Tuesday, March 18, 2025
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यूपी निकाय चुनाव में भाजपा ने रचा इतिहास, 813 पार्षद पदों पर किया कब्जा

BJP

लखनऊः उत्तर प्रदेश नगरीय निकाय के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने इस बार ऐतिहासिक जीत दर्ज की। भाजपा ने जहां प्रदेश के सभी नगर निगमों में महापौर पद पर कब्जा कर लिया है। वहीं 813 पार्षद पदों पर भी प्रचंड जीत हासिल की है। नगर पालिका परिषद और नगर पंचायतों के अध्यक्षों के क्रमशः 88 और 191 पद भी कमल खिला है। वर्ष 2017 के चुनाव में 16 नगर निगमों में से 14 पर ही बीजेपी को जीत मिली थी, लेकिन इस बार पार्टी ने राज्य के सभी 17 नगर निगमों के महापौर पद पर अपना कब्जा कर लिया है। नगर निगम में पार्षदों की संख्या पर अगर नजर डालें तो इस बार भारतीय जनता पार्टी के 1420 में से 813 उम्मीदवार कमल खिलाने में सफल रहे। पिछली बार यह आंकड़ा 596 ही रह गया था। शहरों में बीजेपी की यह ऐतिहासिक जीत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कामकाज के प्रति आमजन के विश्वास की मुहर है।

नगर पालिका के 88 अध्यक्ष और 1353 सदस्य बीजेपी के

नगर पालिका परिषदों में भी इस बार सीएम योगी आदित्यनाथ के कामकाज का जादू खूब चला। मुख्यमंत्री ने नगर निगम के अतिरिक्त नगर पालिका परिषद के प्रत्याशियों के पक्ष में भी जनसभा कर वोट देने की अपील की थी। जनता ने इस अपील को न सिर्फ माना, बल्कि कई जगहों पर बीजेपी के वोट प्रतिशत में भी खूब इजाफा किया। नगर पालिका परिषद के 60 अध्यक्ष पद पर 2017 में बीजेपी को जीत मिली थी। 199 सीटों में से यह आंकड़ा इस बार बढ़कर 88 पहुंच गया। वहीं पालिका परिषद सदस्यों में 2017 में बीजेपी को 923 सीट मिली थी। इस बार के चुनाव में बढ़ोतरी हुई और यह संख्या बढ़कर 1353 हो गई।

नगर पंचायतों में भी बीजेपी ने लगाया शतक

नगर पंचायतों में भी बीजेपी ने परचम लहराया है। 544 में से 191 नगर पंचायतों में अध्यक्ष पद पर बीजेपी के प्रतिनिधि काबिज हुए हैं। 2017 में यह आंकड़ा सिर्फ 100 का था। यानी सीएम योगी के विकास की बदौलत न सिर्फ 91 और सीटें बीजेपी की झोली में आईं, बल्कि वोट प्रतिशत में भी बढ़ोतरी हुई। बीजेपी के नगर पंचायत सदस्यों की संख्या भी 664 से बढ़कर 1403 पर पहुंच गई।

साइकिल पंक्चर, बसपा की हालत हुई पतली

नगर निगम, नगर पालिका परिषद और नगर पंचायतों के चुनाव में राज्य की प्रमुख विपक्षी समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी इस बार अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सके। बसपा पिछली बार दो नगर निगमों अलीगढ़ और मेरठ के मेयर पद पर काबिज थी, इस बार बीजेपी ने उसकी वह सीटें भी हथिया लीं। इस तरह 2017 की अपेक्षा इस चुनाव में इन दोनों प्रमुख विपक्षी दलों का हाल बुरा रहा। नगर निगम में महापौर की रेस में सपा शुरूआत भी नहीं कर सकी। सपा के पार्षद भी 202 से घटकर 191 पर आ गए। नगर पालिका परिषद अध्यक्षों की संख्या भी घट गयी। यह 45 से घटकर 35 हो गई। 2017 में सपा सदस्यों की संख्या 477 थी, जो साल 2023 में घटकर 423 हो गई। 2017 में नगर पंचायत अध्यक्ष पद पर सपा को 83 सीटों पर विजयश्री मिली थी, तो साल 2023 में 78 पर ही सपा सिमट कर रह गयी। इसी तरह साल 2017 में बहुजन समाज पार्टी के दो महापौर चुने गए थे। इस बार बसपा अपना खाता भी नहीं खोल सकी। पार्षद भी 147 से घटकर 85 ही रह गये। नगर पालिका परिषद अध्यक्ष की संख्या में भी कमी आ गयी। इस बार बसपा के 29 से 16 ही रह गये। पालिका परिषद सदस्यों की संख्या 262 से घटकर 191 हो गई। नगर पंचायत अध्यक्ष भी 45 से घटकर 37 और सदस्य की संख्या 218 से 215 हो गए।

भाजपा के पांच मुस्लिम प्रत्याशी भी बने नगर पंचायत अध्यक्ष

बीजेपी ने इस चुनाव में कई मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में उतारे थे। इनमें से पांच प्रत्याशी विभिन्न नगर पंचायतों के अध्यक्ष चुने गए हैं। हरदोई की गोपामऊ से नगर पंचायत अध्यक्ष पर वली मोहम्मद जीते हैं। मुरादाबाद के भोजपुर नगर पंचायत अध्यक्ष फ़र्ख़न्दा ज़बी, सहारनपुर के चिल्लकाना नगर पंचायत अध्यक्ष पद पर फूल बानो और बरेली के धौरा टांडा नगर पंचायत अध्यक्ष के पद पर नदीमुल हसन ने जीत हासिल की है। इसके अलावा कई जनपदों की निकायों में भाजपा के मुस्लिम प्रत्याशियों ने पार्षद और सदस्य पद का चुनाव जीता है। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता आनंद दुबे के अनुसार पार्टी ने मुस्लिम बाहुल सीटों से मुस्लिम प्रत्याशियों को चुनाव में उतारा था, उनमें से काफी संख्या में प्रत्याशियों ने जीत भी दर्ज की है। उनकी जीत ने मुस्लिम समाज में बीजेपी के प्रति अफवाहें फैलाने वालों की दुकान अब हमेशा के लिए बंद हो गई है।

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