पटना: बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की 1.70 लाख पदों के लिए आयोजित शिक्षक बहाली परीक्षा में गड़बड़ी और गड़बड़ी को लेकर अभ्यर्थी अब सड़क पर उतरने की तैयारी कर रहे हैं। विपक्ष इस मुद्दे को तूल देने में लगा हुआ है। प्रत्याशियों को बीजेपी नेताओं का समर्थन मिलता दिख रहा है। बीपीएससी ने पिछले सप्ताह परीक्षा परिणाम घोषित किये थे।
इसके बाद अभ्यर्थियों ने बीपीएससी और सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। बुधवार को राज्यभर से बड़ी संख्या में अभ्यर्थी बीपीएससी कार्यालय पहुंचे और प्रदर्शन करने लगे। प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को हल्का बल प्रयोग करना पड़ा। अभ्यर्थियों का कहना है कि इस परीक्षा के माध्यम से गलत लोगों को नौकरी दी जा रही है जबकि अच्छे अभ्यर्थियों को बाहर कर दिया गया है। अभ्यर्थी इसमें गड़बड़ी का आरोप लगा रहे हैं। अभ्यर्थियों का कहना है कि अगर सरकार नहीं मानी तो कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जायेगा।
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इसे लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है। पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने शिक्षक नियुक्ति मामले की उच्चस्तरीय जांच की जरूरत जतायी। उन्होंने यहां तक कहा कि आरक्षण को नजरअंदाज करते हुए रेलवे की ‘लैंड फॉर जॉब’ की तर्ज पर ‘मनी फॉर जॉब’ योजना के तहत यह नियुक्ति की गई है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने शिक्षक भर्ती में गड़बड़ी का आरोप लगाकर प्रदर्शन करने निकले अभ्यर्थियों पर पुलिस लाठीचार्ज की कड़ी निंदा की। उन्होंने इसे लोकतंत्र के साथ मजाक बताया। चौधरी ने कहा कि जिस तरह से घटना हुई उससे साफ पता चलता है कि नीतीश सरकार सिर्फ नाम के लिए नौकरियां दे रही है। नौकरी के नाम पर घोटाला हो रहा है। शिक्षक बहाली में शिक्षक का ही इस्तेमाल किया जा रहा है। आख़िर इसमें नया क्या किया गया? जो लोग सरकार में बैठे हैं वे घोटालों के आदी हो गए हैं, इसलिए अब उनसे कोई उम्मीद नहीं है।