गन्ना बुआई की तैयारी शुरू करें किसान, इन बातों का रखें ध्यान

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मोतिहारी: बिहार के नकदी फसल गन्ना बुआई के लिए दो उपयुक्त मौसम माना गया है। पहला शरदकालीन अक्टूबर-नवबंर व दूसरा वसंतकालीन फरवरी-मार्च इन दोनों मौसमों में गन्ने के अंकुरण के लिए आवश्यक तापमान 20 से 25 डिग्री सेंटीग्रेड उपलब्ध रहता है। ऐसे में वसंत कालीन गन्ना बुआई की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए।

हिन्दुस्तान पेट्रोलियम द्वारा संचालित सुगौली बायो फ्यूल लि. के गन्ना उप प्रबंधक संजीव कुमार ने बताया कि गन्ना उत्पादक किसान भाई गन्ना बुवाई के लिए वैसे प्रभेदो का चुनाव करना चाहिए, जिसकी बड़वार क्षमता अधिक हो तथा परिपक्वता की अवधि कम हो। जैसे सीओ 238,सीओ 118 सीईओ 13235, सीओएलके 14401 सीओ 15023 ऊंची जमीन के लिए उपयुक्त है। वहीं, निचली भूमी के लिए सीईओपी 9301, सीओपी 16437, सीओएलके 94184 सीओआई 767, सीओएसई 98014 इत्यादि उपयुक्त पाया गया है।

कैसे करें खेत की तैयारी –

इसके लिए आठ-10 टन गोबर की गली-सड़ी खाद प्रति एकड़ डालकर तीन-चार जुताई कर पूरी तरह मिला दे। वहीं बुवाई के समय 125 किलो सिंगल सुपर फास्फेट, 35 किलो म्यूरेट पोटाश तथा 45 किलो यूरिया डालें। साथ ही जिंक सल्फेट 10 किलो प्रति एकड़ खेत की जुताई के समय डालें।

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कब करें बुवाई कितना रखे बीज की मात्रा –

बसंतकालीन गन्ने की बुआई का सर्वोत्तम समय 10 फरवरी से पूरा मार्च माह है। गन्ने की ऊपरी दो तिहाई भाग बोने के लिए अच्छा रहता है। एक या दो आंखों पोरियां वाली गन्ना प्रति एकड़ 25 से 30 क्विंटल बीज उपयुक्त है।

बीज व भूमि का करे उपचार –

गन्ना की बुवाई के पूर्व इसके पोरियों को 250 ग्राम एमिसान या डाइथेन-एम-45 दवा से बनाए गए 100 लीटर पानी के घोल में चार-पांच मिनट डुबोकर रखें। यह घोल एक एकड़ बीज के लिए पर्याप्त रहता है।साथ ही दीमक, प्ररोह बेधक तथा भूमिगत कीटों से बचाव के लिए ढाई लीटर क्लोरोपाइरीफोस 20 ई.सी. को 600 से 800 लीटर पानी में मिलाकर नालियो में रखे पोरियों पर छिड़काव करें। गन्ना के बेहतर पैदावार के लिए चार से पांच सिंचाई सबसे उपयुक्त माना गया है।

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