शिमला: हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिला की निचार तहसील के निगुलसरी में विगत बुधवार को हुए भारी भूस्खलन के बाद शनिवार को छह लोगों के शव राहत एवं बचाव दलों ने मलबे से खोज निकाले। अभी लापता चार लोगों की तलाश जारी है। आईटीबीपी, एनडीआरएफ एवं पुलिस के 138 जाबांज बचाव कार्य में जुटे हैं। शनिवार को पांच पुरुषों और एक महिला का शव क्षत-विक्षत हालत में मलबे व चट्टानों के नीचे से निकाला गया।
राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के निदेशक सुदेश कुमार मोक्टा ने बताया कि अब तक 23 लोगों के शव निकाले जा चुके हैं। वहीं हादसे के शिकार चार लोग अभी भी लापता हैं, जिनकी तलाश जारी है। उन्होंने कहा कि घटनास्थल पर पहाड़ी से पत्थरों के गिरने की आशंका की वजह से बचाव अभियान बाधित हो रहा है।
उन्होंने कहा कि एचआरटीसी की एक बस, एक ट्रक, एक जीप और दो कारें भूस्खलन की चपेट में आए थे। जीप का अभी तक पता नहीं चल सका है। वहीं हादसे के 20 घंटे बाद एचआरटीसी बस का सुराग मिला। ये बस बुरी तरह चकनाचूर हो चुकी है और इसमें सफर कर रहे अधिकतर लोगों के शव बरामद कर लिए गए हैं। बस के चालक व परिचालक सहित 13 लोगों को बचाव दल सुरक्षित बचाने में कामयाब रहे।
बता दें कि भूस्खलन की ये भयानक घटना बीते बुधवार दोपहर 12 बजे राष्ट्रीय उच्च मार्ग-पांच पर हुई तथा इस मार्ग से गुजर रही हिमाचल पथ परिवहन निगम की किन्नौर-हरिद्वार रूट की बस समेत अन्य वाहन भूस्खलन की जद में आ गए। बचाव दलों ने 13 लोगों को सुरक्षित बचाया। इनमें दो गंभीर रूप से घायल हैं, जबकि 11 अन्य को आंशिक चोटें लगी हैं। हादसे के अगले दिन राज्य के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने घटनास्थल पर पहुंचकर राहत एवं बचाव कार्यों का जायजा लिया। राज्य सरकार ने हादसे में मृतकों के परिजनों को पांच-पांच लाख रूपये की फोरी राहत की घोषणा की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और राज्यसभा सदस्य जगत प्रकाश नड्डा ने इस दुर्घटना पर गहरा दुख जताया है।
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गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश में बरसात के मौसम में भूस्खलन, बाढ़ एवं बादल फटने की घटनाओं में हर साल सैंकड़ों लोग मारे जाते हैं। इस वर्ष मानसून सीजन में अब तक बारिश से जुड़े हादसों में 264 लोगों की मौत हुई है। बरसात में 132 मकान पूरी तरह तबाह हुए, जबकि 661 मकानों को आंशिक नुकसान पहुंचा है। मानसून सीजन में बारिश के कारण चल एवं अचल संपत्ति को 789 करोड़ का नुकसान पहुंचा है।
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