नई दिल्लीः अपनी सुरीली आवाज से करोड़ों लोगों के दिलों पर राज करने वाले दिग्गज गायक, संगीतकार और भारत रत्न भूपेन हजारिका की आज 96वीं जयंती है। हजारिका (Bhupen Hazarika) एक प्रख्यात असमी-भारतीय गायक थे। वहीं Google ने हजारिका जी की जयंती के मौके पर एक खास डूडल के साथ उन्हें श्रद्धांजलि दी है। भूपेन हजारिका ऐसे विलक्षण कलाकार थे कि वे खुद ही अपने गीत लिखते थे, उन्हें संगीतबद्ध करते और गाते थे। हजारिका ने गीत-कविता लेखन, गायन, फिल्म निर्माण और पत्रकारिता समेत कई विधाओं में काम किया।
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10 वर्ष का आयु में लिखा पहला गीत
बता दें कि भारत रत्न भूपेन हजारिका (Bhupen Hazarika) का जन्म आज ही दिन 8 सितंबर 1926 में पूर्वोतर भारत में हुआ था। उनका गृह राज्य, असम में है। उनके पिता का नाम नीलकांत हजारिका और माता का नाम शांतिप्रिया हजारिका था। भूपेन सात भाइयों और तीन बहनों में सबसे बड़े थे। भूपेन हजारिका ने कम उम्र से ही गीत लिखना और गाना शुरू कर दिया था और 10 वर्ष की आयु में उन्होंने पहला गीत लिखा। 12 साल की उम्र तक हजारिका दो फिल्मों के लिए गाने लिखे और रिकॉर्ड करवाए । हजारिका की संगीत प्रतिभा ने प्रसिद्ध असमिया गीतकार, ज्योतिप्रसाद अग्रवाल और फिल्म निर्माता बिष्णु प्रसाद राभा का ध्यान आकर्षित किया। दोनों असम के समृद्ध सांस्कृतिक इतिहास के प्रमुख थे।
पैसों की तंगी के कारण छोड़ दिया परिवार
हजारिका ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गुवाहाटी से पूरी करने के बाद स्नातक की पढ़ाई के लिए बनारत हिंदू विश्वविद्यायल (Banaras Hindu University) में दाखिला लिया और 1944 में ऑनर्स से स्नातक करने के बाद उन्होंने 1946 में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने कोलम्बिया यूनिवर्सिटी से मॉस कम्युनिकेशन में पी. एचडी. की उपाधि प्राप्त की। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, वह उन गीतों और फिल्मों पर काम करना जारी रखने के लिए भारत लौट आए, जिन्होंने राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर असमिया संस्कृति को लोकप्रिय बनाया। फिर भूपेन हजारिका ने 1950 में न्यूयॉर्क में प्रियम पटेल के साथ शादी की। लेकिन उनकी पैसों की तंगी की वजह से वे अपने परिवार के साथ ज्यादा दिन नहीं रह सके। उसके बाद उन्होंने अपना जीवन संगीत की दुनिया में समर्पित करने का निश्चय किया।
40 की उम्र 17 साल की कल्पना दे बैठे थे दिल
हिंदी फिल्म ‘आरोप’ (1974) के सेट पर उनकी मुलाक़ात कल्पना लाज़मी से हुई। बताया जाता है कि कि कल्पना को देखते ही भूपेन उन्हें अपना दिल दे बैठे। जबकि उस समय कल्पना लाजमी की उम्र 17 साल के आसपास रही होगी और भूपेन 40 के पार थे। इस फ़िल्म एक गीत ‘नैनों में दर्पण है, दर्पण है कोई देखूं जिसे सुबहो शाम’ काफी लोकप्रिय रहा। भूपेन की सबसे ज़्यादा चर्चित फिल्म कल्पना लाज़मी की ‘रुदाली’ थी। इसके सभी गीत मशहूर हुए।
इसका बेहद चर्चित गीत ‘दिल हुम हुम करे’भूपेन के असमिया गीत ‘बुकु हुम हुम करे’ का हिंदी अनुवाद था। भूपेन हजारिका ने अपने जीवन में करीब एक हजार गाने और 15 किताबें लिखी हैं. भूपेन हजारिका का साहित्यिक रूप उनके संगीत में अलग ही मिठास लाता है। हिंदी फ़िल्मों में उनका सफ़र 1974 से शुरू हुआ था। भूपेन हजारिका ने 5 नवंबर 2011 को अपनी अंतिम सांस ली।
सम्मान
फिल्मों में उत्कृष्ठ योगदान के लिए उन्हें 1975 में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, 1992 में फिल्मी दुनिया का सर्वोच्च सम्मान ‘दादा साहब फाल्के पुरस्कार’, 2009 में ‘असम रत्न’ और 2011 में ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया गया। वर्ष 2019 में उन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया।
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