विश्व पटल पर सर्वोत्कृष्ट तीर्थनगरी बनकर उभरेगी अयोध्या

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अयोध्या नगरी (Ayodhya) जहां के कण-कण में मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम बसते हैं, विश्व पटल पर सर्वोत्कृष्ट तीर्थनगरी बनकर उभरने को पूरी तरह आतुर है। भव्य अयोध्या-नव्य अयोध्या की परिकल्पना को साकार करने के लिए धरातल पर उतर रही योजनाओं की झलक अब दिखने लगी है। भगवान राम के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के साथ ही दशकों तक उपेक्षा का दंश झेलने वाली रामनगरी के भाग्य उदय होने वाले हैं और विश्वस्तरीय सुविधाएं यहां आने वाले रामभक्तों को त्रेतायुगीन वैभव का सुखद अहसास कराती नजर आएंगी। उच्च कारीगरी, नक्काशी व परंपरागत नागर शैली में मंदिर निर्माण के साथ ही यहां आने वाले करोड़ों रामभक्तों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए विकास कार्य कराए जा रहे हैं। महर्षि वाल्मीकि इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर परिचालन शुरू हो चुका है और वंदे भारत एक्सप्रेस व अमृत भारत ट्रेन की सौगात भी मिल चुकी है।

श्री अयोध्यापुरी को पूरी दुनिया की सबसे स्वच्छ नगरी बनाने के साथ ही यहां चौड़ी-चौड़ी सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है। सौर ऊर्जा से पूरी अयोध्या को जगमग करने के लिए इसे सोलर सिटी के रूप में विकसित किया जा रहा है। ईको-फ्रेंडली बनाने के साथ ही शहर में एक नई ग्रीनफील्ड टाउनशिप बसाने की योजना शुरू हो चुकी है, जिसमें राम भक्तों के लिए आवास, आश्रमों, मठों, होटलों की श्रृंखला व विभिन्न राज्यों के भवनों के लिए जगह आदि सम्मिलित होगी। पर्यटक सुविधा केंद्र व विश्वस्तरीय संग्रहालय बनाने के लिए काम जोरों पर चल रहा है। पतित पावनी सरयू नदी पर क्रूज का संचालन शुरू ही हो चुका है और इसके घाटों का सौंदर्यीकरण करने के साथ इसके आस-पास बुनियादी ढांचों के विकास को प्राथमिकता दी जा रही है।

यहां के सभी मंदिरों का जीर्णोद्धार कर मूल रूप में लाने का काम किया जा रहा है और बहुस्तरीय कार पार्क के साथ ही 14 कोसी परिक्रमा में शामिल क्षेत्रों के भी कायापलट की परियोजनाएं द्रुत गति से धरातल पर आकार ले रही हैं। जिस तरह से रामनगरी अयोध्या को विकास के पथ पर दौड़ाने के लिए युद्ध स्तर पर परियोजनाओं को धरातल पर उतारा जा रहा है, उससे यह पूरी तरह स्पष्ट है कि आने वाले वर्षों यह नगरी दुनिया की सर्वोत्तम तीर्थनगरी के रूप में अपनी आभा व अलौलिकता से समूचे विश्व को अपनी ओर आकर्षित करेगी। अयोध्या धाम में चल रही विकास योजनाओं को एक निश्चित समयसीमा के भीतर धरातल पर उतारने के लिए जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद लगातार माॅनीटरिंग कर रहे हैं, वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जमीन पर उतर रही योजनाओं की हकीकत परखने के लिए दर्जनों बार रामनगरी का दौरा कर चुके हैं।

स्मार्ट व विकसित सिटी के रूप में संवर रही अयोध्या

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रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही अवधनगरी में प्रतिदिन लगभग 3-5 लाख श्रद्धालुओं के आने का अनुमान लगाया जा रहा है। ऐसे में यहां आने वाले श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े, उसके लिए मास्टरप्लान 2031 के अनुसार अयोध्या का पुनर्विकास किया जा रहा है। रामनगरी को तीर्थ अयोध्या, रामराज की परिकल्पना, सरयू अयोध्या, मोक्ष नगरी, समरस अयोध्या, हेरिटेज सिटी, नॉलेज सिटी, संभावनाओं का शहर, आध्यात्मिक राजधानी, सोलर सिटी, ग्लोबल टूरिस्ट हब, ब्रांडिंग अयोध्या, सुंदर अयोध्या और स्मार्ट अयोध्या के रूप में सजाया जा रहा है। इस पवित्र शहर को उन्नत करने के लिए 85,300 करोड़ रूपए के अधिक निवेश से परियोजनाओं को 10 वर्ष में पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया है। अयोध्या शहर के लिए आर्किटेक्ट सीपी कुकरेजा ने मास्टरप्लान और विजन डॉक्यूमेंट तैयार किया है।

इसके तहत शहर में हॉस्पिटैलिटी और उससे जुड़ी इंडस्ट्री की गतिविधियों में कई गुना बढ़ोत्तरी होगी। इसी को ध्यान में रख कर इसे तैयार किया गया है। अयोध्या क्षेत्रीय आर्थिक विकास के लिए पर्यटन ग्रोथ इंजन काम करेगा और यह शहर पर्यटन के लिए मेगा सेंटर बनेगा। डेवलपमेंट विजन की प्रमुख बातों पर गौर करें तो अयोध्या विकास अथाॅरिटी का लक्ष्य 875 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर और पर्यटन क्षेत्र को विकसित करना है। मौजूदा मास्टरप्लान के मुताबिक, 133 वर्ग किलोमीटर के शहरी क्षेत्र और 31.5 वर्ग किलोमीटर का कोर सिटी क्षेत्र शामिल है। 1,200 एकड़ की नई टाउनशिप बनाना भी इसका हिस्सा है। इस परियोजना का लक्ष्य पर्यटन को केंद्र में रख कर आर्थिक विकास करना है। इसे आध्यात्मिक, पारंपरिक स्वास्थ्य सेवा, आवासीय पारंपरिक स्वास्थ्य सेवा, व्यावसायिक होटल आदि का निर्माण शामिल है, ताकि अगले 100 साल के ग्रोथ पोटेंशियल को ध्यान में रखा जा सके।

विजन के तहत कोर सिटी एरिया और मंदिर के आस-पास के क्षेत्र को धरोहर के अनुसार पुनर्विकसित करना व 108 एकड़ के श्रीराम मंदिर क्षेत्र पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाएगा, ताकि शहर के बाकी हिस्से उसके अनुकूल बन सके। सरयू नदी पर रिवर फ्रंट का विकास करना तथा वहां वॉटर स्पोर्ट्स को बढ़ावा देना। तीन परिक्रमा मार्गों 05 कोसी, 14 कोसी और 84 कोसी में पर्याप्त सुविधाएं प्रदान करना व आस-पास के अन्य धार्मिक तीर्थ स्थानों का एकीकृत विकास तथा वहां के लिए पहुंच सुगम बनाना शामिल है। जल, सीवर, बिजली, यातायात जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर को विकसित करना इस योजना में शामिल हैं। कुछ बेहतरीन अंतर्राष्ट्रीय शहर जैसे- वैटिकन सिटी, वेनिस और कुछ भारतीय शहर जैसे- अमृतसर, वाराणसी, मदुरै और तिरुपति आदि के अनुभव के आधार पर विकास की योजना बनाई गई है। इमारतों के बाहरी हिस्सों के रंग तथा वास्तु कला को सांस्कृतिक धरोहर के हिसाब से ढाला जाएगा। नए मास्टरप्लान के तहत 5 स्टार और 7 स्टार होटलों की पूरी श्रृंखला विकसित की जा रही है और राम मंदिर के 5-10 किलोमीटर के दायरे में आवासीय टाउनशिप को भी विकसित किया जा रहा है।

भव्य श्रीराम मंदिर के उद्घाटित होने के साथ ही 394 करोड़ से 4 लेन अयोध्या-अकबरपुर-बसखारी मार्ग, एनएच 27 से रामपथ तक रेलवे समपार, पंचकोसी परिक्रमा मार्ग पर बड़ी बुआ रेलवे क्रॉसिंग पर ओवरब्रिज, दर्शन नगर के पास रेलवे ओवरब्रिज, अमानीगंज में मल्टी लेवल पार्किंग, कलेक्ट्रेट के पास स्मार्ट वाहन पार्किंग, पंचकोसी और चैदह कोसी मार्ग पर इंटरप्रिटेशन वॉल का निर्माण, परिक्रमा मार्ग पर 25 से ज्यादा पर्यटन स्थलों और कुंडों का विकास, डेकोरेटिव पोल और हेरिटेज लाइटों की स्थापना का कार्य, कौशल्या सदन का निर्माण, मुक्ति वैकुंठ धाम के विकास का कार्य भी पूरा हो जाएगा। अयोध्या के सभी वार्डों में 24 घंटे जलापूर्ति, सूर्यकुंड के पास आरओबी, अकबरपुर मार्ग पर फतेहगंज आरओबी, अयोध्या बिल्हौरघाट 4 लेन सड़क, गुप्तार घाट का सौंदर्यीकरण, नया घाट से लक्ष्मण घाट तक पर्यटन सुविधाओं का विकास, अयोध्या सोलर सिटी का कार्य पूरा कर लिया जाएगा।

इसके साथ ही अवध बस स्टैंड के पास आश्रय गृह का निर्माण, नाका बाईपास के पास कल्याण भवन का निर्माण, चार ऐतिहासिक प्रवेश द्वारों का निर्माण, सीवरेज योजना का पार्ट वन पूरा कर लिया जाएगा। 473 करोड़ से पंचकोसी परिक्रमा मार्ग चैड़ीकरण, डॉ. भीमराव अंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय खेल परिसर, 1,140 करोड़ से चैदह कोसी परिक्रमा मार्ग का विस्तारीकरण, अयोध्या में जोनल अर्बन फैसिलिटेशन सेंटर का निर्माण, अयोध्या नगर निगम और अयोध्या विकास प्राधिकरण के विशाल भवनों का निर्माण कार्य भी हो रहा है। एनएच 27 में लखनऊ अयोध्या खंड का चौड़ीकरण और सुदृढ़ीकरण का कार्य, ग्रीन फील्ड टाउनशिप परियोजना, वशिष्ठ कुंज आवासीय परियोजना, नगर निगम और विकास प्राधिकरण कार्यालय भवन, सीपेट केंद्र, गुप्तार घाट और राजघाट के बीच नए पक्के घाटों का निर्माण और पुराने घाटों का जीर्णोद्धार, राम की पैड़ी पर दर्शक दीर्घा, राम की पैड़ी से राजघाट तक और राजघाट से श्रीराम जन्मभूमि मंदिर तक श्रद्धालु भ्रमण पथ का सुदृढ़ीकरण और सौंदर्यीकरण का कार्य भी हो रहा है।

अयोध्या को जीरो कार्बन एमिशन युक्त ई-व्हीकल परिवहन सुविधा से लैस करने की प्रक्रिया भी चल रही है। इस पर अयोध्या विकास प्राधिकरण (एडीए) ने कार्रवाई शुरू कर दी है। इसके पहले पड़ाव में अयोध्या में चार पहिया व चार पैसेंजर्स की सिटिंग कैपेसिटी वाली 15 ईवी प्लस ई-व्हीकल्स को एनरोल किया गया है। इस प्रक्रिया में मेक इन इंडिया के तहत भारत में ही निर्मित टाटा टिगोर ईवी कारों को तरजीह दी जा रही है। दूसरी ओर अयोध्या में चीनी कंपनी द्वारा निर्मित ई-कार्ट सेवा भी पिछले वर्ष हुए दीपोत्सव कार्यक्रम से ही जारी है, जिसकी सिटिंग कैपेसिटी 06 पैसेंजर्स की है और इसमें मुख्य तौर पर वृद्ध श्रद्धालुओं के हनुमानगढ़ी व श्रीराम जन्मभूमि मंदिर परिसर समेत अन्य तीर्थों पर यात्रा कराने की प्रक्रिया निरंतर जारी है। ऐसे में अयोध्या में ईवी प्लस ई-व्हीकल्स के संचालन में एक नया अध्याय जुड़ गया है।

सौर ऊर्जा से जगमग होगी सूर्यवंश की राजधानी

सूर्यवंश की राजधानी अयोध्या को उत्तर प्रदेश की पहली सोलर सिटी के रूप में विकसित करने के लिए तेजी से काम चल रहा है। यहां पर बिजली आपूर्ति को किसी अन्य संसाधन से नहीं, बल्कि सौर ऊर्जा के जरिए ही संतृप्त करने पर पूरा जोर दिया जा रहा है। सौर ऊर्जा परियोजना के तहत सरयू नदी के किनारे एक सौर पार्क विकसित करने के साथ ही सौर ऊर्जा से चलने वाली नौकाएं, सौर स्ट्रीट लाइट, सार्वजनिक परिवहन में सौर ऊर्जा सा्रोतों का इस्तेमाल, विद्युतीकरण के साथ-साथ सार्वजनिक स्थानों पर मोबाइल चार्जिंग प्वाइंट जैसी सुविधाएं विकसित करने पर पूरा जोर है। इस परियोजना को उत्तर प्रदेश की महत्वाकांक्षी सौर ऊर्जा नीति-2022 का हिस्सा बनया गया है। यूपीनेडा के निदेशक अनुपम शुक्ला की मानें तो अयोध्या को सौर शहर परियोजना के मॉडल के रूप में विकसित करने और अन्य प्रस्तावित शहरों में सौर नीतियों के कार्यान्वयन में सीख का उपयोग करने की योजना है।

यह एक पंचवर्षीय यानी 2023-28 तक की योजना है, जिसमें सौर ऊर्जा पर आधारित स्ट्रीट लाइट, सरकारी भवनों पर सौर पैनल की स्थापना, चार्जिंग स्टेशनों के साथ ई-रिक्शा, सौर पेड़ और पीने के पानी के कियोस्क के लिए सौर ऊर्जा से चलने वाले प्यूरीफायर जैसी सुविधाओं को शामिल किया गया है। परियोजना के तहत सरयू नदी के तट पर एनटीपीसी ग्रीन की ओर से 40 मेगावाट के सौर संयंत्र की स्थापना है। यूपीनेडा इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए दो सौर ऊर्जा संचालित ईवी चार्जिंग स्टेशन स्थापित कर रहा है। किसानों को उनकी उपज के भंडारण की सुविधा देने के लिए मंडी में छह मीट्रिक टन का सोलर कोल्ड स्टोरेज भी स्थापित किया जा रहा है। जनवरी तक उपलब्ध हो जाने वाली अन्य सुविधाओं में प्रमुख सड़क चैराहों पर 150 सौर हाई-मास्ट लाइट, दिव्यांग भक्तों के लिए पांच समर्पित ई-रिक्शा और 10 सौर ऊर्जा संचालित जल कियोस्क भी शामिल हैं।

यूपीनेडा द्वारा पार्कों में लगाए जा रहे सोलर ट्री भी अब दूधिया रोशनी बिखेरने के लिए तैयार होने लगे हैं। अयोध्या की गलियों, प्रमुख चैराहों, मार्गों, घाटों के बाद अब पार्कों में सोलर ट्री लगाए जा रहे हैं। फिलहाल, 34 पार्कों में एक किलोवाट तथा आठ पार्कों में ढाई किलोवाट के सोलर ट्री लगाए जा चुके हैं। इसके अलावा एक किलोवाट के छह व ढाई किलोवाट से जुड़े 10 स्थानों पर तेजी से काम चल रहा है। अयोध्या के पार्कों को सौर ऊर्जा से आच्छादित करने की दिशा में प्रयास शुरू हो गया है। फिलहाल, शहर के 52 स्थानों को चयनित किया गया है। यूपीनेडा के परियोजना अधिकारी प्रवीणनाथ पांडेय ने बताया कि 52 स्थानों पर सोलर ट्री लगाना प्रस्तावित था। इनमें से 34 पार्कों में एक किलोवाट के सोलर ट्री लग चुके हैं, शेष छह स्थानों पर काम चालू है। शेष कार्य तेजी से कराए जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त 18 अन्य स्थानों को समृद्ध करने की योजना है। यहां ढाई किलोवाट के सोलर ट्री लग रहे हैं। आठ जगहों पर यह लग चुके हैं। शेष पर कार्य हो रहा है। पार्कों की सुंदरता को बढ़ाने के लिए सोलर ट्री का प्रयोग किया जा रहा है। इसके ऊपरी हिस्से में सोलर प्लांट होंगे और ट्री की पत्तियों के निचले हिस्से से प्रकाश होगा। इसमें 5-6 लाइट होंगी और शाम होते ही पार्क खुद ब खुद रोशनी से जगमग हो उठेंगे।

स्थापत्य के लिहाज से अनूठा है रामलला का मंदिर

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अयोध्या में राम मंदिर स्थापत्य कला का अद्वितीय उदाहरण है। परम्परागत नागर शैली में बनाए जा रहे राम मंदिर की लंबाई (पूर्व से पश्चिम) 380 फीट, चैड़ाई 250 फीट तथा ऊंचाई 161 फीट रहेगी। तीन मंजिला राम मंदिर में प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई 20 फीट रहेगी। मंदिर में कुल 392 खंभे और 44 द्वार होंगे। इस निर्माण का अनोखापन यह है कि इसके जमीन से ऊपर के ढांचे में कहीं भी लोहे का इस्तेमाल नहीं हुआ है। हालांकि, मंदिर के नीचे 14 मीटर मोटी रोलर कॉम्पेक्टेड कंक्रीट (आरसीसी) बिछाई गई है। इसे कृत्रिम चट्टान का रूप दिया गया है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से अयोध्या में निर्माणाधीन श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की विशेषता के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। मंदिर परम्परागत नागर शैली में बनाया जा रहा है। मंदिर की लंबाई (पूर्व से पश्चिम) 380 फीट, चैड़ाई 250 फीट तथा ऊंचाई 161 फीट रहेगी। मंदिर तीन मंजिला रहेगा।

प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई 20 फीट रहेगी। मंदिर में कुल 392 खंभे व 44 द्वार होंगे। मुख्य गर्भगृह में प्रभु श्रीराम का बालरूप (श्रीरामलला सरकार का विग्रह) तथा प्रथम तल पर श्रीराम दरबार होगा। मंदिर में पांच मंडप होंगे: नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप व कीर्तन मंडप। इसके साथ ही खंभों व दीवारों में देवी-देवता तथा देवांगनाओं की मूर्तियां उकेरी जा रही हैं। मंदिर में प्रवेश पूर्व दिशा से 32 सीढ़ियां चढ़कर सिंहद्वार होगा। दिव्यांगजन एवं वृद्धों के लिए मंदिर में रैम्प व लिफ्ट की व्यवस्था रहेगी। मंदिर के चारों ओर आयताकार परकोटा रहेगा। चारों दिशाओं में इसकी कुल लंबाई 732 मीटर तथा चैड़ाई 14 फीट होगी। परकोटा के चारों कोनों पर सूर्यदेव, मां भगवती, गणपति व भगवान शिव को समर्पित चार मंदिरों का निर्माण होगा। उत्तरी भुजा में मां अन्नपूर्णा व दक्षिणी भुजा में हनुमान जी का मंदिर रहेगा। मंदिर के समीप पौराणिक काल का सीताकूप विद्यमान रहेगा।

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मंदिर परिसर में महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषादराज, माता शबरी व ऋषिपत्नी देवी अहिल्या को समर्पित विशेष मंदिर होंगे। दक्षिण-पश्चिमी भाग में नवरत्न कुबेर टीला पर भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है तथा वहां जटायु प्रतिमा की स्थापना की गई है। मंदिर में लोहे का प्रयोग नहीं होगा। धरती के ऊपर बिल्कुल भी कंक्रीट नहीं है। मंदिर को धरती की नमी से बचाने के लिए 21 फीट ऊंची प्रिंलथ ग्रेनाइट से बनाई गई है। मंदिर परिसर में स्वतंत्र रूप से सीवर ट्रीटमेंट प्लांट, वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट, अग्निशमन के लिए जल व्यवस्था तथा स्वतंत्र पॉवर स्टेशन का निर्माण किया गया है, ताकि बाहरी संसाधनों पर न्यूनतम निर्भरता रहे।

25,000 क्षमता वाले एक दर्शनार्थी सुविधा केंद्र का निर्माण किया जा रहा है, जहां दर्शनार्थियों का सामान रखने के लिए लॉकर व चिकित्सा की सुविधा रहेगी। मंदिर परिसर में स्नानागार, शौचालय, वॉश बेसिन, ओपन टैप्स आदि की सुविधा भी रहेगी। मंदिर का निर्माण पूर्णतया भारतीय परम्परानुसार व स्वदेशी तकनीक से किया जा रहा है। पर्यावरण-जल संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। कुल 70 एकड़ क्षेत्र में 70 फीसदी क्षेत्र सदा हरित रहेगा। राम मंदिर ट्रस्ट के सदस्य अयोध्या राजा विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र का कहना है कि राम मंदिर का निर्माण अपने आप में अनूठा है। इसमें कहीं भी लोहे का इस्तेमाल नहीं किया गया है। हालांकि, जरूरत पड़ने पर कॉपर का प्रयोग हुआ है।

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