तेजी से बढ़ रहे कंजक्टिवाइटिस के मामले, रहें सतर्क

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Cases of conjunctivitis are increasing rapidly be alert

लखनऊः मानसून की शुरुआत के साथ ही आंखा आना या कंजक्टिवाइटिस के मामलों में तेजी से वृद्धि होने लगी है। इससे पीड़ित होने पर तमाम लोग घरेलू उपचारया ओवर-द-काउंटर (ओटीसी) उपचार करने लगते हैं, जो कि काफी हानिकारक साबित हो सकता है। ऐसे में यदि आप कंजक्टिवाइटिस से पीड़ित हैं, तो घरेलू उपचार न आजमा कर चिकित्सक से संपर्क करें।

राजधानी के केजीएमयू, एसपीएम सिविल, लोकबंधु अस्पताल के अधिकारियों के मुताबिक, मानसून से पहले उनके यहां रोजाना 35-40 कंजक्टिवाइटिस के मरीज आते थे, जो अब बढ़कर 40-46 हो गए हैं। यह वृद्धि रोग पैदा करने वाले बैक्टीरिया के विकास के लिए अनुकूल परिस्थितियों के कारण है। केजीएमयू के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. सिद्धार्थ अग्रवाल कहा कि अगर किसी को आंखों में लालिमा, डिस्चार्ज, पपड़ीदार आंखें, जागने पर पलकों का चिपकना, धुंधली दृष्टि, प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता और जलन जैसे लक्षण महसूस होते हैं, तो उन्हें तुरंत चिकित्सा सलाह लेनी चाहिए। डॉ. अग्रवाल ने बताया कि मरीज आमतौर पर आंखों से पानी आना और बादल छाए रहने जैसे शुरुआती लक्षणों की शिकायत करते हैं।

उनमें से अधिकांश डॉक्टर से परामर्श लेने से बचते हैं और स्थानीय मेडिकल स्टोर से ओवर-द-काउंटर आई ड्रॉप का उपयोग करना चुनते हैं। खुद से दवा लेना या ओटीसी दोनों ही बहुत नुकसानदेह हो सकते हैं। मेडिकल स्टोर पर उपलब्ध ज्यादातर आई ड्राॅप में स्टराॅयड पाया जाता है, जो आंखों को नुकसान पहंुचा सकता है। डाॅ. अग्रवाल ने कंजक्टिवाइटिस से बचने के लिए स्वच्छता बनाए रखने को एक बहुत ही महत्वपूर्ण निवारक कदम माना है। नियमित रूप से नाखून काटने और आस-पास के वातावरण को साफ रखने से गुलाबी आंख को रोकने में मदद मिल सकती है।

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अस्पताल आने वाले ज्यादातर मरीज 10 से 30 साल की उम्र के बीच के होते हैं। मधुमेह रोगियों को वर्तमान में विशेष ध्यान रखना चाहिए। कंजक्टिवाइटिस से बहुत ही दुर्लभ मामलों में दृष्टि प्रभावित होती है। यह काफी संक्रामक होता है। हालांकि, सिर्फ पीड़ित की आंख में देखने से यह नहीं फैलता। छूने, एक ही तौलिया इस्तेमाल करने तथा एक-दूसरे का चश्मा इस्तेमाल करने से भी फैल सकता है। बताया कि विशेष रूप से कम प्रतिरक्षा वाले लोग संक्रमण के प्रति संवेदनशील होते हैं। इसे ठीक होने में आमतौर पर पांच से सात दिन लगते हैं। हालांकि, मरीजों को अपनी आंखें रगड़ने से बचना चाहिए, क्योंकि इससे जटिलताएं बढ़ सकती हैं।

लक्षण

एक या दोनों आंखों का लाल या गुलाबी दिखाई देना। आंखों में जलन या खुजली होना। आसामान्य रूप से अधिक आंसू निकलना। आंखों से पानी जैसा या गाढ़ा डिस्चार्ज निकलना। आंखों में किरकिरी महसूस होना। आंखों में सूजन आ जाना, यह लक्षण आमतौर पर एलर्जिक कंजक्टिवाइटिस के कारण दिखाई देते हैं।

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