Bihar News: केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने 20 लाख रुपये के रिश्वत मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की पटना शाखा में कार्यरत पुलिस उपाधीक्षक अजय प्रताप सिंह और दो बिचौलियों को गिरफ्तार किया है। सीबीआई ने बताया है कि जनता दल यूनाइटेड के पूर्व विधान परिषद सदस्य के बेटे रॉकी से मिली सूचना के आधार पर इस मामले में कार्रवाई की गई है। इस केस के आईओ अजय प्रताप सिंह थे।
NIA और CBI ने मिलकर बिछाया था जाल
यह मामला तब प्रकाश में आया जब सीबीआई को इस संबंध में सूचना मिली और उन्होंने तुरंत जांच शुरू कर दी। सीबीआई ने पटना में इस मामले की जांच करते हुए डीएसपी (DSP) को रंगे हाथों पकड़ लिया। साथ ही दो अन्य एजेंटों को भी गिरफ्तार किया है, जो इस भ्रष्टाचार में शामिल थे। एनआईए (NAI) और सीबीआई (CBI) ने जाल बिछाया, जिसमें अजय प्रताप फंस गए और उन्हें रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया। गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही एनआईए ने जेडीयू की पूर्व एमएलसी मनोरमा देवी के बेटे रॉकी यादव की कंपनी और ठिकानों पर छापेमारी की थी।
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एनआईए ने कई ठिकानों पर की थी छापेमारी
इस मामले में वह अपने एजेंटों के माध्यम से रिश्वत लेने की कोशिश कर रहा था। लगातार एजेंटों द्वारा रिश्वत के लिए दबाव बनाए जाने के बाद रॉकी ने इसकी शिकायत सीबीआई से की। इसके बाद सीबीआई ने कार्रवाई की। सीबीआई के अनुसार रॉकी यादव ने लिखित शिकायत में कहा था कि 19 सितंबर को एनआईए ने उसके ठिकानों पर छापेमारी की थी। इस छापेमारी के बाद उसे एनआईए डीएसपी की ओर से नोटिस मिला, जिसमें उसे 26 सितंबर को एनआईए कार्यालय में मिलने के लिए बुलाया गया था। वह 26 सितंबर को आईओ के समक्ष पेश हुआ।
उसने आरोप लगाया कि यहां पूछताछ के दौरान उसे और उसके परिवार के सदस्यों को विभिन्न प्रकार के झूठे मामलों में फंसाने की धमकी दी गई और 2.5 करोड़ की रिश्वत मांगी गई। अपने परिवार को बचाने के लिए वह रिश्वत देने के लिए तैयार हो गया। इसके बाद उसे 1 अक्टूबर को बुलाया गया और 70 लाख की मांग की गई, जिसे उसी दिन पटना में देने को कहा गया। रॉकी ने शिकायत में कहा कि उसने इसके लिए समय मांगा और 3 अक्टूबर को गया में रिश्वत देने की बात तय हुई। रॉकी की शिकायत की जानकारी एनआईए को भी दी गई। इसके बाद सीबीआई ने गया, पटना और वाराणसी में छापेमारी की। इस दौरान कई दस्तावेज, गैजेट और 20 लाख रुपये की रिश्वत राशि बरामद की गई।
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