नई दिल्लीः देश के छह राज्यों – उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, महाराष्ट्र, तेलंगाना और ओडिशा की सात विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव के तहत मतदान जारी है। इस उपचुनाव में भाजपा और कांग्रेस के साथ-साथ सपा, आरजेडी, शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट), टीआरएस और बीजद जैसे क्षेत्रीय दलों की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है। उत्तर प्रदेश में गोला गोकर्णनाथ, बिहार में मोकामा एवं गोपालगंज, हरियाणा में आदमपुर, महाराष्ट्र में अंधेरी पूर्व, तेलंगाना में मुनुगोडे और ओडिशा में धामनगर विधान सभा क्षेत्र में उपचुनाव के तहत गुरुवार को मतदान जारी है।
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उत्तर प्रदेश में जहां योगी आदित्यनाथ सरकार के सामने फिर से अपनी लोकप्रियता साबित करने की चुनौती है। वहीं बिहार में महागठबंधन और भाजपा दोनों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। हरियाणा में कुलदीप बिश्नोई और हुड्डा परिवार की प्रतिष्ठा दांव पर है। महाराष्ट्र में हो रहे उपचुनाव में भाजपा ने अपने उम्मीदवार को भले ही चुनावी मैदान से हटा दिया है लेकिन उद्धव ठाकरे के सामने पिछली बार से ज्यादा मत हासिल कर चुनाव जीतने की चुनौती है। तेलंगाना में भाजपा, कांग्रेस और टीआरएस की प्रतिष्ठा दांव पर है तो वहीं ओडिशा में भाजपा और बीजद आमने सामने है।
दरअसल, देश के अलग-अलग हिस्सों में जिन सात विधान सभा सीटों पर उपचुनाव के तहत मतदान हो रहा है उनमें से तीन सीटें पिछले चुनाव में भाजपा के खाते में आई थी, दो सीट पर कांग्रेस को जीत हासिल हुई थी और अन्य दो सीटों पर आरजेडी और शिवसेना के उम्मीदवार जीतें थे जो कांग्रेस गठबंधन के साथ है। हालांकि कांग्रेस के टिकट पर पिछली बार चुनाव जीतने वाले दोनों विधायक बाद में भाजपा में शामिल हो गए और उनके इस्तीफे की वजह से ही इन सात में से दो सीटों पर उपचुनाव करवाया जा रहा है। इसलिए एक मायने में देखा जाए तो इस उपचुनाव में कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों की प्रतिष्ठा ज्यादा दांव पर लगी है।
हरियाणा की आदमपुर सीट पर पिछले चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर कुलदीप बिश्नोई और तेलंगाना के मुनुगोडे सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर के राजगोपाल रेड्डी ने जीत हासिल की थी, लेकिन इन दोनों नेताओं ने कांग्रेस को छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया और अपनी-अपनी सीट से इस्तीफा दे दिया। कांग्रेस के सामने इन दोनों सीटों पर फिर से जीत हासिल करना बड़ी चुनौती है। महाराष्ट्र की अंधेरी ईस्ट विधान सभा से पिछले चुनाव में शिवसेना उम्मीदवार रमेश लटके को जीत हासिल हुई थी, लेकिन उनके निधन के कारण यह सीट खाली हो गई। भाजपा ने इस सीट से अपने उम्मीदवार को इस बार वापस ले लिया है।
बिहार के मोकामा में पिछले चुनाव में आरजेडी के टिकट पर बाहुबली नेता अनंत सिंह जीते थे लेकिन अदालत से सजा मिलने के बाद उनकी विधायकी समाप्त हो जाने की वजह से इस पर उपचुनाव करवाया जा रहा है। बिहार की दूसरी विधान सभा सीट गोपालगंज में पिछला चुनाव भाजपा जीती थी लेकिन भाजपा विधायक सुभाष सिंह के निधन के कारण इस सीट पर उपचुनाव हो रहा है। भाजपा के सामने जहां लालू यादव के गृह जिले में अपनी सीट को बरकरार रखने की चुनौती है, तो वहीं नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के सामने यह साबित करने की चुनौती है कि उनके कार्यकर्ता और मतदाताओं का भी गठबंधन हो चुका है और जिस जातीय आंकड़े के आधार पर वो लोक सभा चुनाव में बिहार में भाजपा का सूपड़ा साफ करने का दावा कर रहे हैं वह जातीय अंकगणित महागठबंधन के पक्ष में मजबूत हो चुका है।
उत्तर प्रदेश के गोला गोकर्णनाथ विधान सभा से पिछली बार भाजपा उम्मीदवार के तौर पर अरविंद गिरी और ओडिशा के धामनगर से भाजपा के बिष्णु चरण सेठी चुनाव जीते थे। दोनों विधायकों के निधन के कारण इन सीटों पर उपचुनाव हो रहा है। उत्तर प्रदेश में अपनी लोकप्रियता को साबित करने के लिए भाजपा के लिए यह चुनाव काफी अहम है वहीं ओडिशा में अपनी जीती हुई सीट को फिर से जीतना भी भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है। इस सीट पर राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी बीजू जनता दल और कांग्रेस की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है। इन सातों विधान सभा सीटों पर 6 नवम्बर को मतगणना होगी और इन सीटों पर आए चुनावी नतीजों का राजनीतिक संदेश दूरगामी होने की बात कही जा रही है।
लखीमपुर खीरी के एसपी संजीव सुमन ने कहा, ”हर बूथ पर मानक के अनुसार सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं। आज हमने कोशिश की है कि जिनको विधानसभा में वोट देने आना हैं, वो हीं आए अन्यथा अन्य कार्य के लिए प्रवेश पर रोक रहेगी। 72 बूथ संवेदनशील हैं जहां पर अतिरिक्त बल तैनात है।”
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