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स्वेज नहर में फंसा कार्गो शिप, समुद्री यातायात ठप होने से बढ़ी भारत की चिंता

नई दिल्लीः मिस्र के स्वेज नहर में एक बड़े कार्गो जहाज के फंस जाने के कारण नहर के दोनों ओर समुद्री यातायात ठप हो गया है। स्वेज नहर में सी-ट्रैफिक ठप होने से दूसरे देशों के साथ ही भारत के ग्लोबल ट्रेड को भी बड़ा झटका लग सकता है। साथ ही अंतर्राष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल मे आई नरमी का फायदा उठाने से भी भारत चूक सकता है।

उल्लेखनीय है कि स्वेज नहर में एमवी एवरग्रीन नाम का लगभग 400 मीटर लंबा कार्गो शिप फंस गया है। तेज हवा की वजह से ये जहाज नहर में पूरी तरह से तिरछा होकर फंसा है, जिससे नहर से होकर आने और जाने वाले दोनों रास्ते बंद हो गए हैं। इस जहाज को निकालने की कोशिश लगातार की जा रही है, लेकिन अभी तक इसमें सफलता नहीं मिल सकी है। इस कार्गो शिप के रेस्क्यू के लिए कई टग बोट्स को लगाया गया है। लेकिन करीब 2.2 लाख टन के इस दैत्याकार जहाज को हटाने में कामयाबी नहीं मिल सकी है।

ग्लोबल ट्रेड एनालिस्ट आरके प्रभु का कहना है स्वेज नहर पूरी दुनिया में समुद्री रास्ते का सबसे महत्वपूर्ण ट्रेड रूट है। मानव निर्मित ये नहर लाल सागर और भूमध्य सागर को एक दूसरे से जोड़ती है। भारत आयात और निर्यात के लिए स्वेज नहर पर काफी हद तक निर्भर करता है। खासकर कच्चे तेल के आयात के लिए भारत आने वाले कंटेनर शिप सबसे ज्यादा स्वेज नहर का ही रास्ता अपनाते हैं।

भारत रोजाना इस रास्ते से करीब 5 लाख बैरल कच्चे तेल का आयात करता है। इसके अलावा निर्यात के लिए भी भारत स्वेज नहर वाले रूट का ज्यादा इस्तेमाल करता है। इसकी वजह से भारत आने या भारत से जाने वाला सामान कम समय में पहुंच जाता है, जिससे ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट में भी बचत होती है। लेकिन स्वेज नहर पर ट्रैफिक ठप हो जाने के कारण अब भारत के आयात और निर्यात दोनों में ही ज्यादा समय लगने की आशंका बन गई है।

माना जा रहा है कि स्वेज नहर में फंसे कार्गो शिप एमवी एवरग्रीन को निकालने में अभी और 2 दिन का समय लग सकता है। वहीं इस कार्गो शिप के फंसने के कारण स्वेज नहर के दोनों ओर लगे सी-ट्रैफिक जाम को खत्म होने में करीब तीन दिन का समय यानी कम से कम 30 मार्च तक का समय भी लग सकता है। इससे न केवल भारत से होने वाले आयात और निर्यात में ज्यादा समय लगेगा, बल्कि जहाजों के फंसे रहने की वजह से ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट (परिवहन लागत) में भी बढ़ोतरी हो जाएगी।

आरके प्रभु का कहना है कि कच्चे तेल के आयात के लिए भारत इस रूट का सबसे ज्यादा इस्तेमाल करता है। अभी अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल में नरमी का माहौल बना हुआ है, लेकिन स्वेज नहर पर ट्रैफिक जाम होने जाने के कारण अब भारत आने वाले कच्चे तेल की सप्लाई में समय लग सकता है। ये परेशानी इसलिए भी गंभीर है, क्योंकि अगर स्वेज नहर के रूट को छोड़कर किसी दूसरे रूट से कच्चा तेल मंगाया जाए, तो कंटेनर शिप को भारतीय बंदरगाहों तक पहुंचने में 10 से 15 दिन तक का ज्यादा समय लग सकता है। ऐसा होने से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के भाव में आई कमी का पूरा फायदा भारतीय तेल कंपनियों को नहीं मिल सकेगा। जिसका प्रत्यक्ष असर भारत में पेट्रोल और डीजल के दाम पर भी पड़ेगा और आम उपभोक्ताओं को कीमत में कमी का फायदा नहीं मिल सकेगा।

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