बाहुबली आनंद मोहन की रिहाई पर छलका दिवंगत IAS अधिकारी पत्नी का दर्द, PM मोदी से लगाई गुहार

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नई दिल्लीः दशकों पहले बिहार में मारे गए दलित IAS अधिकारी जी. कृष्णैया (ias krishnaiah) की पत्नी जी. उमा कृष्णैया ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और पीएम नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप करने और पूर्व सांसद व बाहुबली नेता आनंद मोहन सिंह ( anand mohan) की रिहाई रोकने का अनुरोध किया है, जिन्हें नौकरशाह की लिंचिंग के लिए दोषी ठहराया गया था। दरअसल बिहार सरकार द्वारा बिहार जेल मैनुअल में संशोधन कर आनंद मोहन सिंह को रिहा करने के फैसले के बाद उमा ने कहा वह बिहार सरकार के इस कदम से क्षुब्ध हैं।

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दोबारा सरकार बनाने के लिए हत्यारे को कर रहे रिहा 

उमा कृष्णैया ने कहा कि मोदी को हस्तक्षेप करना चाहिए और नीतीश कुमार को अपना फैसला वापस लेना चाहिए, क्योंकि यह एक बुरी मिसाल कायम करेगा और पूरे समाज के लिए गंभीर परिणाम होंगे। उन्होंने कहा, मेरे पति एक IAS अधिकारी थे और यह सुनिश्चित करना केंद्र की जिम्मेदारी है कि न्याय हो। उन्होंने आरोप लगाया कि नीतीश कुमार राजपूतों के वोट और दोबारा सरकार बनाने के लिए उनके पति के हत्यारे को रिहा कर रहे हैं। हैदराबाद में रहने वाली उमा ने कहा, नीतीश कुमार सोचते हैं कि उन्हें रिहा करने से उन्हें सभी राजपूतों के वोट मिलेंगे और इससे उन्हें फिर से सरकार बनाने में मदद मिलेगी। यह गलत है। उन्होंने कहा, बिहार में जो चल रहा है, वह अच्छा नहीं है। राजनीति में अच्छे लोग होने चाहिए, मोहन जैसे अपराधी नहीं।

1994 में हुई थी IAS अधिकारी कृष्णैया की हत्या 

बता दें कि 1985 बैच के IAS अधिकारी कृष्णैया (ias krishnaiah) की 5 दिसंबर 1994 को हत्या कर दी गई थी। आनंद मोहन सिंह ( anand mohan) द्वारा उकसाई गई भीड़ द्वारा उनकी हत्या कर दी गई थी। भीड़, जो एक दिन पहले मारे गए आनंद मोहन की पार्टी के एक गैंगस्टर-राजनेता छोटन शुक्ला के शव के साथ विरोध कर रही थी। इस दौरान कृष्णैया को कार से बाहर खींच लिया और पीट-पीटकर हत्या कर दी। आनंद मोहन सिंह को निचली अदालत ने 2007 में मौत की सजा सुनाई थी, लेकिन पटना उच्च न्यायालय ने 2008 में सजा को उम्रकैद में बदल दिया। वह 15 साल से जेल में है। मारे गए नौकरशाह की विधवा ने कहा कि जब उसे मौत की सजा के बजाय आजीवन कारावास की सजा सुनाई तो वह खुश नहीं थी। अब यह मेरे लिए दिल दहला देने वाला है कि सजा पूरी होने से पहले ही उन्हें रिहा कर दिया गया।

उमा ने बताया कि राजपूत समुदाय को भी सोचना चाहिए कि क्या आनंद मोहन सिंह जैसा अपराधी उनका और समाज का भला कर सकता है। उनका मानना ​​है कि नीतीश कुमार की इस कार्रवाई से अपराधियों को कानून हाथ में लेने का हौसला मिलेगा। उमा कृष्णैया का विचार है कि आनंद मोहन की रिहाई से सिविल सेवकों और सरकारी अधिकारियों के जीवन को ईमानदारी से अपने कर्तव्यों के निर्वहन में लगाया जा सकता है, क्योंकि अपराधी सोचेंगे कि वे कानून को अपने हाथों में ले सकते हैं। साथ ही जब जेल से बाहर आ सकते है।

बिहार सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में देंगे चुनौती

आईएएस की पत्नी ने खुलासा किया कि 1985 बैच के कुछ आईएएस अफसर उनके संपर्क में हैं और वह बिहार की नीतीश कुमार सरकार के फैसले को चुनौती देने के लिए पटना हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट जाने पर जा सकते है। अपने पति को खोने के बाद उमा का जीवन संगर्षपूर्ण रहा। उन्होंने 7 और 5 साल की दो बेटियों के साथ हैदराबाद चली गई थी। परिवार को जो कुछ सहना पड़ा, उससे वह सदमे में थी।

परिवार का पालन-पोषण करने के लिए उन्हें हैदराबाद के एक कॉलेज में लेक्चरर की नौकरी मिल गई। उन्हें प्रकाशन नगर, जुबली हिल्स में एक घर आवंटित किया गया था, जहाँ उन्होंने अपना घर बनाया था। 2017 में सेवानिवृत्त होने के बाद, उन्होंने दोनों बेटियों के लिए अच्छी शिक्षा सुनिश्चित की, जो वर्तमान में बैंक मैनेजर और सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में कार्यरत हैं।

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