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Bye-bye 2021: साल भर महंगाई की आग में झुलसते रहे लोग, खाद्य सामग्रियों से लेकर तेल के दामों ने छकाया

नई दिल्लीः साल 2021 में महंगाई की आग लोगों को झुलसाती रही। डीजल-पेट्रोल के दामों से लेकर खाद्य सामग्रियों के दाम आसमान पर रहे और लोगों का घर का खर्च चलाना भी मुश्किल हो गया। खुदरा महंगाई के बाद थोक महंगाई दर में भी नवंबर माह में तेज उछाल आया। ईंधन और बिजली की महंगाई दर में तेज वृद्धि के साथ खाद्य महंगाई दर दोगुना से अधिक बढ़कर 6.70 फीसदी पर पहुंच गई। ऐसे में इस साल जनवरी से बढ़ रही थोक महंगाई में फिलहाल उपभोक्ताओं को कोई राहत मिलती नजर नहीं आ रही है। विशेषज्ञों की मानें तो थोक महंगाई में तेजी का उपभोक्ताओं पर फिलहाल सीधा असर भले न पड़े, लेकिन आने वाले दिनों में खुदरा महंगाई पर इसका असर देखने को मिल सकता है।

देश में पहली बार 120 के करीब पहुंचा पेट्रोल

लगातार बढ़ोत्तरी के चलते अक्टूबर माह के अंत में देश में पहली बार पेट्रोल 120 और डीजल 110 के करीब पहुंचा। शुक्रवार 22 अक्टूबर को जारी रेट के बाद राजस्थान के श्रीगंगानगर में पेट्रोल 119.05 रुपये और डीजल 109.88 रुपये प्रति लीटर के करीब पहुंचा। सितंबर के अंतिम सप्ताह में कीमतों में बदलाव में तीन सप्ताह के लंबे अंतराल को समाप्त करने के बाद से, पेट्रोल की कीमतों में यह 19वीं वृद्धि है और डीजल की कीमतों में 22वीं बार वृद्धि हुई है, तब से डीजल की कीमत में कुल 7.20 रुपये और पेट्रोल की कीमत में 5.70 रुपये प्रति लीटर का इजाफा हुआ। इसके अलावा कई मुख्य शहरों में भी पेट्रोल ने 100 रूपए के आंकड़े को पार कर लिया था।

यही नही डीज भी एक दर्जन से अधिक राज्यों में उस स्तर को पार किया। श्रीनगर से लेकर चेन्नई तक कई शहरों में 100 रुपये प्रति लीटर के करीब बिका। श्रीनगर में डीजल की कीमत 99.49 रुपये प्रति लीटर जबकि चेन्नई में इसकी कीमत 99.92 रुपये हुई। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, साल 2014 में पेट्रोल पर केन्द्रीय उत्पाद शुल्क 9.48 रुपये प्रति लीटर के स्तर पर था। यह शुल्क अब बढ़कर 32.90 रुपये हो गया है। इसी तरह डीजल पर साल 2014 में केन्द्रीय उत्पाद शुल्क 3.56 रुपये लग रहा था, जो अब बढ़कर 31.80 रुपये प्रति लीटर के स्तर पर पहुंच चुका है।

ईंधन और बिजली ने दिया झटका

ऊंची मुद्रास्फीति में ईंधन और बिजली का सबसे बड़ा योगदान रहा है, क्योंकि इनकी कीमत नवंबर, 2020 की तुलना में लगभग 40 प्रतिशत बढ़ी हैं। सूत्रों की मानें तो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जिंसों के दाम और ईंधन की कीमतें भी बहुत अधिक रही हैं। अधिकारी ने कहा कि निचले आधार प्रभाव के बावजूद प्राथमिक वस्तुओं और विनिर्माण उत्पादों की मुद्रास्फीति मुश्किल से दोहरे अंक पर पहुंची है। थोक महंगाई का रिजर्व बैंक नीतिगत दरों से सीधा कोई मतलब नहीं है क्योंकि वह इसके लिए खुदरा महंगाई पर गौर करता है। विशेषज्ञों की मानें तो थोक महंगाई का असर आने वाले समय में खुदरा महंगाई पर सीधा पड़ता है। ऐसे में आने वाले दिनों में भी खुदरा महंगाई के भी ऊंची बने रहने की आशंका है। ऐसे में रिजर्व बैंक की और से नीतिगत दरों में कटौती की उम्मीद घट गई है। इस स्थिति में फिलहाल कर्ज और सस्ता होने की उम्मीद नजर नहीं आ रही है।

थोक महंगाई दर (फीसदी में)

नवंबर 2020 में 2.29

दिसंबर 2020 में 1.95

जनवरी 2021 में 2.03

फरवरी 2021 में 4.17

मार्च 2021 में 7.89

अप्रैल 2021 में 10.74

मई 2021  में 13.11

जून 2021 में 12.07

जुलाई 2021 में 11.10

अगस्त 2021 में 11.39

सितंबर 2021 में 10.66

अक्टूबर 2021 में 12.54

नवंबर 2021 में 14.23

आम आदमी की थाली भी हुई महंगी

डीजल

ईंधन और बिजली के साथ ही आम आदमी की थाली पर भी काफी असर पड़ा और लोग साल भर महंगाई से जूझते रहे। खाद्य सामग्रियों के दाम आसमान पर होने के चलते आम लोगों को काफी परेशानियां झेलनी पड़ी। कोरोना की दूसरी लहर ने जहां आम लोगों को पारिवारिक क्षति पहुंचाई, वहीं खाद्य सामग्र्री की महंगाई ने उन्हें भारी आर्थिक चपत लगाई। सरकार ने उज्जवला योजना के तहत लाखों घरों सिलेंडर तो पहुंचा दिए, लेकिन उनके बढ़ते दामों ने लोगों को फिर से चूल्हे पर खाना बनाने को विवश कर दिया है। घरेलू एलपीजी सिलेंडर की दिसंबर माह में 950 के पार पहुंच गई। इसी तरह सरसों के तेल ने भी दोहरा शतक लगाया और 200 रूपए प्रति लीटर बिका, जबकि रिफाइंड की कीमत 170 रूपए के ऊपर पहुंच गयी। अन्य खाद्य सामग्रियों की बात करें तो अरहर दाल से लेकर चना दाल, मटर दाल व नमक के भी दाम में उछाल बनी रही। इस तरह पूरे साल लोगों का महंगाई छकाती रही। 

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