नई दिल्लीः ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन अब अप्रैल माह के अंत में भारत यात्रा पर आयेंगे। इसकी पुष्टि ब्रिटिश प्रधानमंत्री कार्यालय ने की है। इससे पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जाॅनसन जनवरी माह में गणतंत्र दिवस के अवसर पर भारत दौरे पर आने वाले थे, लेकिन ब्रिटेन में कोरोना के बढ़ते मामलों के चलते उनकी यात्रा स्थगित कर दी गयी थी। उसके बाद अब उनकी यात्रा के बारे में एक आधिकारिक बयान आया है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कार्यालय से आए बयान में यह भी कहा गया है कि ब्रिटेन अब भू-राजनीतिक केन्द्र के रूप में उभर रहे हिन्द-प्रशांत क्षेत्र को लेकर अपनी सामरिक नीति में कुछ बदलाव करेगा।
बयान में यह भी कहा गया है कि इस वर्ष महारानी एलिजाबेथ कैरियर की हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में पहली परिचालन तैनाती होगी। ब्रिटेन दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संघ में भागीदार का दर्जा देने के लिए आवेदन कर रहा है। साथ ही अप्रैल के अंत में ‘यूरोपीय संघ’ से अलग होने के बाद प्रधानमंत्री अपनी पहली प्रमुख अंतरराष्ट्रीय यात्रा पर भारत आएंगे। उल्लेखनीय है कि ब्रिटेन के सहायक विदेश मंत्री (दक्षिण एशिया) लॉड तारिक अहमद भारत दौरे पर हैं और उन्होंने विदेश मंत्री एस जयशंकर, गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी और विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला से द्विपक्षीय मामलों पर विचार-विमर्श किया था।
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हाल के दिनों में ब्रिटिश संसद में भारत में चल रहे किसान आंदोलन को लेकर चर्चा और वहां के नेताओं के बयानों से भारत और ब्रिटेन के संबंधों के बीच कुछ कटुता आई है। प्रतिक्रियास्वरूप भारत ने ब्रिटिश उच्चायुक्त को तलब कर सख्त विरोध भी दर्ज कराया था। वहीं संसद में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत हमेशा से नस्लवाद के खिलाफ रहा है। ब्रिटेन में नस्लवाद संबंधी मामलों पर भारत की गहरी नजर है तथा उपयुक्त समय आने पर मामले को साफगोई से उठाया जाएगा। इसी बीच चीन के बढ़ते दबदबे को नियंत्रण में रखने के लिए दुनिया के चार प्रमुख देशों के क्वाड संगठन में भारत एक अहम भागीदार है। यूरोपीय देश अब कोरोना महामारी के बाद के विश्व में अपनी सुरक्षा चिंताओं को लेकर भारत की ओर देख रहे हैं।