भीमा-कोरेगांव हिंसा मामला: जांच आयोग के समक्ष पेश हुए शरद पवार

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एनसीपी अध्यक्ष

मुंबई: महाराष्ट्र के पुणे जिले के भीमा-कोरेगांव हिंसा (Bhima Koregaon Violence) मामले में एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार गुरुवार को जयनारायण पटेल आयोग के समक्ष पेश हुए और अपने बयान दर्ज कराए। शरद पवार ने भीमा-कोरेगांव हिंसा (Bhima Koregaon Violence) मामले में हाल ही में आयोग के समक्ष अपना अतिरिक्त हलफनामा पेश किया था। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार को 23 और 24 फरवरी को न्यायिक जांच आयोग के समक्ष गवाही दर्ज कराने के लिए पेश होना था, लेकिन किन्हीं कारणों से वह शामिल नहीं हो सके थे। वह आज सह्याद्री गेस्ट हाउस में जयनारायण पटेल आयोग के समक्ष पेश हुए और अपने बयान दर्ज कराए। आयोग की ओर से अधिवक्ता आशीष सतपुते ने शरद पवार से सवाल पूछे।

उनसे पूछा गया कि एक बयान के बाद दंगे जैसे हालात पैदा होने और सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान होने पर इसके लिए कौन जिम्मेदार है? इस पर शरद पवार ने जवाब दिया कि जनप्रतिनिधियों को सार्वजनिक बयान देते समय जिम्मेदारी से काम लेना चाहिए। उनके बयान में भड़काऊ बयान नहीं होने चाहिए, जिससे समाज के विभिन्न स्तरों पर इसका असर हो और नस्लीय दरार पैदा हो। अगर ऐसा हुआ तो इसकी जिम्मेदारी नेता की होगी।

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इसी तरह सवाल किसी भी राजनीतिक दल को रैली करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए के जवाब में एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि ऐसी रैलियों को जगह देते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि आम लोगों को इससे परेशानी न हो। ताकि रैली के बाद किसी तरह का तनाव होने पर पुलिस स्थिति को नियंत्रित कर सके। जेएन पटेल ने भी शरद पवार से सवाल किये, जिसके जवाब उन्होंने दर्ज करवाये। मालूम हो कि महाराष्ट्र के पुणे जिले के भीमा-कोरेगांव में 1 जनवरी, 2018 को हुई हिंसा के बाद राज्य भर में दंगे भड़क उठे। इस मामले की जांच एनआई को सौंप दी गई, लेकिन राज्य सरकार ने अलग से सेवानिवृत्त न्यायाधीश जेएन पटेल के नेतृत्व में न्यायिक जांच आयोग का गठन किया था।

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