नई दिल्लीः पंजाब के बठिंडा मिलिट्री स्टेशन में हुई फायरिंग (bathinda firing) चार जवान शहीद हो गए थे। इस मामले में पुलिस ने सेना के एक जवान को हिरासत में लेकर पूछताछ की। जांच में आर्टिलरी यूनिट के गनर देसाई मोहन ने इंसास राइफल चोरी करके चारों साथियों की हत्या करने का गुनाह कबूल कर लिया है। शुरुआत जांच से संकेत मिले हैं कि यह घटना स्पष्ट रूप से व्यक्तिगत कारणों और द्वेष के कारण हुई थी, इसमें कोई आतंकी एंगल नहीं है। गनर देसाई मोहन इस समय पंजाब पुलिस की हिरासत में है और उससे इस घटना के बारे में गहन पूछताछ की जा रही है।
दरअसल, बठिंडा मिलिट्री स्टेशन में हुई फायरिंग (bathinda firing) की घटना से दो दिन पहले 28 मैगजीन के साथ इंसास राइफल चोरी हुई थी। मिलिट्री स्टेशन से इंसास राइफल के साथ गायब हुए 28 राउंड कारतूसों के मामले की एफआईआर दर्ज की गई थी। सैन्य अधिकारी अपने स्तर पर मामले की जांच कर रहे थे लेकिन कुछ पता नहीं चला। आर्टिलरी यूनिट के गनर देसाई मोहन 12 अप्रैल को संतरी ड्यूटी पर थे, जब उन्होंने चोरी की राइफल को उसके छिपने के स्थान से पुनः प्राप्त किया और लगभग 4:30 बजे सुबह पहली मंजिल पर गए और बैरक में सो रहे चार लोगों पर अंधाधुंध गोलीबारी की।
बाद की जांच में पता चला कि आर्टिलरी यूनिट के गनर देसाई मोहन ने 28 मैगजीन के साथ एक इंसास राइफल चुरा ली थी और उसे स्टेशन के अंदर कहीं छिपा दिया था। फायरिंग की घटना में आर्टिलरी यूनिट के चार जवान एमटी संतोष, एमटी कमलेश, एमटी ड्राइवर सागरबन और गनर योगेश कुमार शहीद हो गए. चोरी की इंसास रायफल से घटना का संकेत तब मिला जब सेना ने मौके से गोलियों के 19 खोखे भी बरामद किए। गनर देसाई मोहन ने हत्याकांड के बाद हथियार को एक सीवेज के गड्ढे में फेंक दिया था, जिसे घटना के उसी दिन जांच के बाद देर शाम सर्च टीम ने अतिरिक्त गोला-बारूद के साथ बरामद किया था।
सेना के दक्षिण पश्चिमी कमान मुख्यालय ने सोमवार को एक बयान में कहा कि निरंतर पूछताछ के बाद, एक तोपखाना इकाई के गनर देसाई मोहन ने एक इंसास राइफल चुराने और उसके साथ अपने चार सहयोगियों की हत्या करने में अपनी संलिप्तता कबूल कर ली है। बयान में यह भी बताया गया है कि गनर देसाई मोहन फिलहाल पंजाब पुलिस की हिरासत में है और उससे पूछताछ कर आगे की जानकारी हासिल की जा रही है. सेना ने अपने बयान में दोहराया है कि पहले के अनुमानों के अनुसार, प्रारंभिक जांच से संकेत मिलता है कि घटना स्पष्ट रूप से व्यक्तिगत कारणों, दुश्मनी के कारण हुई और इसमें कोई आतंकी कोण नहीं है।
इस मामले में सेना की आंतरिक जांच के साथ-साथ पंजाब पुलिस अलग से जांच कर रही है। बठिंडा मिलिट्री स्टेशन पर हुई गोलीबारी की घटना की जांच करते हुए पंजाब पुलिस ने सेना के एक दर्जन जवानों को बयान दर्ज करवाने के लिए 16 अप्रैल को तलब किया था। जांच अधिकारी पहले ही सेना के जवान गनर देसाई मोहन और गनर नागा सुरेश के बयानों पर संदेह व्यक्त कर चुके थे, इसलिए इन्हें भी तलब किया गया था। पंजाब पुलिस ने सभी जवानों के बयान दर्ज किये हैं और गनर देसाई मोहन के कबूलनामे के बाद गनर नागा सुरेश की भूमिका भी जांची जा रही है।
(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)