कोलकाता: कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति तपब्रत चक्रवर्ती और न्यायमूर्ति पार्थ सारथी चटर्जी की खंडपीठ ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपये के नगरपालिका भर्ती घोटाले की केंद्रीय एजेंसी से जांच के एकल न्यायाधीश के आदेश को बरकरार रखा। बेंच ने कहा कि स्कूल भर्ती मामला व नगर निगम भर्ती मामला आपस में जुड़ा हुआ है।
बेंच ने कहा, दोनों मामलों में एक ही शख्स शामिल है। इस तरह के घोटालों ने युवा पीढ़ी को बेहद निराश किया है। इसलिए इस मामले में केंद्रीय एजेंसी से जांच कराने का कोई विकल्प नहीं है। सिंगल जज की बेंच का फैसला सही था। वास्तव में, नगर पालिकाओं की भर्ती तब सामने आई जब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारी करोड़ों के स्कूल भर्ती मामलों के सिलसिले में निजी रियल एस्टेट प्रमोटर अयान सिल के आवास पर छापेमारी और तलाशी अभियान चला रहे थे। कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय ने मूल रूप से इस मामले की केंद्रीय जांच का आदेश दिया था। इस फैसले को चुनौती देने के लिए राज्य सरकार ने सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हालांकि, शीर्ष अदालत ने मामले को वापस कोलकाता हाईकोर्ट भेज दिया।
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इसके बाद राज्य सरकार ने कलकत्ता उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा की अदालत का दरवाजा खटखटाया। हालांकि, न्यायमूर्ति सिंह ने न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय के आदेश को बरकरार रखा और केंद्रीय एजेंसियों को मामले में अपनी जांच जारी रखने का निर्देश दिया। इसके बाद, राज्य सरकार ने कलकत्ता उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ से संपर्क किया, जिसमें न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी और न्यायमूर्ति अपूर्बा सिन्हा रे शामिल थे, जिन्होंने सुनवाई से खुद को यह कहते हुए अलग कर लिया कि यह मामला उस पीठ की सुनवाई के विषय का हिस्सा नहीं था। यह मामला न्यायमूर्ति सुब्रत तालुकदार और न्यायमूर्ति सुप्रतिम भट्टाचार्य की खंडपीठ को भेजा गया, जिन्होंने उसी आधार पर खुद को अलग कर लिया। अंततः इस मामले को न्यायमूर्ति चक्रवर्ती और न्यायमूर्ति चटर्जी की खंडपीठ के पास भेज दिया गया।
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