नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने कांग्रेस नेता शशि थरूर, वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई और 5 अन्य पत्रकारों की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। इन लोगों पर गणतंत्र दिवस के दिन ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा से जुड़े कथित ट्वीट्स करने को लेकर कई एफआईआर दर्ज की गईं थीं। दिल्ली पुलिस की ओर से पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने दलील दी कि थरूर और अन्य लोगों के ट्वीट्स का हिंसा के दौरान भयानक असर हुआ था। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि वे इसे साबित करने के लिए रिकॉर्ड मटैरियल भी ला सकते हैं।
वहीं याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि उन्होंने ऐसा क्या किया है कि उन पर देशद्रोह का आरोप लगाया जाए? इस पर मेहता ने विरोध करते हुए कहा कि इन लोगों के द्वारा किसान की गोली लगने से मौत होने का गलत ट्वीट करने से हिंसा के दौरान भयानक असर हुआ है, जबकि किसान की मौत दुर्घटना में घायल होने के कारण हुई थी। एक मैगजीन की ओर से पेश हुए मुकुल रोहतगी ने कहा कि क्लाइंट ने ट्वीट को हटा दिया है और उसका सही वर्जन भी डाल दिया तब भी पत्रकारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। रोहतगी ने जोर देकर कहा कि उनके मुवक्किल ने किसी की भी धार्मिक भावना को ठेस नहीं पहुंचाई है।
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पीठ ने कह दिया है कि अगली सुनवाई तक याचिकाकर्ताओं को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा। इस पर मेहता ने कहा कि दिल्ली पुलिस उन्हें गिरफ्तार नहीं करेगी लेकिन वह अन्य राज्य सरकारों की ओर से ऐसा आश्वासन नहीं दे सकते हैं। एफआईआर में आरोपी कांग्रेस नेता शशि थरूर और पत्रकार राजदीप सरदेसाई, अनंत नाथ और परेश नाथ, मृणाल पांडे, जफर आगा और विनोद के. जोस के नाम हैं। 30 जनवरी को दिल्ली पुलिस ने इन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। बता दें कि 26 जनवरी को हजारों प्रदर्शनकारी किसान ट्रैक्टर रैली निकालने के लिए तय मार्ग से हटकर राजधानी की कई जगहों पर पुलिस से भिड़ गए थे। किसान संघों ने 3 कृषि कानूनों के विरोध में यह रैली निकाली थी।