पंजाब में बसों का चक्का जाम, हड़ताली कल करेंगे सीएम आवास का घेराव

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चंडीगढ़ः पंजाब रोडवेज पनबस और पीआरटीसी के अस्थायी कर्मचारियों की विभिन्‍न मांगों को लेकर सरकार के साथ वार्ता विफल होने के बाद गुरुवार को पंजाब के बस अड्डे सुबह 2 घंटे के लिए बंद कर दिए गए। ये बंद 10 बजे से लेकर 12 बजे तक है। इस दौरान किसी भी बस को बस स्टैंड के भीतर प्रवेश बंद कर दिया गया, जबकि भीतर खड़ी बसों को भी यात्री लेकर बाहर नहीं निकलने दिया गया।

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10 सितंबर को मुख्यमंत्री के फार्म हाउस का घेराव करेंगे हड़ताली

उधर वार्ता विफल होने के बाद जहां सरकार ने इन कर्मचारियों को काम पर लौटने का नोटिस जारी किया है, वहीं कर्मचारियों ने कल 10 सितंबर को मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के सिस्वां स्थित फार्म हाउस का घेराव करने की चेतावनी दी है। जबकि सरकार ने इन कर्मचारियों को काम पर न लौटने पर कार्रवाई करने की चेतावनी दी है। पेप्सू रोड ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन (पीआरटीसी) के प्रदेश भर में 2000 के करीब कर्मचारी बीते सोमवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। उनकी इस हड़ताल से जहां आम जनता को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

दरअसल कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से सरकार को रोजाना करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ रहा है। चूंकि पीआरटीसी की 1100 बसों में से केवल 300 बसें ही अपने रूट पर चल रही हैं। हड़ताली कर्मचारियों में वर्कशॉप स्टाफ, एडवांस टिकट बुकर के अलावा ज्यादा गिनती में ड्राइवर व कंडक्टर शामिल हैं। बता दें कि चार दिनों से बस कर्मचारी हड़ताल पर हैं और बसें बंद हैं। इससे आम लोग परेशान हो रहे हैं। राज्य में अध्यापक, समूह विभागों के कच्चे कर्मचारी, बिजली कर्मचारी हड़ताल पर हैं और किसानों का आंदोलन चल रहा है।

बैठक में कर्मियों को दिया गया आश्वासन

यूनियन के प्रधान रेशम सिंह गिल ने बताया कि बैठक में कर्मियों को आश्वासन दिया जा रहा था कि सरकार कर्मियों को नियमित करने के लिए योजना तैयार कर रही है और इसके संबंध में एक एक्ट भी लाया जा रहा है. हालांकि जब कर्मचारियों ने अपनी बात रखने की कोशिश की तो उनकी बात नहीं सुनी गई। उन्होंने बताया कि कर्मचारियों ने जब कैप्टन अमरिंदर से बात करने की मांग की तो उसे टाल दिया गया। कर्मियों से कहा गया कि यदि वह हड़ताल को समाप्त कर देते हैं तो उसके बाद उनकी मुलाकात मुख्यमंत्री से करा दी जाएगी। जिसके बाद यूनियन ने कल 10 सितंबर को उनके आवास को घेरने का फैसला लिया है।

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