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बदइंतजामी का घर बने राजधानी के रैन बसेरे

लखनऊः इन दिनों पूरा उत्तर भारत शीतलहर से कांप रहा है। लखनऊ में भी पारा गुजरते दिन के साथ नीचे ही गिरता जा रहा है। लोग जहां अपने घरों में दुबके हुए हैं वहीं नगर निगम की लापरवाही के चलते बेसहारा लोगों के लिए बनाए गए रैन बसेरे बदइंतजामी का घर बने हुए हैं। यहां पर कोविड के दिशा-निर्देशों की भी जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, ऐसे में यहां संक्रमण फैला तो बड़ी चुनौती खड़ी हो सकती है।

लखनऊ नगर निगम द्वारा शहर के 21 जगहों पर स्थायी रैन बसेरा और करीब 16 जगहों पर अस्थायी रैन बसेरा बनाया गया है। यहां पर लोगों के रात रूकने व अलाव की व्यवस्था का भी इंतजाम किया गया है, लेकिन लापरवाही के चलते यह बसेरे सिर्फ नाम के साबित हो रहे हैं। इस समय कोरोना संक्रमण के फैलने का खतरा अधिक बढ़ गया है, लेकिन इन रैन बसेरों में कोविड के नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। तमाम केंद्रों पर जहां बिस्तरों की व्यवस्था राम भरोसे दिखी वहीं कई केंद्रों पर साफ-सफाई का घोर अभाव दिखा। इंजीनियरिग काॅलेज के पीछे स्थित शेल्टर होम में मौजूद गार्ड शिवम कुमार को इन्फ्रारेड थर्मामीटर और आॅक्सीमीटर चलाने की कोई खास ट्रेनिंग नहीं दी गई है। यह नही यहां पर मास्क को लेकर भी सजगता नहीं दिखी और गार्ड ने खुद मास्क नहीं पहना हुआ था। जब उससे इस बारे में पूछा गया तो उसने बताया कि अधिकारी ने ही नहीं दिया तो हम यहां आने वालों को मास्क कहां से देंगे ? बिस्तर दूर-दूर जरूर पडे थे, लेकिन यहां सफाई व्यवस्था का घोर अभाव दिखा।

इंजीनियरिंग काॅलेज शेल्टर होम से भी बुरा हाल केडी सिंह बाबू स्टेडियम पर बने रैन बसेरे का दिखा। यहां पर अस्थायी तौर पर बने रैन बसेरे को तंबू से बनाया गया है। अलाव की व्यवस्था भी सिर्फ दिखावे भर के लिए की गई थी। जमीन पर बिछाने के लिए कोई भी इंतजाम नहीं किए गए है। जैसे-तैसे लोग यहां अपने इंतजाम से सिर छिपा ही लेते हैं। इस बार कोविड महामारी के चलते केंद्र की दिशा-निर्देशों का पालन हर शेल्टर होम में किया जाना है। हर रैन बसेरे में वी-सेनेटाइजेशन, इन्फ्रारेड थर्मामीटर, पल्स आॅक्सीमीटर, हैंडवाश तथा अन्य जरूरी मेडिकल किट में इसका इंतजाम होना है, लेकिन यहां पर ऐसी कोई व्यवस्था नही दिखी।

रूकने वालों का रखा जा रहा ब्यौरा अपर नगर आयुक्त अमित कुमार ने बताया 8 जोन में कुल 23 शेल्टर होम है, जिनमें 668 लोगों के रूकने की व्यवस्था है। इसके अलावा नगर निगम ने शीतलहर का प्रकोप देखते हुए 16 अस्थायी शेल्टर होम बनाए हैं। इनमें से कुछ में महिलाओं के भी रूकने की व्यवस्था की गई है। शेल्टर होम सीसीटीवी कैमरों से नजर रखी जा रही है। साथ ही वहा रूकने वालों का पूरा ब्यौरा रखा जा रहा है।

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इनकी भी सुनिए नगर अभियंता मनीष अवस्थी ने बताया कि जोन-6 में महिलाओं के लिए अलग से कोई व्यवस्था नहीं है और अगर कोई महिला अस्थायी रैन बसेरा में आती भी है तो उसके लिए शुलभ शौचालय की सुविधा उपलब्ध है, हालांकि रैन बसेरों में कोविड नियमों की धज्जियां उड़ाए जाने के सवाल पर नगर अभियंता मनीष अवस्थी कन्नी काटते दिखे।