Wednesday, October 16, 2024
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एसटी फंड घोटाला मामले में BJP लगातार हमलावर, सीएम सिद्धारमैया से मांगा इस्तीफा

नई दिल्ली: कर्नाटक महर्षि वाल्मीकि अनुसूचित जनजाति विकास निगम लिमिटेड फंड घोटाला सामने आने के बाद BJP ने राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस पर हमला बोला है। भाजपा ने आरोप लगाया कि अनुसूचित जाति और जनजाति के कल्याण के लिए बनी राशि राजनीतिक लाभ लेने के लिए खर्च की गई। इसलिए कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को इस्तीफा दे देना चाहिए।

संबित पात्रा ने प्रेस वार्ता कर लगाए गंभीर

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने बुधवार को पार्टी मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया कि कर्नाटक महर्षि वाल्मीकि अनुसूचित जनजाति विकास निगम की राशि बेल्लारी लोकसभा चुनाव में खर्च की गई। इस फंड से 60 लाख से अधिक लोगों को वोट देने के लिए 200-200 रुपये बांटे गए। महर्षि वाल्मीकि अनुसूचित जनजाति विकास निगम के खाते से 187 करोड़ रुपये की राशि राजनीतिक लाभ लेने के लिए खर्च की गई। उन्होंने कहा कि इस फंड से वाहन खरीदे गए, हवाई टिकट बुक किए गए, निजी कर्मचारियों को वेतन दिया गया और यात्राओं पर पैसा खर्च किया गया। ऐसे में मुख्यमंत्री को सत्ता में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। सिद्धारमैया का विधानसभा में खड़े होकर यह स्वीकार करना शर्मनाक है कि घोटाला हुआ है। उन्हें तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए।

बी नागेंद्र ने दिया था इस्तीफा

भाजपा प्रवक्ता पात्रा ने कहा कि पहले कर्नाटक में मुदा घोटाला हुआ और अब हैदराबाद में ‘प्रसिद्ध’ आईटी कंपनियों और एक सहकारी बैंक सहित कई खातों में कथित तौर पर 88.62 करोड़ रुपये अवैध रूप से स्थानांतरित किए गए हैं। इस घोटाले में आरोपित होने के बाद अनुसूचित जनजाति कल्याण मंत्री बी नागेंद्र ने 6 जून को इस्तीफा दे दिया था। वह फिलहाल प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत में हैं। उनके घर से 16 किलो सोना और 2.5 करोड़ रुपये बरामद किए गए हैं।

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अवैध रूप से स्थानांतरित किए गए पैसे

कर्नाटक महर्षि वाल्मीकि अनुसूचित जनजाति विकास निगम लिमिटेड कर्नाटक सरकार द्वारा संचालित है। चंद्रशेखरन पी नामक एक अधिकारी ने 26 मई को आत्महत्या कर ली और सुसाइड नोट में गलत मनी ट्रांसफर का जिक्र किया, जिसके बाद इस घोटाले का जिक्र हुआ। आरोप लगाया गया है कि निगम के बैंक खाते से 187 करोड़ रुपये का अनधिकृत ट्रांसफर किया गया। इसमें से 88.62 करोड़ रुपए कथित तौर पर कई खातों में अवैध रूप से स्थानांतरित किए गए, जिनमें ‘प्रसिद्ध’ आईटी कंपनियों और हैदराबाद के एक सहकारी बैंक के खाते भी शामिल हैं।

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