राजस्थान उपचुनाव में आसान नही होगी भाजपा-कांग्रेस की राह

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जयपुरः राजस्थान में शीघ्र ही चार विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव होने वाले हैं। लेकिन, इससे पहले हाल ही में हुए नगर निगम के चुनावों के आए नतीजों ने सत्तारूढ़ कांग्रेस और विपक्षी भाजपा, दोनों के लिए ही खतरे की घंटी बजा दी है। राज्य में 90 सीटों के लिए हुए स्थानीय निकायों के चुनाव परिणाम रविवार को घोषित किए गए। इनमें कांग्रेस को 19 सीटों पर बहुमत मिली तो भाजपा को 24 सीटों पर कामयाबी मिली। बाकी सीटों पर निर्दलीय किंगमेकर बनकर उभरे हैं। ये नतीजे इस बात की ओर स्पष्ट रूप से इशारा कर रहे हैं कि चार विधानसभा सीटों के लिए उपचुनावों में भाजपा और कांग्रेस की राह आसान नहीं रहने वाली है। उन्हें बहुत ज्यादा मेहनत करने की जरूरत होगी।

जिन चार विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव होने हैं उनमें सहादा, राजसमंद, सुजानगढ़ और भिंडर हैं। इन विधानसभा क्षेत्रों में 48 प्रतिशत वार्डो में कांग्रेस विजयी रही है, जबकि भाजपा ने 36 प्रतिशत वार्डो में विजयी रही है। इन चार विधानसभा क्षेत्रों में कुल 190 वार्ड हैं। कांग्रेस ने 90 वार्डो में जीत दर्ज की है, जबकि भाजपा 67 वार्डो में विजयी रही है। निर्दलीय व अन्य पार्टियों ने 33 वार्डो में जीत दर्ज की है। भाजपा के लिए सबसे चौंकाने वाला परिणाम राजसमंद से आया है। यहां पर भाजपा की किरण माहेश्वरी विधायक थीं। उनके निधन के बाद यह सीट खाली पड़ी है। भाजपा को इस बात की हैरानी है कि उसे आखिर सिम्पैथी वोट (सहानुभूित वोट) क्यों नहीं मिल पाया, जबकि शहरी वोट कांग्रेस के खाते में चले गए।

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यहां कुल 45 सीटों में से कांग्रेस ने 26 सीटों पर जीत हासिल की है, जबकि भाजपा ने 18 और निर्दलीय ने एक सीट पर जीत दर्ज की। राजसमंद भाजपा के लिए विगत दो दशकों से एक मजबूत गढ़ रहा है। सहादा विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस की वही स्थिति है, जो भाजपा की राजसमंद में है। कोविड के कारण यहां के कांग्रेसी विधायक कैलाश त्रिवेदी गुजर गए, लेकिन इसके बावजूद पार्टी को सिम्पैथी वोट नहीं मिल पाया। भाजपा के हिस्से में 13 वॉर्ड और कांग्रेस के हिस्से में 12 वार्ड आए। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पुनिया ने कहा है कि चार विधानसभा उपचुनावों में जीत हासिल करने के लिए पार्टी एक नई रणनीति के साथ मैदान में उतरेगी।