फंड के आवंटन और अनुमोदन के बिना अभियुक्तों ने इस काम के लिए अनुबंध किया। मामले में नामित अन्य लोगों के खिलाफ जांच अभी भी लंबित है। जांचकर्ताओं ने कहा है कि घोटाले के सही मूल्य और वित्तीय अनियमितता का पता पूरा विवरण मिलने के बाद ही चलेगा। 1600 करोड़ रुपये की इस परियोजना में गोमती नदी में पानी के स्तर को बनाए रखने के लिए एक रबड़ डैम का निर्माण, एक स्टेडियम, 2000 लोगों के लिए एक एम्पीथिएटर, बाइसाइकिल और जॉगिंग क्षेत्र, बच्चों के लिए खेलने की जगह और एक म्यूजिकल फाउंटेन का निर्माण शामिल हैं।