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पाट-जात्रा पूजा के साथ बस्तर दशहरा उत्सव शुरू, 107 दिन तक होंगे आयोजन

जगदलपुर: हरियाली अमावस्या पर सोमवार को बस्तर की आराध्य देवी मां दंतेश्वरी मंदिर के सामने पाट-जात्रा पूजा विधान के साथ ऐतिहासिक रियासतकालीन बस्तर दशहरा उत्सव (Bastar Dussehra Utsav) की शुरुआत हुई। बस्तर दशहरा उत्सव के इस प्रथम पूजन विधान में बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष लखेश्वर बघेल, महापौर सफीरा साहू सहित अन्य जन-प्रतिनिधि तथा बस्तर दशहरा उत्सव समिति के पारंपरिक सदस्य मांझी-चालकी, पुजारी-गायता तथा बस्तर कलेक्टर विजय दयाराम एवं अधिकारीगण उपस्थित थे। इसमें जिला प्रशासन के साथ-साथ बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए।

ऐतिहासिक बस्तर दशहरा उत्सव (Bastar Dussehra Utsav) के पहले रथ निर्माण में प्रयुक्त होने वाले औजारों, ठुरलू खोटला की लकड़ी और रथ निर्माण में प्रयुक्त होने वाले औजारों की पारंपरिक तरीके से पूजा-अर्चना कर अनुष्ठान पूरा किया गया। इसके साथ ही विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक बस्तर दशहरा उत्सव शुरू हो गया, जो इस वर्ष लगभग 107 दिनों तक पूरी आस्था, भक्ति और उत्साह के साथ मनाया जाएगा।

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बस्तर दशहरा उत्सव (Bastar Dussehra Utsav) की मुख्य पूजा विधियां हिंदू कैलेंडर की निश्चित तिथि के अनुसार की जाती हैं। जिसके तहत 27 सितंबर को डेरी गदाई की रस्म, 14 अक्टूबर को काछनगादी पूजा विधान, 15 अक्टूबर को कलश स्थापना और जोगी बिठाई की रस्म पूरी की जायेगी। 21 अक्टूबर को बेल पूजा और रथ परिक्रमा विधान, 22 अक्टूबर को निशा जात्रा और महालक्ष्मी पूजा विधान, 23 अक्टूबर को कुंवारी पूजा विधान, जोगी उठाई और मावली परघाव पूजा विधान होगा। ऐतिहासिक बस्तर दशहरा पर्व के दौरान 24 अक्टूबर को रैनी पूजा एवं रथ परिक्रमा पूजा विधान, 26 अक्टूबर को काछन जात्रा एवं 27 अक्टूबर को कुटुंब जात्रा पूजा विधान संपन्न होगा तथा 31 अक्टूबर को विदाई के साथ विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक बस्तर दशहरा (Bastar Dussehra Utsav) मनाया जाएगा। माई दंतेश्वरी उत्सव ख़त्म हो जाएगा।

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