Bakra market, नई दिल्लीः बकरीद (Bakrid) का त्योहार मुस्लिम समुदाय के लोग बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं। इसे ईद-उल-अजहा भी कहते हैं। बकरीद के दिन बकरों की कुर्बानी दी जाती है। इस्लाम में इसे कुर्बानी का प्रतीक माना जाता है। बकरीद रमजान के 65 से 70 दिन बाद मनाई जाती है। इस साल बकरीद सोमवार यानी 17 जून को मनाई जाएगी।
मंडी में बीस हजार लेकर ढाई लाख रुपये तक के बकरे
वहीं बकरीद की तैयारियां जोरों-शोरों से शुरू हो गई हैं। देशभर में बकरों के बाजार लग गए हैं। लोग कुर्बानी के लिए बकरे खरीदते नजर आ रहे हैं। दिल्ली की जामा मस्जिद स्थित मीना बाजार के सामने सबसे बड़ी बकरा मंडी लगी है। इस मंडी में लोग बकरे खरीदने आ रहे हैं। लेकिन भीषण गर्मी के कारण व्यापारियों के लिए बकरों की देखभाल करना मुश्किल हो गया है। देश के कोने-कोने से व्यापारी भी अपने बकरे यहां लाते नजर आ रहे हैं। मंडी में कई ऐसे बकरे भी आए हैं जो काफी महंगे हैं। इस मंडी में इन बकरों की कीमत बीस हजार से लेकर ढाई लाख रुपये तक है।
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Bakrid: इसलिए दी जाती है कुर्बानी
बकरीद के बारे में कहा जाता है कि अल्लाह ने पैगंबर हजरत इब्राहिम से अपनी सबसे प्यारी चीज की कुर्बानी मांगी थी। पैगंबर हजरत इब्राहिम को अपने बेटे इस्माइल से सबसे ज्यादा प्यार था और उन्होंने अल्लाह के लिए इस्माइल की कुर्बानी देने का फैसला किया।
कुर्बानी के वक्त वह वह मंजर नहीं देख पाए इसलिए उन्होंने आंखों पर पट्टी बांध ली और कुर्बानी दे दी। बेटे की कुर्बानी देने के बाद जब उसने अपनी आंखों से पट्टी हटाई तो देखा कि उसका बेटा इस्माइल सुरक्षित है और उसकी जगह एक बकरे की कुर्बानी दी गई है। तभी से बकरे की कुर्बानी देने की प्रथा शुरू हुई।