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भाई-बहन के अटूट प्रेम का पर्व ‘भाई दूज’, जानें कैसे हुई भाई दूज की शुरूआत

लखनऊः 5 दिन तक चलने वाले दीपोत्सव पर्व में दीपावली के दूसरे दिन भाई दूज का त्यौहार मनाया जाता है। भाई दूज के पर्व के साथ ही ये पांच दिवसीय दीपोत्सव का समापन होता है। ये पर्व भाई-बहन के रिश्ते के अटूट प्रेम व स्नेह को दर्शाता है। प्रत्येक वर्ष भाई दूज कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस बार ये तिथि 6 नवंबर, दिन शनिवार को पड़ रही है, ऐसे में इस वर्ष भाई दूज का त्यौहार 6 नवंबर को मनाया जा रहा है। इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र, कल्याण और समृद्धि के लिए भगवान से प्रार्थना करती हैं, वहीं भाई भी अपनी बहन की खुशहाली की प्रार्थना भगवान से करता है।

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भाई दूज को यम द्वितीया भी कहते हैं। इस दिन मृत्यु के देवता यमराज और उनकी बहन यमुना के पूजन का विधान है। राखी के त्यौहार की ही तरह इस दिन बहनें भाई को तिलक लगाकर उसकी लंबी आयु की कामना करती हैं। इस दिन भाई अपनी बहनों से मिलने घर जाते हैं और तिलक करवाते हैं। बहनें तिलक करते समय उसकी लंबी आयु की कामना करती हैं, तो वहीं भाई भी बहन को उपहार देकर अपना प्यार जताते हैं। जानते हैं भाई दूज का महत्व व कैसे हुई इस पर्व की शुरूआत।

कैसे हुई भाई दूज की शुरूआत

पौराणिक कथा के अनुसार भगवान सूर्य और उनकी पत्नी संध्या की संतान धर्मराज यम और यमुना थे, लेकिन भगवान सूर्य के तेज को सहन न कर पाने के कारण उनकी पत्नी संध्या देवी अपनी संतानों को छोड़ कर मायके चली गईं और जाते समय अपनी प्रतिकृति छाया को भगवान सूर्य के पास छोड़ गईं। यमराज और यमुना छाया की संतान न होने के कारण मां के प्यार से वंचित रहते थे। मां का प्यार न सही, लेकिन दोनों ही भाई-बहन में आपस में खूब प्यार था। यमुना की शादी होने बाद वो भाई यम को कई बार अपने घर बुलाया करती थीं, लेकिन वे नहीं जाते थे। एक बार कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को यमुना यमराज को अपने घर में भोजन करने के लिए वचनबद्ध कर लेती हैं।

यमराज भी सोचते हैं कि मैं तो प्राणों को हरने वाला हूं मुझे तो कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता, लेकिन मेरी बहन मुझसे कितना स्नेह करती है जो इतनी सद्भावना से मुझे अपने घर भोजन के लिए आमंत्रित कर रही है। इसलिए द्वितिया तिथि के दिन यमराज बहन यमुना के घर भोजन करने के लिए निकलते हैं और नरक के सभी जीवों को मुक्त कर देते हैं। यमराज के घर पहुंचते ही यमराज को अपने द्वार पर देख यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहता और वह सबसे पहले स्नान करके यमराज को तिलक करके भोजन कराती है।

बहन के अपने प्रति स्नेह, आदर और सम्मान को देखकर यमराज खुश हो जाते हैं और यमुना को वर मांगने को कहते हैं। बहन यमुना अपने भाई से वर मांगते हुए कहती हैं, भद्र! इस दिन जो बहन मेरी तरह अपने भाई का आदर, सत्कार और टीका करके भोजन कराये उसे तुम्हारा भय न रहे। यमराज तथास्तु कहकर यमुना को अमूल्य वस्त्र और आभूषण देकर चले जाते हैं। इसी दिन हर वर्ष कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को भाई दूज का पवित्र पर्व मनाया जाने लगा।

भाई दूज का महत्व

इस पर्व को भाऊ बीज, टिक्का, यम द्वितीय और भातृ द्वितीया या भाई दूज के नाम से भी जाना जाता है। भाई दूज के दिन भाई और बहन का एक साथ यमुना में स्नान करना काफी शुभ माना गया है। इस दिन बहनें भाई की लंबी उम्र की कामना के लिए यम के नाम का दीपक घर के बाहर जलाती हैं। इससे अकाल मृत्यु का भय दूर होता है। इस दिन यम की पूजा करते हुए बहनें प्रार्थना करती हैं कि हे यमराज! श्री मार्कण्डेय, हनुमान, राजा बलि, परशुराम, व्यास, विभीषण, कृपाचार्य तथा अश्वत्थामा इन आठ चिरंजीवियों की तरह मेरे भाई को भी चिरंजीवी होने का वरदान दें। कई जगह बहनें अपने भाई की लंबी उम्र के लिए इस उपवास भी रखती हैं।

भाई दूज 2021 पूजन का शुभ मुहूर्त

द्वितिया तिथि आरंभ – 05 नवंबर, रात्रि 11 बजकर 14 मिनट से
द्वितिया तिथि समाप्त – 06 नवंबर, शाम 07 बजकर 44 मिनट तक
भाई दूज तिथि – 06 नवंबर, दिन शनिवार
भाई दूज पूजन शुभ मुहूर्त – 06 नवंबर, दिन में 01 बजकर 10 मिनट से लेकर 03 बजकर 21 मिनट तक

पूजन विधि

भाई दूज कई जगह अलग-अलग रीति-रिवाज व परंपरा से मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं व पुराणों के अनुसार, इस दिन शादी-शुदा बहनों को अपने भाई को अपने घर आमंत्रित करना चाहिए। इसके बाद दोनों स्नान करें। भाई को भी इस दिन बहन के घर ही स्नान करना चाहिए। इसके बाद दोनों को नए वस्त्र धारण करना चाहिए। नए वस्त्र धारण करने के बाद भाई को आसन पर बिठाकर बहन को भाई के तिलक करना चाहिए। इसके बाद भाई की आरती उतारकर हाथ में कलावा (लाल धागा) बांधकर मंत्रोपचार करते हुए नारियल भेंट करना चाहिए। वहीं भाई के द्वारा बहन को भी भेंट स्वरूप कुछ उपहार देना चाहिए। इसके बाद घर के बाहर यम के नाम से चहुंमुखी दिया जलाना चाहिये। इस दिन यमुना नदी में नहाना पवित्र माना जाता है।

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