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Ayodhya : रामलला प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ, प्रभु श्रीराम के दर्शन को उमड़ा जन सैलाब

Ayodhya Ram Mandir First Anniversary: अयोध्या के राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को एक साल हो गया है। श्रद्धालु अपने प्रभु के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। वैसे तो हिंदू तिथि और मान्यता के अनुसार पहली वर्षगांठ 11 जनवरी 2025 को मनाई गई है, लेकिन महाकुंभ पर्व के दौरान यहां पहुंचने वाले लोगों की संख्या भी कम नहीं है। इस बीच मंदिर ट्रस्ट ने अंगद टीला स्थल पर सिर्फ राम कथा का आयोजन किया, जिसका 21 जनवरी को समापन हुआ।

Ayodhya : अयोध्या में कोई बड़ा आयोजन नहीं

इसके अलावा मंदिर ट्रस्ट का कोई बड़ा कार्यक्रम आयोजित नहीं किया गया है। उन्होंने बताया कि मंदिर में आम जनता के बीच रामलला के भोग का महाप्रसाद वितरित किया जा रहा है। 11 जनवरी से शुरू हुआ यह कार्यक्रम महाकुंभ के दौरान भी जारी रहेगा। ट्रस्ट इसे आगे भी जारी रखने पर विचार करेगा। उन्होंने कहा कि मंदिर के कई निर्माण कार्य पूरे किए जा रहे हैं। प्राचीर के निर्माण में अभी और समय लगेगा।

महाकुंभ के दौरान रामलला की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व

वहीं ज्योतिष एवं वास्तु शास्त्र विशेषज्ञ गायत्री शर्मा ने बताया कि संयोग, दर्शन लाभ और महाकुंभ पर्व के दौरान रामलला मंदिर में पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है। उन्होंने कहा, आज माघ मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि है। दिन बुधवार है। सनातन धर्म में बुधवार का दिन भगवान गणेश को प्रिय है। इस दिन कई शुभ योग भी बन रहे हैं। अमृत काल में दर्शन पूजन का विशेष महत्व है। सूर्य उत्तरायण में है, इसलिए 22 जनवरी (बुधवार) को अमृत काल दोपहर 12 बजे से 1:30 बजे तक है। इस दौरान कोई भी भक्त पूजा-अर्चना करेगा तो उसे लाभ मिलेगा।

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11 जनवरी को मनाई गई थी पहली वर्षगांठ

ज्योतिष विशेषज्ञ के अनुसार आज दिशाशूल भी है और यह संयोग पिछले साल प्राण प्रतिष्ठा के दौरान जैसा था वैसा नहीं है। पौष मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को हुआ था लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। यही वजह है कि श्री रामलला प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव की वर्षगांठ 11 जनवरी को मनाई गई। इन सभी संयोगों के बीच एक बात साफ कर देना चाहता हूं कि भगवान की स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त हो सकता है लेकिन उनके दर्शन के लिए कोई खास समय नहीं होता। सिर्फ भक्ति ही मायने रखती है।

ज्योतिषाचार्य गायत्री शर्मा का मानना ​​है कि भले ही समय संयोग न हो लेकिन महाकुंभ महापर्व चल रहा है। 144 साल बाद ऐसा हुआ है, इस बार अपने आप में अद्भुत है। यह संयोग भी खास है। 22 जनवरी 2025 वाला शुभ मुहूर्त पच्चीस साल बाद फिर आएगा। फिलहाल हम इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते।

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