Monday, March 31, 2025
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बढ़ती ठंड के बीच राजनीतिक दलों की यात्राओं से चढ़ा बिहार सियासी पारा

पटना: बिहार इस साल की शुरूआत से ही कड़ाके की ठंड पड़ रही है और अधिकांश इलाकों में कोहरा छाया है, जिससे तापमान लुढ़क गया है। लेकिन, राज्य के सभी प्रमुख राजनीतिक दल के कार्यक्रमों ने सियासत का पारा को गर्म कर दिया है। मंगलवार को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे. पी. नड्डा ने वैशाली लोकसभा क्षेत्र के कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित कर आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर बिगुल फूंक दिया, वहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पांच जनवरी से अपनी बिहार की यात्रा बेतिया से शुरू करने वाले हैं।

इधर, कांग्रेस भी बिहार में भारत जोड़ो यात्रा की शुरूआत पांच जनवरी से करने वाली है। कांग्रेस इस यात्रा के जरिए जहां अपने खोए जनाधार को वापस करने की कोशिश कर रही है, वहीं अन्य राजनीतिक दलों को अपनी ताकत का भी एहसास कराएगी। यही कारण है कि कांग्रेस इस यात्रा को लेकर अपनी पूरी ताकत झोंक दी है।

इधर, नीतीश कुमार ने मंगलवार को अपनी यात्रा के संबंध में बताया कि उनकी यात्रा की तैयारी पूरी है। उन्होंने कहा कि मौसम साफ रहा तो कल यानी बुधवार को ही निकल जायेंगे। उनकी यात्रा बेतिया से प्रारंभ होगी। उन्होंने कहा कि अपनी यात्रा के दौरान वे सरकार के विकास कार्यक्रमों की समीक्षा करेंगे। लोगों से मिलेंगे तथा उनकी समस्याएं जानेंगे। कहां क्या कमी रह गई इसे जानेंगे तथा दूर करेंगे।

नीतीश भले ही विकास कार्यों को देखने की बात कर रहे हों लेकिन माना जा रहा है कि वे लोगों के मन मिजाज को टटोलेंगे और उसके अनुसार आगे की रणनीति बनाएंगे। ऐसे में तय है कि उनकी यात्रा की चर्चा भी होती रहेगी।

इधर, बिहार की राजनीति में अपनी पहचान बनाने में जुटे चर्चित रणनीतिकार प्रशांत किशोर भी इन दिनों जन संवाद पदयात्रा पर हैं। पिछले साल 2 अक्तूबर से प्रारंभ किशोर इस दौरान अब तक 1100 किलोमीटर से अधिक चल चुके हैं। किशोर इस क्रम में जहां लोगों से मिल रहे हैं वहीं क्षेत्र को समस्याओं को भी समझ रहे हैं। इस बीच किशोर सभी राजनीतिक दलों पर भी निशाना साध रहे हैं।

इधर, कहा जा रहा है कि भाजपा की नजर लोकसभा की उन सीटों पर हैं जहां से उनके सहयोगी जीते थे या भाजपा कभी भी उन सीटों पर चुनाव नहीं लड़ी है। वैसे, नड्डा ने सम्मेलन में लोगों को संबोधित करते हुए अगले चुनाव में बिहार में विशुद्ध भाजपा की सरकार बनाने का आह्वान कर इसके संकेत दे दिए हैं कि भाजपा अगले चुनाव में गठबंधन पर ज्यादा जोर नहीं देने वाली है।

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